इसरो में इंजीनियर एसएफ (साइंटिस्ट ऑफिसर) की पोस्ट पर पदस्थ प्रियांशु मिश्रा - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us इसरो ने चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया। चंद्रयान- 3 के प्रोजेक्ट में उमरिया जिले के प्रियांशु मिश्रा का भी विशेष योगदान रहा। जिले के चंदिया के रहने वाले वैज्ञानिक प्रियांशु प्रोजेक्ट में डिजाइनिंग टीम का हिस्सा रहे। वे इसरो में इंजीनियर एसएफ (साइंटिस्ट ऑफिसर) की पोस्ट पर पदस्थ हैं। प्रियांशु के पिता विनोद मिश्रा ने कहा कि मेरा बेटा उस टीम का हिस्सा है, जिसके काम से विश्व भर में भारत का नाम रोशन हुआ है। मेरे लिए इससे ज्यादा खुशी का पल हो ही नहीं सकता। विनोद मिश्रा ने बताया कि 2009 में इसरो में साइंटिस्ट की भर्ती का विज्ञापन निकला था। प्रियांशु की एमई (मास्टर्स ऑफ इंजीनियरिंग) की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी । उसने अप्लाई किया और इसरो में चयन हो गया। 2009 में साइंटिस्ट पद पर जॉइन किया। 14 साल के करियर में प्रियांशु को तीन प्रमोशन मिल चुके हैं। आज वह साइंटिस्ट एसएफ पद पर है। प्रियांशु को यंग साइंटिस्ट और एक्सीलेंस अवॉर्ड मिल चुका है। विनोद मिश्रा ने बताया, प्रियांशु 2013 में इसरो की ओर से लॉन्च हुए मंगलयान का भी हिस्सा रहे हैं। उन्होंने इस मिशन में लॉन्च व्हीकल मार्क टीम में अहम भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही प्रियांशु ने क्रायोजेनिक इंजन के डेवलपमेंट में रिसर्च किया था। वर्तमान के भारी उपग्रह इसी जीएसएलवी (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) से लॉन्च होते हैं। प्रियांशु मिश्रा ने अपनी शिक्षा उमरिया से शुरू की है। 1998 में उमरिया, चंदिया और हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी की शिक्षा भोपाल से की। इसके बाद 2007 में देहरादून से बीटेक किया। एमई की पढ़ाई रांची से पूरी की। एमई में प्रियांशु को गोल्ड मेडल मिला था। प्रियांशु के माता-पिता बुधवार शाम पांच बजे से ही टीवी के सामने बैठ कर उस लम्हे का इंतजार करने लगे। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद प्रियांशु के माता-पिता खुशी से झूम उठे। मिठाई बताकर खुशी को जाहिर की। प्रियांशु मिश्रा की मां प्रतिभा मिश्रा ने कहा कि मेरे लिए गर्व की बात है कि बेटा इसरो टीम में शामिल रहा। बेटे ने कड़ी मेहनत की है। हमें पूर्ण विश्वास था कि इस बार सफलता मिलेगी। मैं सभी वैज्ञानिकों को बधाई देती हूं। साइंटिस्ट प्रियांशु मिश्रा के परिवार में माता प्रतिभा मिश्रा, पिता विनोद मिश्रा, पत्नी नेहा मिश्रा और दो बच्चे अहान और यहान हैं। माता-पिता चंदिया गांव में रहते हैं। कृषि कार्य के साथ समाज सेवा के कार्यों से जुड़े रहते हैं। अन्य बच्चों को भी मोटिवेट कर पढ़ाई के लिए जागरूक करते हैं। माता-पिता दोनों ही हरियाली पसंद करते हैं, इसलिए पौधरोपण के कार्यक्रमों का हिस्सा बने रहते हैं

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इसरो में इंजीनियर एसएफ (साइंटिस्ट ऑफिसर) की पोस्ट पर पदस्थ प्रियांशु मिश्रा – फोटो : अमर उजाला

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इसरो ने चांद के साउथ पोल पर चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग करवाकर इतिहास रच दिया। चंद्रयान- 3 के प्रोजेक्ट में उमरिया जिले के प्रियांशु मिश्रा का भी विशेष योगदान रहा। जिले के चंदिया के रहने वाले वैज्ञानिक प्रियांशु प्रोजेक्ट में डिजाइनिंग टीम का हिस्सा रहे। वे इसरो में इंजीनियर एसएफ (साइंटिस्ट ऑफिसर) की पोस्ट पर पदस्थ हैं।

प्रियांशु के पिता विनोद मिश्रा ने कहा कि मेरा बेटा उस टीम का हिस्सा है, जिसके काम से विश्व भर में भारत का नाम रोशन हुआ है। मेरे लिए इससे ज्यादा खुशी का पल हो ही नहीं सकता। विनोद मिश्रा ने बताया कि 2009 में इसरो में साइंटिस्ट की भर्ती का विज्ञापन निकला था। प्रियांशु की एमई (मास्टर्स ऑफ इंजीनियरिंग) की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी । उसने अप्लाई किया और इसरो में चयन हो गया। 2009 में साइंटिस्ट पद पर जॉइन किया। 14 साल के करियर में प्रियांशु को तीन प्रमोशन मिल चुके हैं। आज वह साइंटिस्ट एसएफ पद पर है। प्रियांशु को यंग साइंटिस्ट और एक्सीलेंस अवॉर्ड मिल चुका है।

विनोद मिश्रा ने बताया, प्रियांशु 2013 में इसरो की ओर से लॉन्च हुए मंगलयान का भी हिस्सा रहे हैं। उन्होंने इस मिशन में लॉन्च व्हीकल मार्क टीम में अहम भूमिका निभाई थी। इसके साथ ही प्रियांशु ने क्रायोजेनिक इंजन के डेवलपमेंट में रिसर्च किया था। वर्तमान के भारी उपग्रह इसी जीएसएलवी (जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल) से लॉन्च होते हैं।

प्रियांशु मिश्रा ने अपनी शिक्षा उमरिया से शुरू की है। 1998 में उमरिया, चंदिया और हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी की शिक्षा भोपाल से की। इसके बाद 2007 में देहरादून से बीटेक किया। एमई की पढ़ाई रांची से पूरी की। एमई में प्रियांशु को गोल्ड मेडल मिला था। प्रियांशु के माता-पिता बुधवार शाम पांच बजे से ही टीवी के सामने बैठ कर उस लम्हे का इंतजार करने लगे। चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम की सफल लैंडिंग के बाद प्रियांशु के माता-पिता खुशी से झूम उठे। मिठाई बताकर खुशी को जाहिर की। प्रियांशु मिश्रा की मां प्रतिभा मिश्रा ने कहा कि मेरे लिए गर्व की बात है कि बेटा इसरो टीम में शामिल रहा। बेटे ने कड़ी मेहनत की है। हमें पूर्ण विश्वास था कि इस बार सफलता मिलेगी। मैं सभी वैज्ञानिकों को बधाई देती हूं।

साइंटिस्ट प्रियांशु मिश्रा के परिवार में माता प्रतिभा मिश्रा, पिता विनोद मिश्रा, पत्नी नेहा मिश्रा और दो बच्चे अहान और यहान हैं। माता-पिता चंदिया गांव में रहते हैं। कृषि कार्य के साथ समाज सेवा के कार्यों से जुड़े रहते हैं। अन्य बच्चों को भी मोटिवेट कर पढ़ाई के लिए जागरूक करते हैं। माता-पिता दोनों ही हरियाली पसंद करते हैं, इसलिए पौधरोपण के कार्यक्रमों का हिस्सा बने रहते हैं

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