tax:-इंदौर-के-व्यापारियों-ने-निर्मला-सीतारमण-को-याद-दिलाया-सरकार-का-वादा,-बोले-मंडी-टैक्स-कब-खत्म-होगा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Mon, 24 Jun 2024 06: 47 AM IST केन्द्रीय बजट 2024-25 में महत्वपूर्ण संशोधन/परिवर्तन करने के संबंध में मीटिंग हुई, इंदौर के व्यापारियों ने रखी अपनी बात   दिल्ली में हुई मीटिंग। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर विस्तार Follow Us वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय बजट 2024-25 को जल्द लागू किया जाएगा। इससे पहले सरकार ने आमंत्रित सुझावों एवं प्रस्तावों पर विचार-विमर्श के लिए मीटिंग आयोजित की। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी अध्यक्षता की। दिल्ली में हुई इस मीटिंग में इंदौर के व्यापारियों ने निर्मला सीतारमण को दाल मिलों से जुड़ी परेशानियों अवगत करवाया और व्यापारियों की मांगे पूरी करने का अनुरोध किया। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन की ओर से संस्था के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल और संस्था के वरिष्ठ सदस्य रूपेश राठी (अकोला) भी इसमें सम्मिलित हुए। देश के 14 व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे।  इंदौर दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी लागू करते वक्त सरकार ने "एक देश एक टैक्स" का कहा था, जीएसटी प्रारंभ होने के बाद स्पष्ट था कि मंडी शुल्क व अन्य टैक्स समाप्त कर दिए जाएंगे, किन्तु आज भी देश के अनेक राज्यों में मंडी शुल्क अलग-अलग दर से वसूला जा रहा है। अतः अनुरोध है की मंडी शुल्क की दरे सम्पूर्ण देश में एक समान 0.50 पैसा प्रति सैकड़ा किया जाना चाहिए। दाल इंडस्ट्रीज दालों को क्लीन करने के लिए विदेशों से जो कलर सॉरटेक्स मशीन खरीदती हैं, जिसका उपयोग आम उपभोक्ताओं को बेस्ट क्वालिटी की दालें उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। उन आयात होने वाली कलर सॉरटेक्स मशीनों पर भी इम्पोर्ट ड्यूटी समाप्त करने का अनुरोध हमने किया है। सुरेश अग्रवाल ने बताया कि हमने मप्र में लग रही अधिक मंडी शुल्क के विषय में भी वित्त मंत्री को जानकारी दी।  वर्तमान में देश के विभिन्न राज्यों में मंडी शुल्क की दर निम्नानुसार है- राज्य - मंडी शुल्क की दर मध्यप्रदेश - 1.20% राजस्थान - 1.60% महाराष्ट्र - 0.80% गुजरात - 0.50% बिहार - 0.00% दिल्ली - 0.00% संस्था की ओर से वित्त मंत्रालय को यह सुझाव एवं प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए गए - 1. भारत में आयकर (INCOME TAX) की दर 30% + शिक्षा उपकर + सरचार्ज सहित बहुत अधिक है, जिससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) आयकर दाताओं पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है. इसे कम करके 20% किया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि देश में आयकर के अतिरिक्त भी सभी राज्यों में अनेक प्रकार के कर (TAX) लगे हुए हैं, जैसे जीएसटी (जीएसटी में सभी प्रकार के व्यापार में जीएसटी की दरे अलग अलग है), प्रोफेशनल टैक्स, स्थानीय नगर निगम नगर परिषद के संपत्ति कर (PROPERTY TAX), चुंगी कर (OCTROI DUTY), पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी, कृषि उपज पर मंडी शुल्क और प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी सहित विभिन्न प्रकार के टैक्स का वहन व्यापारियों को करना पड़ता है, अतः आयकर की दरों में कमी की जाए। 2. इसके अतिरिक्त देश के राष्ट्रीयकृत बैंक, प्राइवेट बैंक एवं को-आपरेटिव बैंको में ब्याज दरों (INTEREST RATES) में भी कमी करने की आवश्यकता है, सभी बैंकों में ब्याज की दर विशेष रूप से निर्धारित होना चाहिए। देश की दाल इंडस्ट्रीज, अन्य उद्योगों और व्यापारियों के विभिन्न खाते जैसे केश क्रेडिट लिमिट खाता (CC LIMIT), बुक डेब्ट्स खाता लिमिट खाता, टर्म लोन लिमिट खाता एवं अन्य लोन खाते विभिन्न बैंको में रहते हैं, जिस पर ब्याज की दरें उच्चतम स्तर की हैं। ब्याज दर कम करके 6% किए जाने का अनुरोध है। साथ ही बैंक द्वारा विभिन्न प्रकार के शुल्क भी खातों में लगाए जाते है, उन्हें भी कम किया जाना चाहिए। बैंकों की ब्याज दरें अधिक होने से इसका अतिरिक्त भार भी उद्योगों और व्यापारियों पर पड़ रहा है और खर्च बढ़ता जा रहा है। ब्याज महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि उद्योग चलेंगे तो देश मे रोजगार के अवसर पैदा होंगे, साथ ही सरकार को भी राजस्व मिल सकेगा। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Mon, 24 Jun 2024 06: 47 AM IST

केन्द्रीय बजट 2024-25 में महत्वपूर्ण संशोधन/परिवर्तन करने के संबंध में मीटिंग हुई, इंदौर के व्यापारियों ने रखी अपनी बात
  दिल्ली में हुई मीटिंग। – फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर

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वित्त मंत्रालय भारत सरकार द्वारा केन्द्रीय बजट 2024-25 को जल्द लागू किया जाएगा। इससे पहले सरकार ने आमंत्रित सुझावों एवं प्रस्तावों पर विचार-विमर्श के लिए मीटिंग आयोजित की। केन्द्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने इसकी अध्यक्षता की। दिल्ली में हुई इस मीटिंग में इंदौर के व्यापारियों ने निर्मला सीतारमण को दाल मिलों से जुड़ी परेशानियों अवगत करवाया और व्यापारियों की मांगे पूरी करने का अनुरोध किया। ऑल इंडिया दाल मिल एसोसिएशन की ओर से संस्था के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल और संस्था के वरिष्ठ सदस्य रूपेश राठी (अकोला) भी इसमें सम्मिलित हुए। देश के 14 व्यापारिक संगठनों के प्रतिनिधि मौजूद थे। 

इंदौर दाल मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेश अग्रवाल ने बताया कि जीएसटी लागू करते वक्त सरकार ने “एक देश एक टैक्स” का कहा था, जीएसटी प्रारंभ होने के बाद स्पष्ट था कि मंडी शुल्क व अन्य टैक्स समाप्त कर दिए जाएंगे, किन्तु आज भी देश के अनेक राज्यों में मंडी शुल्क अलग-अलग दर से वसूला जा रहा है। अतः अनुरोध है की मंडी शुल्क की दरे सम्पूर्ण देश में एक समान 0.50 पैसा प्रति सैकड़ा किया जाना चाहिए। दाल इंडस्ट्रीज दालों को क्लीन करने के लिए विदेशों से जो कलर सॉरटेक्स मशीन खरीदती हैं, जिसका उपयोग आम उपभोक्ताओं को बेस्ट क्वालिटी की दालें उपलब्ध कराने के लिए किया जाता है। उन आयात होने वाली कलर सॉरटेक्स मशीनों पर भी इम्पोर्ट ड्यूटी समाप्त करने का अनुरोध हमने किया है। सुरेश अग्रवाल ने बताया कि हमने मप्र में लग रही अधिक मंडी शुल्क के विषय में भी वित्त मंत्री को जानकारी दी। 

वर्तमान में देश के विभिन्न राज्यों में मंडी शुल्क की दर निम्नानुसार है-

राज्य – मंडी शुल्क की दर
मध्यप्रदेश – 1.20%
राजस्थान – 1.60%
महाराष्ट्र – 0.80%
गुजरात – 0.50%
बिहार – 0.00%
दिल्ली – 0.00%

संस्था की ओर से वित्त मंत्रालय को यह सुझाव एवं प्रस्ताव भी प्रस्तुत किए गए –

1. भारत में आयकर (INCOME TAX) की दर 30% + शिक्षा उपकर + सरचार्ज सहित बहुत अधिक है, जिससे सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (MSME) आयकर दाताओं पर अतिरिक्त भार पड़ रहा है. इसे कम करके 20% किया जाना चाहिए। इसका कारण यह है कि देश में आयकर के अतिरिक्त भी सभी राज्यों में अनेक प्रकार के कर (TAX) लगे हुए हैं, जैसे जीएसटी (जीएसटी में सभी प्रकार के व्यापार में जीएसटी की दरे अलग अलग है), प्रोफेशनल टैक्स, स्थानीय नगर निगम नगर परिषद के संपत्ति कर (PROPERTY TAX), चुंगी कर (OCTROI DUTY), पेट्रोल-डीजल पर जीएसटी, कृषि उपज पर मंडी शुल्क और प्रॉपर्टी खरीदने पर स्टाम्प ड्यूटी सहित विभिन्न प्रकार के टैक्स का वहन व्यापारियों को करना पड़ता है, अतः आयकर की दरों में कमी की जाए।

2. इसके अतिरिक्त देश के राष्ट्रीयकृत बैंक, प्राइवेट बैंक एवं को-आपरेटिव बैंको में ब्याज दरों (INTEREST RATES) में भी कमी करने की आवश्यकता है, सभी बैंकों में ब्याज की दर विशेष रूप से निर्धारित होना चाहिए। देश की दाल इंडस्ट्रीज, अन्य उद्योगों और व्यापारियों के विभिन्न खाते जैसे केश क्रेडिट लिमिट खाता (CC LIMIT), बुक डेब्ट्स खाता लिमिट खाता, टर्म लोन लिमिट खाता एवं अन्य लोन खाते विभिन्न बैंको में रहते हैं, जिस पर ब्याज की दरें उच्चतम स्तर की हैं। ब्याज दर कम करके 6% किए जाने का अनुरोध है। साथ ही बैंक द्वारा विभिन्न प्रकार के शुल्क भी खातों में लगाए जाते है, उन्हें भी कम किया जाना चाहिए। बैंकों की ब्याज दरें अधिक होने से इसका अतिरिक्त भार भी उद्योगों और व्यापारियों पर पड़ रहा है और खर्च बढ़ता जा रहा है। ब्याज महत्वपूर्ण नहीं होता, बल्कि उद्योग चलेंगे तो देश मे रोजगार के अवसर पैदा होंगे, साथ ही सरकार को भी राजस्व मिल सकेगा।

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