जबलपुर हाईकोर्ट - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us व्यापमं घोटाले संबंधित दो प्रकरणों में अभियुक्त को अंतिम चार्जशीट की रिपोर्ट अभियुक्त को हिन्दी में उपलब्ध करवाने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिये थे, जिसके खिलाफ सीबीआई ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस अभय एस ओका तथा जस्टिस पंकज मिथल ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि अभियुक्त व उसके अधिवक्ता को अंग्रेजी भाषा की समझ है तो हिन्दी में अंतिम जांच रिपोर्ट देना आवश्यक नहीं है। सीबीआई की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया था कि व्यापमं मामले में उन्होंने सुनील सिंह व नरोत्तम धाकड़ के खिलाफ अगल-अलग प्रकरण दर्ज किये थे। सीबीआई के उनके खिलाफ अंतिम जांच रिपोर्ट अंग्रेजी भाषा में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की थी। अभियुक्तों ने अंतिम जांच रिपोर्ट की प्रति हिन्दी में उपलब्ध करवाने को आग्रह किया था। विचारणीय न्यायालय ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसके बाद दोनों अभियुक्तों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को अंतिम जांच रिपोर्ट की प्रति हिन्दी में उपलब्ध करवाने के आदेश जारी किये थेस जिसके खिलाफ अपील दायर की गयी है। युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अभियुक्त ने वकालतनामा अंग्रेजी भाषा में दायर किया है। प्रकरण परीक्षा घोटाले से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा उनके अधिवक्ता को भी अंग्रेजी का ज्ञान है। सीआरपीसी में अंतिम जांच रिपोर्ट की प्रति अभियुक्त को देना आवश्यक है, जिससे वह आरोपों को समझ सके। राज्य सरकार को सिर्फ न्यायिक भाषा के निर्धारण का अधिकार है। जांच एजेन्सी तथा पुलिस किस भाषा में अंतिम जांच रिपोर्ट पेश करेगी, इसके निर्धारण का अधिकार नहीं है। अभियुक्त या अधिवक्ता को जिस भाषा में चार्जशीट पेश की गई, उसका ज्ञान है तो किसी और भाषा में अंतिम चार्जशीट पेश करना आवश्यक नहीं है।

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व्यापमं घोटाले संबंधित दो प्रकरणों में अभियुक्त को अंतिम चार्जशीट की रिपोर्ट अभियुक्त को हिन्दी में उपलब्ध करवाने के निर्देश हाईकोर्ट ने दिये थे, जिसके खिलाफ सीबीआई ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी। अपील की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस अभय एस ओका तथा जस्टिस पंकज मिथल ने हाईकोर्ट के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि अभियुक्त व उसके अधिवक्ता को अंग्रेजी भाषा की समझ है तो हिन्दी में अंतिम जांच रिपोर्ट देना आवश्यक नहीं है।

सीबीआई की तरफ से दायर की गयी अपील में कहा गया था कि व्यापमं मामले में उन्होंने सुनील सिंह व नरोत्तम धाकड़ के खिलाफ अगल-अलग प्रकरण दर्ज किये थे। सीबीआई के उनके खिलाफ अंतिम जांच रिपोर्ट अंग्रेजी भाषा में न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत की थी। अभियुक्तों ने अंतिम जांच रिपोर्ट की प्रति हिन्दी में उपलब्ध करवाने को आग्रह किया था। विचारणीय न्यायालय ने उनके आवेदन को खारिज कर दिया था, जिसके बाद दोनों अभियुक्तों ने हाईकोर्ट की शरण ली थी। हाईकोर्ट ने दोनों अभियुक्तों को अंतिम जांच रिपोर्ट की प्रति हिन्दी में उपलब्ध करवाने के आदेश जारी किये थेस जिसके खिलाफ अपील दायर की गयी है।

युगलपीठ ने सुनवाई के दौरान पाया कि अभियुक्त ने वकालतनामा अंग्रेजी भाषा में दायर किया है। प्रकरण परीक्षा घोटाले से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा उनके अधिवक्ता को भी अंग्रेजी का ज्ञान है। सीआरपीसी में अंतिम जांच रिपोर्ट की प्रति अभियुक्त को देना आवश्यक है, जिससे वह आरोपों को समझ सके।

राज्य सरकार को सिर्फ न्यायिक भाषा के निर्धारण का अधिकार है। जांच एजेन्सी तथा पुलिस किस भाषा में अंतिम जांच रिपोर्ट पेश करेगी, इसके निर्धारण का अधिकार नहीं है। अभियुक्त या अधिवक्ता को जिस भाषा में चार्जशीट पेश की गई, उसका ज्ञान है तो किसी और भाषा में अंतिम चार्जशीट पेश करना आवश्यक नहीं है।

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