न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Thu, 31 Aug 2023 03: 16 PM IST लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें Ujjain: धार्मिक नगरी उज्जैन में एक ऐसा शिवलिंग है जिसका पूजन अर्चन करने से भगवान शिव केअतिप्रिय गण घंटा को न सिर्फ एक श्राप से मुक्ति मिली थी, बल्कि उसकी कठोर तपस्या के कारण ही यह शिवलिंग श्री घंटेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ। श्री घंटेश्वर महादेव - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us 84 महादेव में 57 वां स्थान रखने वाले श्री घंटेश्वर महादेव की महिमा अपरंपार है। यह मंदिर कार्तिक चौक में स्थित जहां भगवान का काले  रंग का शिवलिंग है, जिसके दर्शन करने मात्र से ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। मंदिर में भगवान श्री घंटेश्वर महादेव के साथ ही माता पार्वती, भगवान श्री गणेश, कार्तिकेय स्वामी, हनुमान जी और भैरव की प्रतिमाएं अलग-अलग स्थानों पर विराजित हैं।  मंदिर के पुजारी पंडित योगेश द्विवेदी बताते हैं कि यह वही मंदिर है जिसका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंती खंड में देखने को मिलता है। मंदिर से एक कथा भी जुड़ी है, जिसके अनुसार भगवान शिव के अतिप्रिय गण घंटा ने एक दिन ब्रह्मलोक में जाने का सोचा जिसके बारे में उसने काफी कुछ सुन रखा था। इस लोक में जाने के लिए वह भगवान शिव को छोड़कर ब्रह्मलोक पहुंचा। जिसके कारण उसे ब्रह्मलोक में जाने की अनुमति नहीं मिली। लगभग एक साल तक वह ब्रह्मलोक में जाने का प्रयास करता रहा, लेकिन जब उसे कोई सफलता नहीं मिली, तो उसने एक दिन यहां से गुजर रहे नारद मुनि को अपना पूरा वृतांत सुनाया और कहा कि आप ब्रह्मा जी को मेरे आने की सूचना दीजिए। नारद जी ने शिव के गण घंटा की बात सुनी और वहां से आगे की ओर बढ़ गए, लेकिन उन्होंने घंटा द्वारा कही गई बात को भगवान ब्रह्मा जी की बजाय भगवान शिव को सुना दिया। जिससे भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने उसी समय अपने ही गण घंटा को यह श्राप दिया कि अब तुम यहां रहने लायक नहीं हो जाओ, अब तुम पृथ्वी पर जाकर नर्क की पीड़ा भोगो। भगवान शिव के श्राप के कारण घंटा नामक गण पृथ्वी पर आ गिरा। जब घंटा पृथ्वी पर आने के बाद प्रायश्चित कर रहा था, तब उसे तपस्या करते हुए कुछ ऋषि दिखाई दिए जिन्होंने गण की सारी बातें सुनने के बाद उसे बताया कि भगवान शिव दया के सागर हैं। महाकाल वन में एक ऐसा शिवलिंग है जिनकी तपस्या करने से तुम्हारे सभी कष्टों का नाश हो जाएगा। गण ने ऋषि-मुनियों द्वारा बताए गए उपाय पर चलकर कार्तिक चौक स्थित इसी शिवलिंग की कठोर तपस्या की, जिसका फलस्वरूप उसके साथ कष्ट समाप्त हो गए और उसे पापों से मुक्ति मिल गई। यह शिवलिंग गण घंटा के नाम पर ही श्री घंटेश्वर महादेव के रूप में प्रसिद्ध हो गया। पंडित योगेश द्विवेदी का कहना है कि यदि घंटेश्वर महादेव के सच्चे मन से पूजन अर्चन और दर्शन किए जाते हैं तो हमारे सभी जन्मों के पाप ना सिर्फ नष्ट हो जाते हैं बल्कि हमारे सारे मनोरथ भी पूर्ण हो जाते हैं। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Thu, 31 Aug 2023 03: 16 PM IST

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Ujjain: धार्मिक नगरी उज्जैन में एक ऐसा शिवलिंग है जिसका पूजन अर्चन करने से भगवान शिव केअतिप्रिय गण घंटा को न सिर्फ एक श्राप से मुक्ति मिली थी, बल्कि उसकी कठोर तपस्या के कारण ही यह शिवलिंग श्री घंटेश्वर महादेव के नाम से विख्यात हुआ। श्री घंटेश्वर महादेव – फोटो : अमर उजाला

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84 महादेव में 57 वां स्थान रखने वाले श्री घंटेश्वर महादेव की महिमा अपरंपार है। यह मंदिर कार्तिक चौक में स्थित जहां भगवान का काले  रंग का शिवलिंग है, जिसके दर्शन करने मात्र से ही भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। मंदिर में भगवान श्री घंटेश्वर महादेव के साथ ही माता पार्वती, भगवान श्री गणेश, कार्तिकेय स्वामी, हनुमान जी और भैरव की प्रतिमाएं अलग-अलग स्थानों पर विराजित हैं। 

मंदिर के पुजारी पंडित योगेश द्विवेदी बताते हैं कि यह वही मंदिर है जिसका उल्लेख स्कंद पुराण के अवंती खंड में देखने को मिलता है। मंदिर से एक कथा भी जुड़ी है, जिसके अनुसार भगवान शिव के अतिप्रिय गण घंटा ने एक दिन ब्रह्मलोक में जाने का सोचा जिसके बारे में उसने काफी कुछ सुन रखा था। इस लोक में जाने के लिए वह भगवान शिव को छोड़कर ब्रह्मलोक पहुंचा। जिसके कारण उसे ब्रह्मलोक में जाने की अनुमति नहीं मिली। लगभग एक साल तक वह ब्रह्मलोक में जाने का प्रयास करता रहा, लेकिन जब उसे कोई सफलता नहीं मिली, तो उसने एक दिन यहां से गुजर रहे नारद मुनि को अपना पूरा वृतांत सुनाया और कहा कि आप ब्रह्मा जी को मेरे आने की सूचना दीजिए।

नारद जी ने शिव के गण घंटा की बात सुनी और वहां से आगे की ओर बढ़ गए, लेकिन उन्होंने घंटा द्वारा कही गई बात को भगवान ब्रह्मा जी की बजाय भगवान शिव को सुना दिया। जिससे भगवान शिव अत्यंत क्रोधित हुए और उन्होंने उसी समय अपने ही गण घंटा को यह श्राप दिया कि अब तुम यहां रहने लायक नहीं हो जाओ, अब तुम पृथ्वी पर जाकर नर्क की पीड़ा भोगो। भगवान शिव के श्राप के कारण घंटा नामक गण पृथ्वी पर आ गिरा। जब घंटा पृथ्वी पर आने के बाद प्रायश्चित कर रहा था, तब उसे तपस्या करते हुए कुछ ऋषि दिखाई दिए जिन्होंने गण की सारी बातें सुनने के बाद उसे बताया कि भगवान शिव दया के सागर हैं। महाकाल वन में एक ऐसा शिवलिंग है जिनकी तपस्या करने से तुम्हारे सभी कष्टों का नाश हो जाएगा। गण ने ऋषि-मुनियों द्वारा बताए गए उपाय पर चलकर कार्तिक चौक स्थित इसी शिवलिंग की कठोर तपस्या की, जिसका फलस्वरूप उसके साथ कष्ट समाप्त हो गए और उसे पापों से मुक्ति मिल गई। यह शिवलिंग गण घंटा के नाम पर ही श्री घंटेश्वर महादेव के रूप में प्रसिद्ध हो गया। पंडित योगेश द्विवेदी का कहना है कि यदि घंटेश्वर महादेव के सच्चे मन से पूजन अर्चन और दर्शन किए जाते हैं तो हमारे सभी जन्मों के पाप ना सिर्फ नष्ट हो जाते हैं बल्कि हमारे सारे मनोरथ भी पूर्ण हो जाते हैं।

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