न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 17 Jul 2023 06: 03 PM IST
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Brihaspateshwar Mahadev: बाबा महाकाल की नगरी उज्जैन में एक ऐसा प्रसिद्ध शिव मंदिर है, जहां शिवलिंग के रूप में विराजमान भगवान बृहस्पतेश्वर महादेव ने पुजारी परिवार को स्वप्न दिया। उसके बाद मंदिर से वेदों एवं पुराणों में वर्णित शिवलिंग, नवग्रह, गणपति, भैरव और शीतला माता की प्रतिमा खुदाई के दौरान प्राप्त हुई थी। विधि-विधान से प्रतिमाओं को स्थापित किया गया और पूजन-अर्चन का क्रम अनवरत जारी है। बृहस्पतेश्वर महादेव मंदिर – फोटो : अमर उजाला
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बृहस्पतेश्वर महादेव की प्रतिमा अत्यंत चमत्कारी है, जिनके बारे में कहा जाता है कि यदि पांच गुरुवार तक व्रत रखकर भगवान का पूजन-अर्चन किया जाता है और उन्हें पीली वस्तु चढ़ाई जाती है तो सभी संकट दूर हो जाते हैं। गोलामंडी क्षेत्र में देवगुरु बृहस्पति की स्वयंभू प्रतिमा शिवलिंग सहित विराजमान है, जिसकी जानकारी देते हुए मंदिर के पुजारी पंडित आलोक शर्मा ने बताया कि वेद पुराणों मे जिस प्रकार से भगवान बृहस्पति के स्वरूप का वर्णन किया गया है। उसी प्रकार की प्रतिमा मंदिर में विराजमान है।
इस प्रतिमा में भगवान के हाथों में चार वेद ऋषि स्वरूप में है, जो कि उनकी सतत आराधना कर रहे हैं। पंडित आलोक शर्मा ने बताया कि देवगुरु बृहस्पति के मंदिर मे पांच गुरुवार तक उपवास रखकर भगवान का विशेष पूजन-अर्चन करने का विधान है। बताया जाता है कि इस दिन यदि निष्काम भाव से भगवान का पूजन-अर्चन कर उन्हें पीली वस्तु यानी कि हल्दी की गांठ, बेसन के लड्डू, दाल और पीला वस्त्र अर्पित किया जाता है तो विद्या, बुद्धि, धनधान्य, विवाह में, संतान में व्यापार व्यवसाय और कार्य क्षेत्र में विशेष उन्नति प्राप्त होती है।
क्योंकि भगवान बृहस्पति सभी देवताओं के गुरु और चारों वेदों के अधिष्ठाता देवता हैं, इसीलिए इनका पूजन-अर्चन करने से अन्य ग्रहों के प्रभाव का क्षमन हो जाता है। पंडित शर्मा ने बताया कि वैसे तो वर्ष भर मंदिर में भगवान का विशेष पूजन-अर्चन किया जाता है, लेकिन श्रावण मास के दौरान प्रतिदिन भगवान का विशेष पूजन-अर्चन और श्रृंगार किया जाता है। मंदिर में प्रति सोमवार और गुरुवार को भगवान का विशेष पूजन-अर्चन कर महाआरती की जा रही है।
मंदिर के बारे में यह है मान्यता…
मान्यता है कि जिनकी कुंडली में ग्रहों की स्थिति कमजोर होती है। वह इस मंदिर में आकर गुरुदेव का पूजन करें तो मनोकामनाएं अवश्य पूर्ण होती हैं। कुंडली मे गुरु बृहस्पति की स्थिति मजबूत होने पर धन-वैभव और यश-कीर्ति के साथ ही मनुष्य को ग्रहों से होने वाली बाधाओं से भी राहत मिलती है।
दशहरे पर निकलती है पालकी…
वर्ष में एक बार दशहरे पर गुरुदेव बृहस्पति की पालकी निकाली जाती है। पालकी गोलामंडी स्थित मंदिर से रामघाट तक जाती है। मां क्षिप्रा के जल से अभिषेक के बाद पूजन और आरती की जाती है। रावण दहन बाद पालकी पुन: पालकी मंदिर लौटती है।
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