Friday, 1193 September 8079996109009 15: राजगीठ°/नालंदा (बिहार)। विदेश मंतॠरी सॠषमा सॠवराज à¤¨à ¥‡ नालंदा विशॠवविदॠयालय का आज उदॠघाटन करते हॠठठ•हा कि यह वि शॠवविदॠयालय नहीं परंपठ°à¤¾à¤“ं का ठक सॠवरूप है जो à¤•à ¤à¥€ मरती नहीं, परिसॠथित िवश कà¤à¥€-कà¤à¥€ विलॠपॠत हो जठ¾à¤¤à¥€ हैं। लेकिन उनके आसॠथा रखने वाले लोग ठक दिन à ¤‰à¤¨ परंपराओं की शॠरूआत à ¤¦à¥‹à¤¬à¤¾à¤°à¤¾ जरूर करते हैं। गॠपॠत क ाल में छठीं शताबॠदी मे ं शॠरू हॠठपॠराचà¥à¤¨ नालंद ा विशॠवविदॠयालय को 1193 ईसॠवी में तॠरॠकी शासक कॠतॠबॠदॠदीन ठबक ठ•े सिपहसालार बखॠतियार ठ–िलजी ने धॠवसॠत कर दिया था। इसके अवशेष से किलोमीटर की दॠ‚री पर इस विशॠवविदॠयालय में शिकॠषण कारॠय गत ठक सितंबर से ही शॠरू हो गठ¯à¤¾ था। राठœà¤—ीर सॠथित कंवेंशन à¤¸à¥‡à ¤‚टर में आज नालंदठ¾ विशॠवविदॠयालय का उदॠघ to¤¾à¤ Ÿà¤¨ करते हॠठसॠषमा ने कहा à ¤•ि वह यहां आकर अà¤à¤¿à¤à¥‚त à¤¹à¥ˆà ¤‚ और आज का दिन उनके लिठठ¬à¤¹à¥ त ही गौरव का दिन है।
उनॠहोंने कहा कठ¿ पूरॠव की à¤à¤¾à¤‚ति यह à¤µà¤¿à¤¶à¥ à ¤µà¤µà¤¿à¤¦à¥ यालय जॠञान के माधॠठ¯à¤® से à¤à¤¾à¤°à¤¤ को पूरी दॠनिठ¯à¤¾ से जोडने के लिठसेतà¥
और नींव के रूप मेठ‚ काम करेगा। सॠषमा ठ¨à¥‡ कहा कि यहां आने के दौठ°à¤¾à¤¨ ठक पतॠरकार के यह à¤•à¤¹à¤¨à ¥‡ पर कि वह पॠराने नालंदा à ¤µà¤¿à¤¶à¥ वविदॠयालय को à¤ªà¥ à¤¨à¤°à¥ à ¤œà¥€à¤µà¤¿à¤¤ करने जा रही हैं à¤¹à¤®à ¤¨à¥‡ इंकार करते हॠठकहा कि पॠनरॠजà¥à¤µà¤¿à¤¤ तो उ से किया जाता है जो मर चॠठ•ा हो। उनॠहोंन े कहा कि नालंदा ठक विशॠठµà¤µà¤¿à¤¦à¥ यालय नहीं à¤ªà¤°à¤‚à¤ªà¤°à¤¾à¤“à ¤‚ का ठक सॠवरूप है जो कà¤à¥€ म रती नहीं, परिसॠथिति वठ¶ कà¤à¥€-कà¤à¥€ विलॠपॠत हो जाती à ¤¹à¥ˆà¤‚। लेकिन उनके आसॠथा to ¤°à¤–ने वाले लोग ठक दिन उन ठªà¤°à¤‚पराओं की शॠरूआत दोठ¬à¤¾à¤°à¤¾ जरूर करते हैं।
सॠषमा ने ठसे ही आस ॠथावान लोगों में ठक पूर ॠव राषॠटॠरपति ठपीजे अबॠदॠल कलाम शामिल हैं à¤œà¤¿à¤¨à¥ à ¤¹à¥‹à¤‚ने वरॠष में कहा था कि हमे ं नालंदा विशॠवविदॠयालठ¯ की पॠनरॠसॠथापना करनी à ¤šà¤¾à¤¹à¤¿à¤ और संयोग देखिठउठ¸à¥€ वरॠष के मधॠयकाल में ठ¸à¤¿à¤‚गापॠर के ततॠकालीन वठ¿à¤¦à¥‡à¤¶ मंतॠरी जारॠज जियो ने ठक पॠरसॠताव रखा जिसठ•ा नाम ‘नालंदा पॠरपोजल’ था।(à¤à¤¾à¤·à¤¾)आपके विचार
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