ujjain:-कोठी-रोड-के-हरे-पेड़-काटने-के-खिलाफ-गांधीवादी-तरीके-से-प्रदर्शन,-पूछा-क्या-वृक्ष-काटकर-ही-विकास-संभव?
अमर उजाला, न्यूज डेस्क, उज्जैन Published by: उज्जैन ब्यूरो Updated Fri, 03 May 2024 08: 36 PM IST कोठी रोड तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर वर्षों पुराने हरे वृक्षों को काटे जाने की तैयारी है। शुक्रवार को इसका विरोध प्रात:कालीन भ्रमण करने वालों ने गांधीवादी तरीके से किया। कोठी रोड़ के हरे भरे पेड़ काटने के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से प्रर्दशन विस्तार Follow Us उज्जैन के कोठी रोड़ पर पेड़ काटने का काम शासन प्रारंभ करने जा रहा है, जिसे लेकर यहां मॉर्निंग वॉक करने आने वालों में खासा आक्रोश है। इसके विरोध में हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया गया। मॉर्निंग वॉक करने आने वालों ने कहा शहर में एकमात्र हरा भरा स्थान है जहां सुबह ऑक्सीजन लेने और शुद्ध हवा में घूमने लोग आते हैं, उस पर भी प्रशासन की टेढ़ी नजर है। पिछले 25 वर्षों से मॉर्निंग वॉक पर आने वाले लोगो ने बताया कि कालिदास अकादमी से कोठी रोड तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर वर्षों पुराने हरे वृक्षों को काटे जाने की तैयारी है। शुक्रवार को इसका विरोध प्रात:कालीन भ्रमण करने वालों ने गांधीवादी तरीके से किया। सुबह 7 बजे से कालिदास अकादमी से कोठी पैलेस तक वृक्ष बचाओ आंदोलन की तख्तियां लेकर खड़े रहे। अजीतसिंह ने कहा आने वाले सिंहस्थ को देखते हुए शहर की रोड का चौड़ीकरण बहुत जरूरी है उसके लिए अन्य रास्ते और नए रास्ते निकाले जा सकते हैं, किंतु उज्जैन शहर की आन बान शान कोठी रोड वृक्षों के कारण जो कई पीढ़ियों से आकर्षण का केंद्र है। बाहर से आए अतिथियों को उज्जैन के नागरिक एक बार कोठी रोड पर घुमाने ले जाते हैं और शान से कहते है देखी ऐसी खूबसूरत सड़क और पार्क, अब विकास के नाम पर उसकी बलि देने को तैयार है प्रशासन। उज्जैन की अधिकांश सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहती है, हमारी कोठी रोड। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वयं कुछ दिन पहले इसी कोठी रोड़ पर राहगीरी का आनंद उठाया था। क्या इन प्राणदाती वृक्षों को काटकर ही विकास संभव है...? प्रशासन से अनुरोध है कि अन्य जगह से रास्ता बनाएं, क्योंकि यदि इसी तरह पेड़ों की कटाई होती रही तो उज्जैन की हालत भी दिल्ली जैसी होने में देर नहीं लगेगी। पेड़ कटेगा, पानी घटेगा, पेड़ बूढ़ा ही सही आंगन में लगा रहने दो, फल न सही कोठी रोड़ पर हाथों में लोग तख्तियां लिए खड़े थे, जिनमें लिखा था पेड़ कटेगा, पानी घटेगा, पेड़ बूढ़ा ही सही आंगन में लगा रहने दो, फल न सही छांव तो देगा। लोगों ने जब कोठी रोड पर कटे हुए पेड़ पेड़ देखे तो उन कटे हुए पेड़ों में अपने शहर का और देश का भविष्य दिखाई दिया। सभी ने शासन प्रशासन से अनुरोध किया कि शहर की इस एकमात्र प्रकृति की गोद को उजड़ने से बचाया जाए। कोठी रोड़ के हरे भरे पेड़ काटने के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से प्रर्दशन कोठी रोड़ के हरे भरे पेड़ काटने के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से प्रर्दशन कोठी रोड़ के हरे भरे पेड़ काटने के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से प्रर्दशन रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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अमर उजाला, न्यूज डेस्क, उज्जैन Published by: उज्जैन ब्यूरो Updated Fri, 03 May 2024 08: 36 PM IST

कोठी रोड तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर वर्षों पुराने हरे वृक्षों को काटे जाने की तैयारी है। शुक्रवार को इसका विरोध प्रात:कालीन भ्रमण करने वालों ने गांधीवादी तरीके से किया। कोठी रोड़ के हरे भरे पेड़ काटने के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से प्रर्दशन

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उज्जैन के कोठी रोड़ पर पेड़ काटने का काम शासन प्रारंभ करने जा रहा है, जिसे लेकर यहां मॉर्निंग वॉक करने आने वालों में खासा आक्रोश है। इसके विरोध में हाथों में तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया गया। मॉर्निंग वॉक करने आने वालों ने कहा शहर में एकमात्र हरा भरा स्थान है जहां सुबह ऑक्सीजन लेने और शुद्ध हवा में घूमने लोग आते हैं, उस पर भी प्रशासन की टेढ़ी नजर है।

पिछले 25 वर्षों से मॉर्निंग वॉक पर आने वाले लोगो ने बताया कि कालिदास अकादमी से कोठी रोड तक सड़क चौड़ीकरण के नाम पर वर्षों पुराने हरे वृक्षों को काटे जाने की तैयारी है। शुक्रवार को इसका विरोध प्रात:कालीन भ्रमण करने वालों ने गांधीवादी तरीके से किया। सुबह 7 बजे से कालिदास अकादमी से कोठी पैलेस तक वृक्ष बचाओ आंदोलन की तख्तियां लेकर खड़े रहे।

अजीतसिंह ने कहा आने वाले सिंहस्थ को देखते हुए शहर की रोड का चौड़ीकरण बहुत जरूरी है उसके लिए अन्य रास्ते और नए रास्ते निकाले जा सकते हैं, किंतु उज्जैन शहर की आन बान शान कोठी रोड वृक्षों के कारण जो कई पीढ़ियों से आकर्षण का केंद्र है। बाहर से आए अतिथियों को उज्जैन के नागरिक एक बार कोठी रोड पर घुमाने ले जाते हैं और शान से कहते है देखी ऐसी खूबसूरत सड़क और पार्क, अब विकास के नाम पर उसकी बलि देने को तैयार है प्रशासन। उज्जैन की अधिकांश सामाजिक गतिविधियों का केंद्र रहती है, हमारी कोठी रोड। मुख्यमंत्री मोहन यादव ने स्वयं कुछ दिन पहले इसी कोठी रोड़ पर राहगीरी का आनंद उठाया था। क्या इन प्राणदाती वृक्षों को काटकर ही विकास संभव है…? प्रशासन से अनुरोध है कि अन्य जगह से रास्ता बनाएं, क्योंकि यदि इसी तरह पेड़ों की कटाई होती रही तो उज्जैन की हालत भी दिल्ली जैसी होने में देर नहीं लगेगी।

पेड़ कटेगा, पानी घटेगा, पेड़ बूढ़ा ही सही आंगन में लगा रहने दो, फल न सही
कोठी रोड़ पर हाथों में लोग तख्तियां लिए खड़े थे, जिनमें लिखा था पेड़ कटेगा, पानी घटेगा, पेड़ बूढ़ा ही सही आंगन में लगा रहने दो, फल न सही छांव तो देगा। लोगों ने जब कोठी रोड पर कटे हुए पेड़ पेड़ देखे तो उन कटे हुए पेड़ों में अपने शहर का और देश का भविष्य दिखाई दिया। सभी ने शासन प्रशासन से अनुरोध किया कि शहर की इस एकमात्र प्रकृति की गोद को उजड़ने से बचाया जाए।

कोठी रोड़ के हरे भरे पेड़ काटने के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से प्रर्दशन

कोठी रोड़ के हरे भरे पेड़ काटने के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से प्रर्दशन

कोठी रोड़ के हरे भरे पेड़ काटने के खिलाफ गाँधीवादी तरीके से प्रर्दशन

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