शिकायत का नहीं हो रहा समाधान।
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लोकनिर्माण विभाग ने लोकपथ एप लांच कर दावा किया था कि एप पर सड़कों की शिकायत मिलने पर अधिकतम सात दिन में सड़क दुरुस्त कर दी जाएगी। प्रदेश में राज्य सरकार के पास खराब सड़कों की 2 हजार 744 शिकायतें पहुंची हैं। लेकिन, इन शिकायतों का निराकरण टाइम लाइन में नहीं हो पा रहा है। इस एप पर शिकायत के बाद 7 दिन की टाइम लिमिट में गड्ढे नहीं भरे जाने वाली सड़कों में एक सड़क उज्जैन की भी है।
अब तक सवा लाख से अधिक मोबाइल यूजर्स ने लोकपथ एप डाउनलोड किया है। लोकपथ एप साफ्टवेयर एमपी स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेवलपमेंट कॉपोर्रेशन और विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से बनाया है। चूंकि इसे सरकारी एजेंसी ने बनाया है। इसलिए, इसके निर्माण पर अलग से राशि खर्च नहीं हुई है। एप पर आने वाली शिकायतों की निगरानी के लिए राज्य स्तर, मुख्य अभियंता स्तर, अधीक्षण यंत्री स्तर और कार्य पालन यंत्री स्तर पर अमले की तैनाती की गई है। एप अगर काम नहीं कर रहा है तो इसके सुधार की जिम्मेदारी साॅफ्टवेयर बनाने वाली एमपीएसईडीसी की है।
लोकनिर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता आर के मेहरा के अनुसार विभाग की जियो टैग से जुड़ी सडकों को इस एप पर अपलोड किया गया है। इसमें खराब सड़क के फोटो अपलोड करने पर उसके सुधार और सुधरी सड़क की फोटो अपलोड करने की जिम्मेदारी संबंधित क्षेत्र के उपयंत्री की है। मेहरा ने कहा कि इस एप में पीडब्ल्यूडी की एनएच और स्टेट हाईवे की सड़कें, जिला मार्ग, एमपी आरडीसी और एमपीआरआरडीए की सड़कों को शामिल किया गया है।
लोक निर्माण विभाग के अफसरों के अनुसार चार सड़कों के गड्ढे सात दिन की अवधि पूरी होने के बाद भी नहीं भरे जा सके हैं। इस पर संबंधित जिलों के कार्यपालन यंत्रियों को सूचना देकर इसे समय सीमा में दुरुस्त करने के लिए कहा है। अब एक दो दिनों में इस पर काम नहीं हुआ तो नोटिस देने की कार्रवाई की जाएगी। जो सड़कें सात दिन की टाइम लिमिट पार कर गई हैं, उनमें से रतलाम जिले की एक रोड है। इसके अलावा एक उज्जैन जिले की पीडब्ल्यूडी और एक नरसिंहपुर जिले की एमपीआरडीसी की सड़क से संबंधित है।
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