umaria-news:-अतिक्रमण-घोट-रहा-नदियों-का-गला,-पुनर्जीवन-योजना-में-शामिल-घोड़छत्र-समेत-इन-पर-कब्जा
अतिक्रमण घोट रहा नदियों का गला - फोटो : अमर उजाला विस्तार उमरिया जिले के उमरार नदी सहित कई नदियों और नालों के किनारों पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। जंगल की बेशकीमती जमीनों पर भी लोग बस गए हैं, जिससे जंगल के जानवर प्रभावित हो रहे हैं। जिले के नदी और नालों पर अतिक्रमण करके उसके उसकी धार को सिकोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अमरकंटक से निकलने वाली सोन की सहायक नदी जोहिला पर कई जगह अतिक्रमण किया गया है। घोड़छत्र नदी अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है। उमरिया नगर की जीवन रेखा उमरार नदी पर भी कई स्थानों पर अतिक्रमण किया जा चुका है। चंदिया की कथली नदी की धार भी अतिक्रमण के कारण सिकुड़ गई है। बांधवगढ़ के जंगल से निकलने वाली चरण गंगा नदी भी अतिक्रमण के कारण खोती जा रही है। इसके अलावा कई अन्य छोटी नदियां और नाले अतिक्रमण का शिकार हो चुके हैं। इस तरह हो निर्धारण... वह नदियां जो राजस्व सीमा से निकलती हैं वहां राजस्व रिकार्ड और जो वन क्षेत्र से निकलती हैं वहां वन क्षेत्र के रिकॉर्ड से इनके पाट का रकबा निकाला जाना चाहिए। जो भी निर्माण अथवा अतिक्रमण नदी नालों के निर्धारित रकबा क्षेत्र में दिखाई देंगे, उन्हें अवैध घोषित किया जाए। इसके पश्चात नोटिस देकर उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाए। इस बारे में जानकारी देते हुए वन मंडल अधिकारी मोहित सूद ने बताया, वन विभाग के पास जंगल से निकलने वाली नदी नालों की संपूर्ण जानकारियां हैं। वहीं, एसडीएम सिद्धार्थ पटेल का कहना है कि राजस्व विभाग के पास राजस्व क्षेत्र से निकलने वाली नदियों और नालों की संपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हैं। बैठक में हुआ यह निर्णय... जिले के राजस्व और वन क्षेत्रों से गुजरने वाली नदी और नालों पर किए गए अतिक्रमण, वनों की अवैध कटाई तथा खनिज के अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर रोक लगाने के लिए एक साथ संयुक्त कार्रवाई की जाएगी। संयुक्त कार्रवाई करने के लिए टास्क फोर्स की बैठक कलेक्टर की अध्यक्षता मे कलेक्टर सभागार में बुलाई गई थी। बैठक में अलग-अलग क्षेत्रों में किए गए अतिक्रमण को लेकर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि नदी नालों पर अतिक्रमण करने वाले न सिर्फ जंगलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि उनकी वजह से जंगल के पशु भी प्रभावित हो रहे हैं। यही कारण है कि नदी नालों पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है।

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अतिक्रमण घोट रहा नदियों का गला – फोटो : अमर उजाला

विस्तार उमरिया जिले के उमरार नदी सहित कई नदियों और नालों के किनारों पर लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है। जंगल की बेशकीमती जमीनों पर भी लोग बस गए हैं, जिससे जंगल के जानवर प्रभावित हो रहे हैं। जिले के नदी और नालों पर अतिक्रमण करके उसके उसकी धार को सिकोड़ने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया था, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।

अमरकंटक से निकलने वाली सोन की सहायक नदी जोहिला पर कई जगह अतिक्रमण किया गया है। घोड़छत्र नदी अतिक्रमण का शिकार हो चुकी है। उमरिया नगर की जीवन रेखा उमरार नदी पर भी कई स्थानों पर अतिक्रमण किया जा चुका है। चंदिया की कथली नदी की धार भी अतिक्रमण के कारण सिकुड़ गई है। बांधवगढ़ के जंगल से निकलने वाली चरण गंगा नदी भी अतिक्रमण के कारण खोती जा रही है। इसके अलावा कई अन्य छोटी नदियां और नाले अतिक्रमण का शिकार हो चुके हैं।

इस तरह हो निर्धारण…
वह नदियां जो राजस्व सीमा से निकलती हैं वहां राजस्व रिकार्ड और जो वन क्षेत्र से निकलती हैं वहां वन क्षेत्र के रिकॉर्ड से इनके पाट का रकबा निकाला जाना चाहिए। जो भी निर्माण अथवा अतिक्रमण नदी नालों के निर्धारित रकबा क्षेत्र में दिखाई देंगे, उन्हें अवैध घोषित किया जाए। इसके पश्चात नोटिस देकर उन्हें हटाने की कार्रवाई की जाए। इस बारे में जानकारी देते हुए वन मंडल अधिकारी मोहित सूद ने बताया, वन विभाग के पास जंगल से निकलने वाली नदी नालों की संपूर्ण जानकारियां हैं। वहीं, एसडीएम सिद्धार्थ पटेल का कहना है कि राजस्व विभाग के पास राजस्व क्षेत्र से निकलने वाली नदियों और नालों की संपूर्ण जानकारियां उपलब्ध हैं।

बैठक में हुआ यह निर्णय…
जिले के राजस्व और वन क्षेत्रों से गुजरने वाली नदी और नालों पर किए गए अतिक्रमण, वनों की अवैध कटाई तथा खनिज के अवैध उत्खनन एवं परिवहन पर रोक लगाने के लिए एक साथ संयुक्त कार्रवाई की जाएगी। संयुक्त कार्रवाई करने के लिए टास्क फोर्स की बैठक कलेक्टर की अध्यक्षता मे कलेक्टर सभागार में बुलाई गई थी। बैठक में अलग-अलग क्षेत्रों में किए गए अतिक्रमण को लेकर चर्चा की गई। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि नदी नालों पर अतिक्रमण करने वाले न सिर्फ जंगलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, बल्कि उनकी वजह से जंगल के पशु भी प्रभावित हो रहे हैं। यही कारण है कि नदी नालों पर किए गए अतिक्रमण के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्णय लिया गया है।

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