विश्व प्रसिद्ध महाकाल की सवारी का इंतजार लाखों भक्तों को रहता है। आज सावन का पहला सोमवार है, और उज्जैन में महाकाल बाबा की पहली सवारी भी ठाट-बाट से निकाली गई। लाखों भक्त इस पवित्र आयोजन के साक्षी बने। भक्तों का सैलाब देखकर लग रहा था कि मानो ये शाही सवारी हो। रात करीब आठ बजे महाकाल की सवारी सभा मंडप पहुंची। जहां पूजन-अर्चन के बाद सवारी संपन्न हुई। अब अगली सवारी 17 जुलाई को निकलेगी।
08: 18 PM, 10-Jul-2023
महाकाल पहुंचे मनमहेश
नगर भ्रमण करने के बाद बाबा महाकाल पुनः मनमहेश स्वरूप में महाकाल मंदिर पहुंचे। यहां सभा मंडप में पंडितों द्वारा भगवान मनमहेश को स्थापित किए जाने के बाद परंपरागत पूजन किया गया। महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित महेश गुरु ने बताया कि सभा मंडप में हुए भगवान मनमहेश के पूजन के बाद मंदिर में बाबा महाकाल की सांध्य आरती शुरू हुई।
07: 01 PM, 10-Jul-2023
महाकाल की एक झलक पाने को बेताब दिखे भक्त। – फोटो : सोशल मीडिया
नगर भ्रमण के दौरान बाबा महाकाल की सवारी जब गोपाल मंदिर पहुंची तो यहां गोपाल मंदिर के पुजारी बाबा महाकाल का पूजन अर्चन करने के लिए मुख्य मार्ग पर आए। जहां उन्होंने पालकी में भगवान मनमहेश का पूजन अर्चन कर आरती की। इस दौरान हरि और हर का मिलन भी हुआ। याद रहे कि गोपाल मंदिर से बाबा महाकाल की सवारी पटनी बाजार, गुदरी चौराहा 24 खंबा मार्ग से होते हुए पुनः मंदिर पहुंचेगी।
कोई बना देव तो कोई बना दानव
भगवान भोलेनाथ के भक्त भी भोले ही होते हैं, उनका यही भोलापन बाबा महाकाल की सवारी में नजर आता है, क्योंकि इस सवारी में कुछ श्रद्धालु देवता का रूप धारण कर निकलते हैं तो कुछ भूत,पलीत और दानव बनकर। बाबा महाकाल की यह सवारी निराली ही होती है क्योंकि सवारी में कोई झांझ बजाता है तो कोई डमरू। हर कोई सवारी के दौरान अपनी ही मस्ती में मस्त रहता है और बाबा महाकाल का जय घोष करता दिखाई देता है। बाबा महाकाल की सवारी को देखने के लिए श्रद्धालु मध्यप्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देशभर से उज्जैन पहुंचते हैं और बाबा कि सवारी का दर्शन लाभ लेकर अपने आपको धन्य महसूस करते हैं।
पलक झपकते ही कलाकारों ने बनाई आकर्षक रंगोली
सवारी मार्ग पर बाबा महाकाल के आगमन के पहले कलाकार आकर्षक रंगोली बना रहे थे जो कि इतने कम समय में बनाई जा रही थी जिसे देखकर यह कहा जाए कि पलक झपकते ही कलाकार अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे। सवारी मार्ग पर बनाई जा रही इस रंगोली से चौराहे भी आकर्षक नजर आ रहे थे।
06: 30 PM, 10-Jul-2023
महाकाल की पहली ही सवारी में शाही सवारी जैसा माहौल नजर आया। – फोटो : सोशल मीडिया
ऐसा है बाबा महाकाल की सवारी का सफर
महाकाल की सवारी का स्वरूप हर दशक में बदलता रहा है। सवारी निकलने का सबसे पुराना प्रमाण 2100 साल पुराना शिलालेख है, 300 साल पहले सवारी को शाही स्वरूप मिला।
शिलालेख पर भी महाकाल सवारी
श्रावण में निकलने वाली महाकाल सवारी का अब तक का सबसे प्राचीन उल्लेख 2100 साल पुराने शिलालेख में होने का दावा है। पुराविद् डॉ. भगवतीलाल राजपुरोहित के अनुसार यह शिलालेख गढ़कालिका क्षेत्र से 25 साल पहले मिला था। लिपि शास्त्री डॉ.जगन्नाथ दुबे ने इस पर विक्रम, रुद्र, मोह लिखा बताया। इस पर नंदी पर शिव जाते दिख रहे हैं।
300 साल पहले हुआ था बदलाव
300 साल पहले सिंधिया वंशजों ने सवारी को शाही स्वरूप दिया। जब मंदिर का नव निर्माण कराया तभी से सवारी का नया स्वरूप शुरू हुआ। यह सवारी शाही खर्च और इंतजाम से निकलती थी, इसलिए भगवान को भी राजसी वैभव से भ्रमण की शुरुआत हुई। सवारी मराठा कैलेंडर के अनुसार अमावस्या से अमावस्या तक निकलती थी।
06: 19 PM, 10-Jul-2023
महाकाल की पहली सवारी में लाखों भक्त उमड़े। – फोटो : सोशल मीडिया
सवारी पहुंचने के बाद होगी संध्या आरती
रामघाट पर पूजन के उपरांत सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, ढाबा रोड, टंकी चौराहा गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए पुन: महाकाल मंदिर पहुंचेगी। इसके बाद संध्या आरती होगी। पहली सवारी में शाही सवारी जैसा माहौल नजर आया। 80 के दशक में सवारी मार्ग में बदलाव हुआ। लौटती सवारी पहले कमरी मार्ग से ही गोपाल मंदिर आ जाती थी। इसे टंकी चौक से छत्री चौक होकर गोपाल मंदिर लाने की शुरुआत हुई। पूर्व सांसद एसएन पंवार के अनुसार प्रमुख शाही सवारी को 2000 के दशक में तेलीवाड़ा, कंठाल होकर छत्री चौक की ओर लाने का क्रम शुरू हुआ।
06: 08 PM, 10-Jul-2023
महाकाल का मनमहेश स्वरूप – फोटो : अमर उजाला
700 पुलिस जवान और 350 वॉलिंटियर संभाल रहे सवारी की व्यवस्था
पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने बताया कि स्थानीय जनता और श्रद्धालुओं को असुविधा न हो इसीलिए सुरक्षा की दृष्टि से जितने भी बिन्दु हैं, वहां पर्याप्त इंतजाम किये गये हैं। सवारी की व्यवस्था में लगभग 700 पुलिस के जवान तैनात रहे। इसके अतिरिक्त 350 वॉलेंटियर्स भी सवारी की व्यवस्था संभाल रहे हैं।
750 सीसीटीवी कैमरों से नजर
महाकाल मंदिर व श्री महाकाल लोक में स्मार्ट सिटी द्वारा दस करोड़ रुपये की लागत से 500 से ज्यादा सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए है। इसके अलावा आर्टिफिशल इंटेलिजेंसी का भी उपयोग किया गया है। मंदिर समिति महाकाल परिसर, हरसिद्धि मंदिर क्षेत्र सवारी मार्ग में 250 सीसीटीवी कैमरे लगवाए गए है। इसके अलावा पुलिस के 108 स्थानों पर भी 511 सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। इनके माध्यम से भी पुलिस कंट्रोल रूम से नजर रखी जा रही है।
श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक एवं अपर कलेक्टर संदीप कुमार सोनी ने बताया कि भगवान श्री महाकालेश्वर की प्रथम सवारी ठाठ-बाट से परम्परागत मार्ग से निकाली जा रही है। पालकी में बाबा महाकाल भगवान मनमहेश के स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन देने के लिये नगर भ्रमण पर निकले हैं। सवारी शुरू होने के पूर्व भगवान श्री महाकालेश्वर के श्री मनमहेश स्वरूप का विधिवत पूजन-अर्चन शासकीय पुजारी पंडित घनश्याम शर्मा के द्वारा महाकाल मन्दिर के सभा मण्डप में करवाया गया जिसके बाद भगवान श्री मनमहेश पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकले।
05: 08 PM, 10-Jul-2023
सवारी मे राजसी वेशभूषा मे शामिल हुई मुस्कुराके मित्र मंडली – फोटो : सोशल मीडिया
सवारी मे राजसी वेशभूषा में शामिल हुई मुस्कुराके मित्र मंडली
भारतीय संस्कृति, सनातन इतिहास के विभिन्न राजशाही रूपों का प्रदर्शन श्री महाकालेश्वर की सवारी में मुस्कुराके मंडली द्वारा किया जाता रहा है। आज भी बाबा महाकाल की पहली सवारी पर भारतीय संस्कृति के मुस्कुराते इंद्र धनुषीय रूपों, राजसी धरोहरों को युवा तरुणाई एवं उत्सवधर्मियों को प्रदर्शित करते हुए निकले। स्वामी मुस्कुराके शैलेंद्र व्यास ने बताया कि राजसी वेषभूषाओं के लिए गुजरात, सूरत से वस्त्र एवं महाराष्ट्र मुंबई से पगड़ी बनवाई गई है। जिसमें सांस्कृतिक, पौराणिक व देशभक्ति के ऐतिहासिक महान व्यक्तित्वों की झलक दिखाई देती है। उन्होंने बताया कि दस विभिन्न सवारी में आज के सामयिक विषय बेटी बचाओं, सदभावना, स्वच्छ भारत स्वस्थ भारत, वंदे मातरम, महाकाल लोक, जय हिंद, तिरंगा ध्वज, नागराज, बाहुबली, लंकेश, मयूर, त्रिशूल, डमरू आदि के साथ सांस्कृतिक प्रदर्शन इसी प्रकार किया जाएगा। आज की सवारी में मुस्कुराके मंडली में स्वामी मुस्कुराके (शैलेंद्र व्यास), स्वामी खिलखिलाके (मनोहर गुप्ता नायक), स्वामी दिलमिलाके (पंडित दिनेश रावल), स्वामी लहराके (मोहित गेहलोत) गरिमामय रूप में मनोहारी प्रस्तुति प्रदान की।
04: 53 PM, 10-Jul-2023
शिप्रा तट पर मनमहेश स्वरूप का पूजन किया गया। – फोटो : अमर उजाला
शिप्रातट पर गूंज उठा जय श्री महाकाल
शिप्रा तट रामघाट पर जैसे ही बाबा महाकाल की सवारी पहुंची, वैसे ही दत्त अखाड़ा क्षेत्र और रामघाट क्षेत्र पर बाबा महाकाल के दर्शन करने के लिए उमड़े। श्रद्धालुओं ने बाबा की एक झलक देखने के साथ ही जय श्री महाकाल का उद्घोष किया। यहां पर बाबा महाकाल का मां शिप्रा के जल से पूजन अर्चन किया जाएगा। आरती की जाएगी और फिर सवारी यही से महाकाल मंदिर जाने के लिए फिर से शुरू होगी। महाकाल की पहली सवारी में लाखों भक्त उमड़े हैं।
04: 14 PM, 10-Jul-2023
महाकाल सवारी – फोटो : अमर उजाला
महाकाल को गार्ड ऑफ ऑनर
महाकालेश्वर मंदिर के सभा मंडप में बाबा महाकाल के मनमहेश स्वरूप का पूजन अर्चन करने के बाद बाबा महाकाल को चांदी की पालकी में विराजित किया गया। इसके बाद जय महाकाल के उद्घोष के साथ यह सवारी प्रारंभ हुई। सवारी मंदिर परिसर से होते हुए जैसे ही मंदिर के मुख्य गेट पर पहुंची। वैसे ही सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान श्री महेश को गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। बाबा महाकाल को सलामी देने की यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है।
04: 03 PM, 10-Jul-2023
महाकाल का विशेष पूजन कलेक्टर-एसपी और मंत्री ने किया। – फोटो : सोशल मीडिया
प्रशासन ने किया विशेष पूजन
बाबा महाकाल की पहली सवारी प्रारंभ होने के पहले सभा मंडप में बाबा महाकाल का विशेष पूजन अर्चन किया गया। उच्च शिक्षा मंत्री डॉ मोहन यादव, विधायक पारस जैन, कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम, एसपी सचिन शर्मा, श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक संदीप सोनी, महापौर मुकेश टटवाल के साथ ही अन्य प्रशासनिक अधिकारियों ने किया। भगवान के विशेष पूजन अर्चन और आरती के बाद चांदी की पालकी में बाबा महाकाल के मनमहेश स्वरूप को विराजमान किया गया। जिसके बाद बाबा महाकाल की पहली सवारी शुरू हुई।
03: 38 PM, 10-Jul-2023
सावन के पहले सोमवार रात ढाई बजे खुल गए थे महाकाल के पट। – फोटो : सोशल मीडिया
श्रावण मास के प्रथम सोमवार पर धर्मनगरी मे गूंजा जय श्री महाकाल
श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण मास के पहले सोमवार को रात 2: 30 बजे मंदिर के पट खुलने के बाद पुजारी, पुरोहितों ने जलाभिषेक कर भगवान महाकाल का भांग और सूखे मेवे से शृंगार कर भस्म आरती की। इस दौरान हजारों श्रद्धालुओं ने चलायमान दर्शन व्यवस्था के तहत बाबा महाकाल के दर्शनों का लाभ लिया। महाकाल मंदिर के पुजारी पं. ओम शर्मा ने बताया कि श्रावण माह के पहले सोमवार को महाकाल मंदिर के गर्भगृह में सर्वप्रथम बाबा महाकाल को जल से स्नान कराया गया। जिसके पश्चात भांग, अबीर, चन्दन से श्रृंगार कर मस्तक पर तिलक, आभूषण और नवीन वस्त्र अर्पित किये गए। पूजन के पश्चात महानिर्वाणी अखाड़ा महंत विनीत गिरी द्वारा भस्म अर्पित की गई। भस्म आरती में बाबा महाकाल के दर्शन करने के बाद श्रद्धालु यह कहते नजर आए कि श्रावण मास के प्रथम सोमवार को बाबा महाकाल के दर्शनों का लाभ लेकर हमारा जीवन धन्य हो गया। हम बाबा महाकाल के दर्शन तो करना चाहते थे लेकिन बाबा महाकाल हमें इस प्रकार से दर्शन देंगे, ऐसा हमने कभी नहीं सोचा था। आज ऐसा लग रहा है जैसे कोई हमारा बड़ा सपना साकार हो गया है।
03: 30 PM, 10-Jul-2023
Ujjain Mahakal Sawari Live: हरि और हर का हुआ मिलन, सभा मंडप पहुंचकर पहली सवारी का समापन दक्षिणमुखी भगवान श्री महाकालेश्वर की पहली सवारी कुछ ही देर में निकलेगी। भगवान श्री महाकालेश्वर की प्रथम सवारी ठाठ-बाट से परम्परागत मार्ग से निकाली जाएगी। बाबा पालकी में भगवान मनमहेश के स्वरूप में अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
भगवान की सवारी मन्दिर से अपने परंपरागत निर्धारित समय शाम चार बजे निकलेगी। मन्दिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा भगवान श्री मनमहेश को सलामी (गार्ड ऑफ ऑनर) दी जायेगी। पालकी महाकाल रोड, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होती हुई रामघाट पहुंचेगी। जहां शिप्रा नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन-अर्चन किया जायेगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मन्दिर, सत्यनारायण मन्दिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मन्दिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार से होती हुई पुन: श्री महाकालेश्वर मन्दिर पहुंचेगी।
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