सांकेतिक तस्वीर - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us कुछ महीने पहले एक महिला ने महिला थाने के परिवार परामर्श केंद्र पर जाकर यह गुहार लगाई थी कि मेरे पति को मेरे साथ रहने दिया जाए, अभी मेरे पति को जबरदस्ती उनकी पहली पत्नी अपने साथ रखे हुए है। जबकि यह मेरा भी अधिकार है कि पति मेरे साथ रहे और मेरे बच्चों का भी लालन पालन करें। शिकायत के बाद परिवार परामर्श केंद्र ने महिला के पति और उसकी पहली पत्नी को परामर्श केंद्र पर बुलाया और उसे समझाइश दी, लेकिन स्थिति यह थी कि दोनों ही पत्नियां अपने पति को छोड़ना नहीं चाहती थी। उनकी सिर्फ और सिर्फ यही जिद थी कि पति उनके साथ रहे परिवार परामर्श केंद्र के न्यायालय में काफी समय तक इस मामले को लेकर सुनवाई हुई, लेकिन आखिर में यह फैसला लिया गया कि पति को दोनों पत्नियो को खुश रखना होगा और आधे महीने पहली पत्नी और आधे महीने दूसरी पत्नी के साथ रहना होगा। परिवार परामर्श केंद्र महिला थाने की प्रियंका सिंह परिहार ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ समय पहले एक महिला हमारे पास आई थी। जिसका कहना था कि मुझे अपना अधिकार दिलाओ मेरा पति मेरे साथ रहना तो चाहता है, लेकिन उसकी पहली पत्नी उसे मेरे पास नहीं आने देती मेरे भी दो बच्चे हैं। उन्हें भी अपने पिता की आवश्यकता है। महिला की बात सुनकर तुरंत उसके पति और पहली पत्नी को परिवार परामर्श केंद्र पर बुलाया गया था और उन्हें इस बात के लिए काफी समझाया गया कि पति और दोनो पत्नियां साथ मिलकर रहे लेकिन दोनों पत्नियां साथ रहने को तैयार नहीं थी और इस बात पर लड़ाई हुई थी कि पति सिर्फ और सिर्फ मेरे पास रहे। प्रियंका सिंह परिहार ने बताया कि इस मामले को लेकर काफी समझाइश दी गई लेकिन आखिर में यही फैसला लिया गया कि पति को आधे महीने पहली पत्नी तो आधे महीने दूसरी पत्नी के साथ रहना होगा। यह है दो पत्नियों का मामला  एक पति और दो पत्नियों का यह मामला कुछ इस प्रकार है कि घटिया में रहने वाले एक व्यक्ति कि कुछ वर्षों पूर्व बामोरा में रहने वाली महिला से पहली शादी हुई थी शादी के कुछ वर्षों बाद ही पति पत्नी के बीच कुछ ऐसा विवाद हुआ कि घर परिवार और समाज के लोगों के समझाने के बावजूद भी पति पत्नी साथ रहना नहीं चाहते थे, इसीलिए यह मामला न्यायालय तक पहुंच गया। न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल ही रही थी कि युवक ने एक अन्य महिला से दूसरी शादी कर ली। पूरे मामले में नया मोड़ उस समय आया जब लगभग 15 वर्षों बाद न्यायालय ने यह फैसला सुनाया की पहली पत्नी को युवक के साथ ही रहना पड़ेगा। न्यायालय का फैसला युवक के लिए इसलिए परेशानी बन गया क्योंकि वह तो पहले से ही अपनी दूसरी पत्नी के साथ रह रहा था। न्यायालय के आदेश के बाद पहली पत्नी भी उसके साथ रहने चली गई। कुछ समय तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन जब दोनों पत्नियों के बीच विवाद होना शुरू हुए तो दूसरी पत्नी इस लड़ाई के बाद उज्जैन अपने मायके आ गई और यहां उसी ने महिला थाने पहुंचकर इस पूरे मामले की शिकायत की थी।

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कुछ महीने पहले एक महिला ने महिला थाने के परिवार परामर्श केंद्र पर जाकर यह गुहार लगाई थी कि मेरे पति को मेरे साथ रहने दिया जाए, अभी मेरे पति को जबरदस्ती उनकी पहली पत्नी अपने साथ रखे हुए है। जबकि यह मेरा भी अधिकार है कि पति मेरे साथ रहे और मेरे बच्चों का भी लालन पालन करें। शिकायत के बाद परिवार परामर्श केंद्र ने महिला के पति और उसकी पहली पत्नी को परामर्श केंद्र पर बुलाया और उसे समझाइश दी, लेकिन स्थिति यह थी कि दोनों ही पत्नियां अपने पति को छोड़ना नहीं चाहती थी। उनकी सिर्फ और सिर्फ यही जिद थी कि पति उनके साथ रहे परिवार परामर्श केंद्र के न्यायालय में काफी समय तक इस मामले को लेकर सुनवाई हुई, लेकिन आखिर में यह फैसला लिया गया कि पति को दोनों पत्नियो को खुश रखना होगा और आधे महीने पहली पत्नी और आधे महीने दूसरी पत्नी के साथ रहना होगा।

परिवार परामर्श केंद्र महिला थाने की प्रियंका सिंह परिहार ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि कुछ समय पहले एक महिला हमारे पास आई थी। जिसका कहना था कि मुझे अपना अधिकार दिलाओ मेरा पति मेरे साथ रहना तो चाहता है, लेकिन उसकी पहली पत्नी उसे मेरे पास नहीं आने देती मेरे भी दो बच्चे हैं। उन्हें भी अपने पिता की आवश्यकता है। महिला की बात सुनकर तुरंत उसके पति और पहली पत्नी को परिवार परामर्श केंद्र पर बुलाया गया था और उन्हें इस बात के लिए काफी समझाया गया कि पति और दोनो पत्नियां साथ मिलकर रहे लेकिन दोनों पत्नियां साथ रहने को तैयार नहीं थी और इस बात पर लड़ाई हुई थी कि पति सिर्फ और सिर्फ मेरे पास रहे। प्रियंका सिंह परिहार ने बताया कि इस मामले को लेकर काफी समझाइश दी गई लेकिन आखिर में यही फैसला लिया गया कि पति को आधे महीने पहली पत्नी तो आधे महीने दूसरी पत्नी के साथ रहना होगा।

यह है दो पत्नियों का मामला 
एक पति और दो पत्नियों का यह मामला कुछ इस प्रकार है कि घटिया में रहने वाले एक व्यक्ति कि कुछ वर्षों पूर्व बामोरा में रहने वाली महिला से पहली शादी हुई थी शादी के कुछ वर्षों बाद ही पति पत्नी के बीच कुछ ऐसा विवाद हुआ कि घर परिवार और समाज के लोगों के समझाने के बावजूद भी पति पत्नी साथ रहना नहीं चाहते थे, इसीलिए यह मामला न्यायालय तक पहुंच गया। न्यायालय में इस मामले की सुनवाई चल ही रही थी कि युवक ने एक अन्य महिला से दूसरी शादी कर ली। पूरे मामले में नया मोड़ उस समय आया जब लगभग 15 वर्षों बाद न्यायालय ने यह फैसला सुनाया की पहली पत्नी को युवक के साथ ही रहना पड़ेगा। न्यायालय का फैसला युवक के लिए इसलिए परेशानी बन गया क्योंकि वह तो पहले से ही अपनी दूसरी पत्नी के साथ रह रहा था। न्यायालय के आदेश के बाद पहली पत्नी भी उसके साथ रहने चली गई। कुछ समय तक तो सब कुछ ठीक चलता रहा लेकिन जब दोनों पत्नियों के बीच विवाद होना शुरू हुए तो दूसरी पत्नी इस लड़ाई के बाद उज्जैन अपने मायके आ गई और यहां उसी ने महिला थाने पहुंचकर इस पूरे मामले की शिकायत की थी।

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