न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: उज्जैन ब्यूरो Updated Sun, 01 Sep 2024 03: 35 PM IST
श्री महाकालेश्वर भगवान की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारी के क्रम में शाही सवारी सोमवार 2 सितम्बर को सायं 4 बजे निकलेगी। भगवान श्री महाकालेश्वर प्रमुख सवारी (शाही सवारी) में नगर भ्रमण पर निकलेंगे। सोमवार को बाबा महाकाल की शाही सवारी – फोटो : अमर उजाला
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श्री महाकालेश्वर भगवान की शाही सवारी कल यानी सोमवार को निकलेगी। शाम 4 बजे भगवान के सात स्वरूप नगर भ्रमण पर निकलेंगे। लाखों लोग इस सवारी में शामिल होंगे।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक गणेश कुमार धाकड़ ने बताया कि भाद्रपद माह की दूसरी और अंतिम सवारी 2 सितम्बर को (प्रमुख) शाही सवारी के रूप में निकलेगी। इस दौरान रजत पालकी में श्री चन्द्रमौलेश्वर, हाथी पर श्री मनमहेश, गरूड़ रथ पर शिवतांडव, नन्दी रथ पर उमा-महेश और डोल रथ पर होल्कर स्टेट के मुखारविंद, श्री घटाटोप मुखोटा स्वरुप व सप्तम सवारी में श्री सप्तधान का मुखारविंद सम्मिलित रहेगा।
भगवान श्री महाकालेश्वर की सोमवार 2 सितम्बर को शाही सवारी निकलने के पूर्व श्री महाकालेश्वर मंदिर के सभामंडप में विधिवत भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर का पूजन-अर्चन होगा। इसके बाद रजत पालकी में विराजित होकर अपनी प्रजा के हाल जानने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगे। मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान श्री चन्द्रमौलेश्वर को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी जाएगी।
श्री चन्द्रमौलेश्वर की पालकी अपने निर्धारित समय शाम 4 बजे से प्रारंभ होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, बक्षीबाजार चौराहा, कहार वाड़ी, हरसिद्धीपाल से रामघाट पहुचेगी। रामघाट पर पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर एवं गजराज पर आरूढ़ श्री मनमहेश के मां क्षिप्रा के तट पर पूजन-अर्चन व आरती होगी। इसके बाद प्रमुख सवारी रामानुजकोट, बंबई वाले की धर्मशाला, गणगौर दरवाजा, खाती समाज का श्री जगदीश मंदिर, श्री सत्यनारायण मंदिर, कमरी मार्ग, टंकी चौराहा, तेलीवाडा, कंठाल, सतीमाता मंदिर, छत्री चौक, श्री गोपाल मंदिर पर पहुचेगी। जहां सिंधिया स्टेट द्वारा पररम्परानुसार पालकी में विराजित भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया जाएगा। उसके बाद सवारी पटनी बाज़ार, गुदरी चौराहा, कोट मोहल्ला, महाकाल चौराहा होते हुए मंदिर परिसर में पहुंचेगी।
70 भजन मंडलियां रहेंगी शामिल
श्री महाकालेश्वर भगवान की प्रमुख सवारी (शाही सवारी) के चल समारोह में सबसे आगे मंदिर का प्रचार वाहन चलेगा। उसके बाद यातायात पुलिस, तोपची, भगवान श्री महाकालेश्वर जी का रजत ध्वज, घुड़सवार, विशेष सशस्त्र बल सलामी गार्ड, स्काउट / गाइड सदस्य , कांग्रेस सेवा दल, सेवा समिति बैंड के बाद उज्जैन के अतिरिक्त मध्यप्रदेश के विभिन्न शहरो से परंपरागत रूप से सवारी सम्मिलित होने वाली 70 भजन मंडलियां चल समारोह में प्रभु का गुणगान करते हुए व अपनी सेवाएं देती हुई चलेंगी। 70 भजन मंडलियों के बाद नगर के साधू-संत व गणमान्य नागरिक, पुलिस बैंड, नगर सेना के सलामी गार्ड की टुकड़ी, श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी व पुरोहितगण सवारी के साथ रहेगे। उनके बाद श्री महाकालेश्वर भगवान (श्री चंद्रमोलीश्वर) की प्रमुख पालकी , भारत बैंड, श्री गरुड़ रथ पर श्री शिव-तांडव जी, रमेश बैंड, नंदी रथ पर श्री उमा महेश स्वरूप, गणेश बैंड, रथ पर श्री होल्कर स्टेट मुखारविंद, आर.के. बैंड , रथ पर श्री घटाटोप जी, रथ पर श्री सप्तधान मुखारविंद के पश्यात राजकाल मुजिकल ग्रुप बैंड, व श्री मनमहेश स्वरुप हाथी पर विराजित होंगे। सवारी के साथ एम्बुलेन्स, विद्दयुत मंडल का वाहन, फायर ब्रिगेड आदि भी सुरक्षा की दृष्टि से सम्पूर्ण सवारी मार्ग में साथ मे चलेंगे। साथ ही सवारी मार्ग ओर अलग-अलग स्थानों पर भी व्यवस्था रहेगी।
आदिवासी धुलिया जनजाति गुदुम बाजा शाही सवारी में होगा शामिल
श्री महाकालेश्वर भगवान की सातवें सोमवार की सवारी में भी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की मंशानुरूप जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद के माध्यम से भगवान श्री महाकालेश्वर जी की सवारी में जनजातीय कलाकारों का दल भी सहभागिता करेगा। 2 सितम्बर सातवें सोमवार सवारी के क्रम में प्रमुख (शाही) सवारी में मध्यप्रदेश के लालपुर, डिंडोरी जिले का आदिवासी धुलिया जनजाति गुदुम बाजा लोक नर्तक दल श्री दिनेश कुमार भार्वे के नेतृत्व में पालकी के आगे भजन मंडलियों के साथ अपनी प्रस्तुति देते हुए चलेगा। गुदुम बाजा मध्यप्रदेश के डिंडोरी, मंडला, शहडोल आदि जिलो में रहने वाले जनजातियों का अत्यन्त पारम्परिक वाद्य है | गुदुम बाजा वाद्य के साथ किए जाने वाले मध्यप्रदेश के गौंड जनजातियों के नृत्य और भी आकर्षक लगते हैं। गुदुम बाजा जनजातीय समाज के मांगलिक उत्सवों, मडई मेला, धार्मिक उत्सवों इत्यादि अवसरों पर धुलिया जनजाति के पुरुष वर्ग द्वारा बजाया जाता है।
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