किसान के परिजन – फोटो : अमर उजाला
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प्रशासन ने हमें कोई नोटिस नहीं दिया और हमारी जमीन पर पहुंचकर जेसीबी के माध्यम से सोयाबीन की फसल को खराब कर दिया। हमने उनसे विनती किया कि इस फसल को हो जाने दीजिए, लेकिन फिर भी वह नहीं माने, जिस पर मेरे ताऊ ने कीटनाशक पीकर जान देने की कोशिश की है, जिन्हें अचेत अवस्था में उज्जैन के अस्पताल में लाया गया, जहां उनका उपचार जारी है।
यह पूरा मामला उज्जैन जिले के तहत आने वाले तराना तहसील का है। जहां पर तहसीलदार डीके वर्मा प्रशासनिक टीम के साथ निपानिया रोड पर कब्जा हटवाने पहुंचे थे। उन्होंने किसान नरेंद्र ठाकुर को इस जमीन से कब्जा हटाने को कहा, लेकिन इसके बावजूद भी जमीन पर सोयाबीन की फसल को दी गई थी, जिसे तहसीलदार की निगरानी में जेसीबी के माध्यम से तुरंत हटाया गया।
तहसीलदार जब प्रशासनिक अमले के साथ जेसीबी के माध्यम से सरकारी जमीन पर बोई गई फसल हटवा रहे थे तो यहां खड़े किसान नरेंद्र ठाकुर ने जहरीला पदार्थ पी लिया। इस पर उन्हें परिजनों द्वारा तुरंत सिविल अस्पताल तराना ले जाया गया, जहां से उन्हें उज्जैन रेफर कर दिया। यहां तेजनकर अस्पताल में उनका इलाज जारी है।
किसान जिंदगी और मौत के जंग लड़ रहा है। परिजन ने प्रशासनिक अधिकारी पर आरोप लगाते हुए बताया गया कि प्रशासन द्वारा राजनीतिक संरक्षण प्राप्त दबंगों के कहने पर कार्रवाई को अंजाम दिया है। अगर कोई घटना घटित होती है, जिसकी समस्त जवाबदारी तराना पुलिस और प्रशासन की रहेगी।
साल भर से जारी कर रखा है नोटिस…
इस मामले को लेकर जब तहसीलदार डीके वर्मा से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि शासकीय जमीन पर कई लोगों ने कब्जा कर लिया है, जिन्हें पिछले एक साल से नोटिस जारी कर कब्जा हटाने को कहा जा रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी कब्जाधारी मानने को तैयार नहीं हैं। हमने कोई फसल नष्ट नहीं किया, सिर्फ भूमि के किनारों से कुछ फसल को हटाया था कि कालेज के निर्माण का काम शुरू हो सके।
इस जमीन पर होना है कालेज का निर्माण…
बताया जाता है कि इस जमीन पर करोड़ों रुपयों की लागत से एक कालेज का निर्माण होने वाला है, जिसको लेकर ही प्रशासन इस तरह के कब्जा कर रहा है। लेकिन प्रशासन की इस कार्रवाई के दौरान यह घटना घटित हो गई, जिसमें किसान ने कीटनाशक पिया है।
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