लंपी वायरस से संक्रमित गाय – फोटो : अमर उजाला
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मध्यप्रदेश के उमरिया में लंपी वायरस से आए दिनों कई पशुओं की मौत हो हुई है और मौतों की संख्या लगातार जारी है। इस बीमारी से दुधारू पशु ज्यादा संक्रमित हैं। लंपी वायरस एक भयानक रूप लेकर पूरे मध्यप्रदेश में महामारी की तरह फैल रही है। इसकी रोकथाम के लिए पशु चिकित्सालय के हर कारगर उपाय निराधार नजर आ रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक, इसके लक्षण भी तीन साल पहले दुनिया भर में कहर बरपाने वाले कोरोना से मिलते-जुलते हैं। यह बेहद संक्रामक है और एक जानवर से दूसरे में फैलता है। इसके संक्रमण से पशु को सर्दी, खांसी और बुखार होता है। इसका असर सप्ताह भर रहता है। जो दवाई से ठीक हो जाता है, परंतु इससे कम इम्युनिटी वाले और कमजोर जानवरों की जान भी चली जाती है।
वायरस से फैलता है रोग
लंपी एक त्वचा रोग है, जो वायरस से फैलता है और गाय-भैंसों में प्रमुखता से असर करता है। यह विषाणु जनित संक्रामक बीमारी भी है। इसलिए बेहद खतरनाक होने के साथ इलाज में समय लेती है। पशुओं में यह वायरस बहुत तेजी से अपने पांव पसारता है, इसके लिए वह खास माध्यम का सहारा लेता है। अगर कोई पशु लंपी वायरस से संक्रमित हो जाए तो उसके शरीर पर परजीवी कीट, किलनी, मच्छर, मक्खियों और दूषित जल, दूषित भोजन और लार के संपर्क में आने से यह रोग अन्य पशुओं में भी फैल सकता है। इस रोग से प्रभावित पशुओं में मृत्यु दर बहुत कम होती है और सामान्य तौर पर दो से तीन हफ्ते में पशु स्वस्थ हो जाता है। लंपी बीमारी जूनॉटिक नहीं है, इसलिए यह संक्रमण इंसानों में नहीं फैलता है।
संक्रमित पशु के मुंह से लार अधिक निकलती है
संक्रमित पशु को हलका बुखार रहता है। मुंह से लार अधिक निकलती है और आंख-नाक से पानी बहता है। पशुओं के लिंफ नोड्स और पैरों में सूजन रहती है। संक्रमित पशु के दूध उत्पादन में गिरावट आ जाती है। गर्भित पशु में गर्भपात का खतरा रहता है और कभी-कभी पशु की मौत भी हो जाती है। पशु के शरीर पर त्वचा में बड़ी संख्या में दो से पांच सेमी आकार की कठोर गांठे बन जाती हैं।
रोकथाम और बचाव के उपाय
जो पशु संक्रमित हों उन्हें स्वस्थ पशुओं के झुंड से अलग रखें, ताकि संक्रमण न फैले। कीटनाशक और विषाणुनाशक से पशुओं के परजीवी कीट, किल्ली, मक्खी और मच्छर आदि को नष्ट करना चाहिए। पशुओं के रहने वाले बाड़े की साफ-सफाई रखें। जिस क्षेत्र में लंपी वायरस का संक्रमण फैला है, उस क्षेत्र में स्वस्थ पशुओं की आवाजाही रोकी जानी चाहिए। किसी पशु में लंपी वायरस के लक्षण दिखें तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। संक्रमित क्षेत्र में जब तक लंपी वायरस का खतरा खत्म न हो, तब तक पशुओं के बाजार मेले आयोजन और पशुओं की खरीद-बिक्री पर रोक लगनी चाहिए। स्वस्थ पशुओं का टीकाकरण कराना चाहिए ताकि अगली बार उन्हें किसी तरह का संक्रमण न हो।
पशु पालकों और प्रशासन के बीच तालमेल नहीं
जिले में फैली गंभीर बीमारी से लगातार पशुओं की मौत हो रही है। इस रोग के कारण उमरिया से लेकर सुदूर अंचलों में तबाही मची हुई है। जानवरों को न तो इलाज मिल रहा है और न ही दवाइयां। कई परिवारों का जीवन-यापन पशुधन पर आश्रित है। सरकार और प्रशासन इसकी रोकथाम के लिए गंभीर कदम नहीं उठा पा रहे हैं। इससे पशु पालकों को हर संम्भव मदद नहीं मिल पा रही है।
पशु चिकित्सालय के उप संचालक केके पांडे ने कहा है कि विभाग जिले में फैली लंपी वयरस बीमारी को लेकर मुस्तैद और सतर्क है। कर्मचारियों की टीम ग्रामीण अंचलों में संक्रमित पशुओं का इलाज और लोगों को आवश्यक जानकारी देने का हर संभव प्रयास कर रही है। शहरी क्षेत्रों के अस्पतालों में भी जरूरी इंतजाम किए गए हैं।
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