sound-therapy:-ईयरफोन-से-गाने-सुनना-खतरनाक,-बच्चे-हो-रहे-बहरे,-दिमाग-पर-भी-हो-रहा-असर
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sat, 18 May 2024 11: 46 PM IST साउंड थैरेपिस्ट डॉक्टर सुजाता सिंघी ने पावर ऑफ साउंड के विषय पर चर्चा की। कई बीमारियों में इसका फायदा बताया।    प्रेस वार्ता में बात करतीं सुजाता सिंघी। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर विस्तार Follow Us संगीत शुरू से ही चिकित्सा के लिए बना है। संगीत में जितने भी राग हैं, सभी हमारे शरीर के लिए किसी न किसी तरह से हमारी बाॅडी को रिलेक्स करते हैं। यही कारण है कि कई बार आज के व्यस्त दौर में डॉक्टर हमें शोर से दूर रहने की सलाह देते हैं। वहीं जब हमारी सोच सही होती है बाॅडी भी शांत होती है और जब हमें एजाइंटी और टेंशन में होती है तो हमें समस्याएं होती हैं। इसीलिए जब साउंड एक्टिव होता है तो हमारी बाॅडी रिलेक्स होती है। इसी प्रकार से साउंड थैरेपी काम करती है और कई बीमारियों का इलाज साउंड थैरेपी से होता है। यह कहना है साउंड थैरेपिस्ट डॉक्टर सुजाता सिंघी का। जो पावर ऑफ साउंड, कट द बकवास सहित कई किताबें लिख चुकी है। वे अब तक 5 लाख से अधिक लोगों का जीवन साउंड थैरेपी के माध्यम से बदल चुकी हैं। डॉक्टर सुजाता सिंघी ने कहा कि जब से हम जन्म लेते हैं, तब से ही साउंड का हमारे जीवन में काफी महत्व रहता है। जब बच्चा पहली बार रोता है तब वह किस वर्ण में रोता है, उसके ऊपर ही उसकी जीवनी होती है। जैसे मशहूर म्युजिक डायरेक्टर पंचम दा का नाम उनके रोने के वर्ण पर ही पड़ा था। उन्होंने जब जन्म लिया था तब वें पंचम वर्ण में ही रोए थे। इसीलिए उनका नाम पंचम दा पड़ा था। इसीलिए कहा जाता है कि हमारे जीवन में ध्वनि बड़ी ही महत्वपूर्ण होती है। डॉक्टर सुजीता ने ईयरफोन और हेडफोन के ज्यादा इस्तेमाल को लेकर कहा कि जब ईयरफोन लगाकर कुछ सुनते हैं तो हमारे साउंड सीधा हमारे कानों में जाता है, जो नहीं जाना चाहिए। साउंड बाहर से होकर जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो यह हमारे कान और दिमाग पर सीधा असर करता है। यही कारण है कि आज के दौर में जो बच्चे ज्यादा देर ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो नसों में सूजन आ जाती है। सेंसेटिविटी खो जाती है और बहरे हो जाते हैं जैसी कई गंभीर समस्या होती है। इसीलिए जब आप ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो एक शेड्यूल का बनाएं ताकि इन बीमारियों से बच सकें। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sat, 18 May 2024 11: 46 PM IST

साउंड थैरेपिस्ट डॉक्टर सुजाता सिंघी ने पावर ऑफ साउंड के विषय पर चर्चा की। कई बीमारियों में इसका फायदा बताया। 
  प्रेस वार्ता में बात करतीं सुजाता सिंघी। – फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर

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संगीत शुरू से ही चिकित्सा के लिए बना है। संगीत में जितने भी राग हैं, सभी हमारे शरीर के लिए किसी न किसी तरह से हमारी बाॅडी को रिलेक्स करते हैं। यही कारण है कि कई बार आज के व्यस्त दौर में डॉक्टर हमें शोर से दूर रहने की सलाह देते हैं। वहीं जब हमारी सोच सही होती है बाॅडी भी शांत होती है और जब हमें एजाइंटी और टेंशन में होती है तो हमें समस्याएं होती हैं। इसीलिए जब साउंड एक्टिव होता है तो हमारी बाॅडी रिलेक्स होती है। इसी प्रकार से साउंड थैरेपी काम करती है और कई बीमारियों का इलाज साउंड थैरेपी से होता है। यह कहना है साउंड थैरेपिस्ट डॉक्टर सुजाता सिंघी का। जो पावर ऑफ साउंड, कट द बकवास सहित कई किताबें लिख चुकी है। वे अब तक 5 लाख से अधिक लोगों का जीवन साउंड थैरेपी के माध्यम से बदल चुकी हैं।

डॉक्टर सुजाता सिंघी ने कहा कि जब से हम जन्म लेते हैं, तब से ही साउंड का हमारे जीवन में काफी महत्व रहता है। जब बच्चा पहली बार रोता है तब वह किस वर्ण में रोता है, उसके ऊपर ही उसकी जीवनी होती है। जैसे मशहूर म्युजिक डायरेक्टर पंचम दा का नाम उनके रोने के वर्ण पर ही पड़ा था। उन्होंने जब जन्म लिया था तब वें पंचम वर्ण में ही रोए थे। इसीलिए उनका नाम पंचम दा पड़ा था। इसीलिए कहा जाता है कि हमारे जीवन में ध्वनि बड़ी ही महत्वपूर्ण होती है।

डॉक्टर सुजीता ने ईयरफोन और हेडफोन के ज्यादा इस्तेमाल को लेकर कहा कि जब ईयरफोन लगाकर कुछ सुनते हैं तो हमारे साउंड सीधा हमारे कानों में जाता है, जो नहीं जाना चाहिए। साउंड बाहर से होकर जाना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है तो यह हमारे कान और दिमाग पर सीधा असर करता है। यही कारण है कि आज के दौर में जो बच्चे ज्यादा देर ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो नसों में सूजन आ जाती है। सेंसेटिविटी खो जाती है और बहरे हो जाते हैं जैसी कई गंभीर समस्या होती है। इसीलिए जब आप ईयरफोन का इस्तेमाल करते हैं तो एक शेड्यूल का बनाएं ताकि इन बीमारियों से बच सकें।

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