ujjain:-महाकाल-मंदिर-में-टूटी-परंपरा,-बाबा-महाकाल-के-जागने-के-पहले-ही-नंदी-हॉल-में-बैठ-गए-थे-श्रद्धालु
Ujjain: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में प्रतिदिन अलसुबह भस्म आरती की जाती है। इस दौरान वर्षों से कई परंपराओं का निर्वहन किया जाता है, लेकिन भस्म आरती के दौरान चांदी द्वार के गेट खोलने के पहले ही श्रद्धालुओं के बैठने पर पुजारी नाराज हो गए और उन्होंने इस परंपरा के टूटने पर कर्मचारियों पर जमकर नाराजगी जताई।  महाकाल मंदिर में टूटी परंपरा - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us पूरा मामला कुछ इस प्रकार है कि श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में होने वाली भस्म आरती के दौरान प्रतिदिन भगवान वीरभद्र जी से आज्ञा लेने के बाद सभा मंडप स्थित चांदी द्वार खोला जाता है और उसके बाद मंदिर के पुजारी गर्भगृह तक पहुंचते हैं। जहां बने चांदी द्वार को भी पूजन अर्चन के बाद खोला जाता है। जिसके बाद मंदिर में भगवान का पूजन अर्चन अभिषेक होता है और फिर कपूर आरती के बाद नंदी हॉल मे श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता है। जिसके बाद भस्म आरती की शुरुआत होती है, लेकिन रविवार की सुबह मंदिर में यह परंपरा टूट गई पुजारी और पुरोहितगण प्रतिदिन की तरह भगवान महाकाल की भस्मारती करने के लिए भगवान वीरभद्र से आज्ञा लेकर गर्भगृह की और पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गर्भगृह के पट खुलने के पहले ही नंदी हॉल में श्रद्धालु बैठे हुए थे। जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई और इस परंपरा को तोड़ने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली। इस बारे में जब महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन की तरह ही भक्तों को पट खोलने के बाद ही नंदी हॉल में प्रवेश दिया जाना था, लेकिन अचानक हुई बारिश के कारण भक्तों को यहां पर पहले बिठा दिया गया था। वैसे इस मामले को हमने संज्ञान में लिया है, जिसके बाद कर्मचारियों ने पुजारी से माफी भी मांग ली है।

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Ujjain: विश्व प्रसिद्ध बाबा महाकाल के दरबार में प्रतिदिन अलसुबह भस्म आरती की जाती है। इस दौरान वर्षों से कई परंपराओं का निर्वहन किया जाता है, लेकिन भस्म आरती के दौरान चांदी द्वार के गेट खोलने के पहले ही श्रद्धालुओं के बैठने पर पुजारी नाराज हो गए और उन्होंने इस परंपरा के टूटने पर कर्मचारियों पर जमकर नाराजगी जताई।  महाकाल मंदिर में टूटी परंपरा – फोटो : अमर उजाला

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पूरा मामला कुछ इस प्रकार है कि श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में होने वाली भस्म आरती के दौरान प्रतिदिन भगवान वीरभद्र जी से आज्ञा लेने के बाद सभा मंडप स्थित चांदी द्वार खोला जाता है और उसके बाद मंदिर के पुजारी गर्भगृह तक पहुंचते हैं। जहां बने चांदी द्वार को भी पूजन अर्चन के बाद खोला जाता है। जिसके बाद मंदिर में भगवान का पूजन अर्चन अभिषेक होता है और फिर कपूर आरती के बाद नंदी हॉल मे श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जाता है।

जिसके बाद भस्म आरती की शुरुआत होती है, लेकिन रविवार की सुबह मंदिर में यह परंपरा टूट गई पुजारी और पुरोहितगण प्रतिदिन की तरह भगवान महाकाल की भस्मारती करने के लिए भगवान वीरभद्र से आज्ञा लेकर गर्भगृह की और पहुंचे तो उन्होंने देखा कि गर्भगृह के पट खुलने के पहले ही नंदी हॉल में श्रद्धालु बैठे हुए थे। जिस पर उन्होंने आपत्ति जताई और इस परंपरा को तोड़ने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर डाली।

इस बारे में जब महाकालेश्वर मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल से चर्चा की गई तो उनका कहना था कि कर्मचारियों द्वारा प्रतिदिन की तरह ही भक्तों को पट खोलने के बाद ही नंदी हॉल में प्रवेश दिया जाना था, लेकिन अचानक हुई बारिश के कारण भक्तों को यहां पर पहले बिठा दिया गया था। वैसे इस मामले को हमने संज्ञान में लिया है, जिसके बाद कर्मचारियों ने पुजारी से माफी भी मांग ली है।

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