tikamgarh-news:-टीकमगढ़-शहर-के-चर्चित-अग्निकांड-में-मनोज-जैन-को-पुलिस-ने-किया-गिरफ्तार,-जानें-पूरा-मामला
आरोपी मनोज जैन - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us टीकमगढ़ शहर के नगर भवन के सामने एंपोरियम में 24 जुलाई की सुबह आग लग गई थी। इस आगजनी में जहां लाखों का सामान जलकर राख हो गया था। वहीं, बुजुर्ग दंपती देवेंद्र और उनकी पत्नी सुलोचना की मौत हो गई थी। घटना के पांच दिन बाद उनकी कनाडा से बेटी सोनल और उनके पति नितिन टीकमगढ़ पहुंचे तो उन्होंने इस घटना को रहस्यमय बताया और कहा कि उनके चचेरे भाई ने मेरे मां-बाप को न तो बचाने का प्रयास किया और न ही उनको बाहर निकाला। जबकि मनोज अपनी पत्नी बच्चे और मां को लेकर बाहर आ गया था। टीकमगढ़ पुलिस कोतवाली के प्रभारी आनंद राज ने बताया कि घटना के समय मनोज जैन द्वारा अपने चाचा देवेंद्र और चाची सुलोचना को न तो फोन लगाया गया और न ही बचाने का प्रयास किया गया। उन्होंने बताया कि इस मामले में मृतक बुजुर्ग दंपती की तीन बेटी सोनम नेहा और एक अन्य के बयान दर्ज किए गए। इसके साथ ही मनोज जैन और मृतक देवेंद्र जैन के मोबाइल को भी सर्च किया गया, जिसमें पता चला कि आग लगने के बाद मनोज ने अपने घर में चाचा को फोन नहीं किया न उन्हें सूचित किया। इसके बाद इस मामले में मनोज जैन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या 105 बीएनएस का मामला दर्ज कर शुक्रवार दोपहर मनोज जैन को गिरफ्तार कर लिया है और उन्हें न्यायालय में पेश करने के बाद न्यायालय ने जेल भेज दिया है। चर्चित रही थी आगजनी की घटना आरोपी मनोज जैन एंपोरियम की दुकान चलाता था और उसका गोदाम था। ग्राउंड लेवल पर गोदाम में आग लगने से जहां लाखों का नुकसान हुआ था। वहीं, प्रशासन को परेशान होना पड़ा था। 12 घंटे प्रयास के बाद इस आग पर काबू पाया गया था। टीकमगढ़ कलेक्टर के प्रयास से जब आर्मी को झांसी से बुलाया गया, तब इस आग पर काबू पाया गया था। टीकमगढ़ जिले की 10 फायर ब्रिगेड भी लगी थी। लेकिन आग बुझाने में सफल नहीं हुई थी। इसके बाद बीना रिफाइनरी और झांसी से आर्मी की टीम पहुंची तब आग पर काबू पाया गया था। पहली मंजिल पर रहते थे चाची-चाचा मृतक देवेंद्र और उनकी धर्मपत्नी सुलोचना पहली मंजिल पर रहते थे। ग्राउंड लेवल पर गोदाम और दुकान थी। जबकि दूसरी मंजिल पर उनका भतीजा मनोज उसकी मां, पत्नी और बच्चे रहते थे। सुबह छह बजे के आसपास पड़ोस की रहने वाली और पार्षद रजनी जयसवाल ने मनोज को फोन लगाया। मनोज छत पर आया और उसने रजनी से बात की, इसके बाद पीछे के गेट से वह अपनी पत्नी बच्चे और मां को नीचे लिया है। लेकिन उसने न तो अपने चाचा को फोन किया और नीचे आकर रोने लगा, तब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था।

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आरोपी मनोज जैन – फोटो : अमर उजाला

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टीकमगढ़ शहर के नगर भवन के सामने एंपोरियम में 24 जुलाई की सुबह आग लग गई थी। इस आगजनी में जहां लाखों का सामान जलकर राख हो गया था। वहीं, बुजुर्ग दंपती देवेंद्र और उनकी पत्नी सुलोचना की मौत हो गई थी। घटना के पांच दिन बाद उनकी कनाडा से बेटी सोनल और उनके पति नितिन टीकमगढ़ पहुंचे तो उन्होंने इस घटना को रहस्यमय बताया और कहा कि उनके चचेरे भाई ने मेरे मां-बाप को न तो बचाने का प्रयास किया और न ही उनको बाहर निकाला। जबकि मनोज अपनी पत्नी बच्चे और मां को लेकर बाहर आ गया था।

टीकमगढ़ पुलिस कोतवाली के प्रभारी आनंद राज ने बताया कि घटना के समय मनोज जैन द्वारा अपने चाचा देवेंद्र और चाची सुलोचना को न तो फोन लगाया गया और न ही बचाने का प्रयास किया गया। उन्होंने बताया कि इस मामले में मृतक बुजुर्ग दंपती की तीन बेटी सोनम नेहा और एक अन्य के बयान दर्ज किए गए। इसके साथ ही मनोज जैन और मृतक देवेंद्र जैन के मोबाइल को भी सर्च किया गया, जिसमें पता चला कि आग लगने के बाद मनोज ने अपने घर में चाचा को फोन नहीं किया न उन्हें सूचित किया। इसके बाद इस मामले में मनोज जैन के खिलाफ गैर इरादतन हत्या 105 बीएनएस का मामला दर्ज कर शुक्रवार दोपहर मनोज जैन को गिरफ्तार कर लिया है और उन्हें न्यायालय में पेश करने के बाद न्यायालय ने जेल भेज दिया है।

चर्चित रही थी आगजनी की घटना
आरोपी मनोज जैन एंपोरियम की दुकान चलाता था और उसका गोदाम था। ग्राउंड लेवल पर गोदाम में आग लगने से जहां लाखों का नुकसान हुआ था। वहीं, प्रशासन को परेशान होना पड़ा था। 12 घंटे प्रयास के बाद इस आग पर काबू पाया गया था। टीकमगढ़ कलेक्टर के प्रयास से जब आर्मी को झांसी से बुलाया गया, तब इस आग पर काबू पाया गया था। टीकमगढ़ जिले की 10 फायर ब्रिगेड भी लगी थी। लेकिन आग बुझाने में सफल नहीं हुई थी। इसके बाद बीना रिफाइनरी और झांसी से आर्मी की टीम पहुंची तब आग पर काबू पाया गया था।

पहली मंजिल पर रहते थे चाची-चाचा
मृतक देवेंद्र और उनकी धर्मपत्नी सुलोचना पहली मंजिल पर रहते थे। ग्राउंड लेवल पर गोदाम और दुकान थी। जबकि दूसरी मंजिल पर उनका भतीजा मनोज उसकी मां, पत्नी और बच्चे रहते थे। सुबह छह बजे के आसपास पड़ोस की रहने वाली और पार्षद रजनी जयसवाल ने मनोज को फोन लगाया। मनोज छत पर आया और उसने रजनी से बात की, इसके बाद पीछे के गेट से वह अपनी पत्नी बच्चे और मां को नीचे लिया है। लेकिन उसने न तो अपने चाचा को फोन किया और नीचे आकर रोने लगा, तब तक आग ने विकराल रूप धारण कर लिया था।

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