ujjain-news:-aicte-स्टूडेंट-इंडक्शन-प्रोग्राम-में-डॉ.-मूसलगांवकर-बोले-बेरोजगारी-की-समस्या-शासन-निर्मित-नहीं
वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. मूसलगांवकर - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी मूल उद्देश्यों से भटक रहा है। वह वैश्विक समस्याओं, चुनौतियों के समाधान हेतु स्वयं को अक्षम पा रहा है। बेरोजगारी की समस्या शासन निर्मित नहीं है। उसके मूल में विद्यार्थी ही है। क्योंकि विद्यार्थी येन केन प्रकारेण उपाधि प्राप्त करना ही अपना मुख्य उद्देश्य समझ रहा है।उपाधि के अनुरूप ज्ञान के अर्जन में वह प्रमादी है। यह बात संस्कृत ज्योतिर विज्ञान एवं वेद अध्ययनशाला के पूर्व अध्यक्ष एवं विक्रम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. राजराजेश्वर शास्त्री मूसलगांवकर ने इंजीनियरिंग कॉलेज में एआईसीटीई स्टूडेंट इंडक्शन प्रोग्राम के दौरान विद्यार्थियों के शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यक्त किए। कार्यक्रम में बोलते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. मुसलगांवकर ने कहा कि विद्यार्थी का मतलब है जिज्ञासा, पिपासा। लेकिन आज का विद्यार्थी न तो जानना चाहता है और न ही उत्तरोत्तर ज्ञानार्जन की उसे प्यास है। वह सांसारिक समस्याओं पर विजय प्राप्त करने में अक्षम है और जीवन को एक उदात्त दिशा की और ले जाने की चाह भी उसमें नहीं है। अपने व्याख्यान में उन्होंने प्रमुख वैदिक सिद्धांतों और प्राचीन अनुष्ठानों और उनके आधुनिक अनुप्रयोगों पर चर्चा की। उन्होंने व्यावहारिक मार्गदर्शन भी दिया कि कैसे वैदिक ज्ञान छात्र के जीवन में संतुलन, शांति और स्पष्टता ला सकता है। कार्यक्रम का संयोजक DSW  प्रो. दिलीप कुमार ने किया।

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वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. मूसलगांवकर – फोटो : अमर उजाला

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विद्यार्थी जीवन में विद्यार्थी मूल उद्देश्यों से भटक रहा है। वह वैश्विक समस्याओं, चुनौतियों के समाधान हेतु स्वयं को अक्षम पा रहा है। बेरोजगारी की समस्या शासन निर्मित नहीं है। उसके मूल में विद्यार्थी ही है। क्योंकि विद्यार्थी येन केन प्रकारेण उपाधि प्राप्त करना ही अपना मुख्य उद्देश्य समझ रहा है।उपाधि के अनुरूप ज्ञान के अर्जन में वह प्रमादी है।

यह बात संस्कृत ज्योतिर विज्ञान एवं वेद अध्ययनशाला के पूर्व अध्यक्ष एवं विक्रम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. राजराजेश्वर शास्त्री मूसलगांवकर ने इंजीनियरिंग कॉलेज में एआईसीटीई स्टूडेंट इंडक्शन प्रोग्राम के दौरान विद्यार्थियों के शैक्षणिक और व्यक्तिगत विकास को बढ़ाने के उद्देश्य से व्यक्त किए। कार्यक्रम में बोलते हुए विक्रम विश्वविद्यालय के वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. मुसलगांवकर ने कहा कि विद्यार्थी का मतलब है जिज्ञासा, पिपासा। लेकिन आज का विद्यार्थी न तो जानना चाहता है और न ही उत्तरोत्तर ज्ञानार्जन की उसे प्यास है।

वह सांसारिक समस्याओं पर विजय प्राप्त करने में अक्षम है और जीवन को एक उदात्त दिशा की और ले जाने की चाह भी उसमें नहीं है। अपने व्याख्यान में उन्होंने प्रमुख वैदिक सिद्धांतों और प्राचीन अनुष्ठानों और उनके आधुनिक अनुप्रयोगों पर चर्चा की। उन्होंने व्यावहारिक मार्गदर्शन भी दिया कि कैसे वैदिक ज्ञान छात्र के जीवन में संतुलन, शांति और स्पष्टता ला सकता है। कार्यक्रम का संयोजक DSW  प्रो. दिलीप कुमार ने किया।

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