ujjain-mahakal:-बाबा-महाकाल-की-भस्म-आरती…-भांग-और-चंदन-से-हुआ-शृंगार-पहनी-गुलाब-के-फूलों-की-माला
बाबा महाकाल की भस्म आरती। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर मे प्रतिदिन ही बाबा महाकाल का विभिन्न स्वरूपों में शृंगार किया जाता है, लेकिन आज भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का भांग और चंदन से शृंगार किया गया और उन्हें गुलाब के फूलों की माला भी पहनाई गई। इस दौरान चारो ओर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गई। भस्म आरती में आज भांग और चंदन से हुआ शृंगार। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरु ने बताया कि श्रावण कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आज शनिवार को सुबह 3 बजे भगवान वीरभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। उसके बाद सबसे पहले भगवान का शुद्ध जल से स्नान, पंचामृत स्नान करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। आज के शृंगार की विशेषता यह रही कि चतुर्दशी पर बाबा महाकाल का भांग और चंदन से शृंगार किया गया और उन्हें गुलाब के फूलों की माला से सजाया गया। शृंगार के दौरान उनके मस्तक पर चन्द्रमा लगाया गया और मस्तक पर नवीन मुकुट भी पहनाया गया। जिसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित की गई। इसके बाद पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गया। 

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बाबा महाकाल की भस्म आरती। – फोटो : अमर उजाला

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विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर मे प्रतिदिन ही बाबा महाकाल का विभिन्न स्वरूपों में शृंगार किया जाता है, लेकिन आज भस्म आरती के दौरान बाबा महाकाल का भांग और चंदन से शृंगार किया गया और उन्हें गुलाब के फूलों की माला भी पहनाई गई। इस दौरान चारो ओर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गई।

भस्म आरती में आज भांग और चंदन से हुआ शृंगार।

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी पंडित आशीष गुरु ने बताया कि श्रावण कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर आज शनिवार को सुबह 3 बजे भगवान वीरभद्र की आज्ञा लेकर मंदिर के पट खोले गए। उसके बाद सबसे पहले भगवान का शुद्ध जल से स्नान, पंचामृत स्नान करवाने के साथ ही केसर युक्त जल अर्पित किया गया। आज के शृंगार की विशेषता यह रही कि चतुर्दशी पर बाबा महाकाल का भांग और चंदन से शृंगार किया गया और उन्हें गुलाब के फूलों की माला से सजाया गया। शृंगार के दौरान उनके मस्तक पर चन्द्रमा लगाया गया और मस्तक पर नवीन मुकुट भी पहनाया गया। जिसके बाद महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भस्म अर्पित की गई। इसके बाद पूरा मंदिर परिसर जय श्री महाकाल की गूंज गुंजायमान हो गया। 

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