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कर्मचारियों का प्रदर्शन - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us शिवपुरी में मंगलवार को आउटसोर्स कर्मचारियों ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्स कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक ज्ञापन दिया। प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन के माध्यम से आउटसोर्स कर्मचारियों ने नियमित कर उनके वेतन में बढ़ाने की मांग की। सीएम शिवराज के नाम से एक ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा गया। आउटसोर्स कर्मचारियों ने बताया कि सरकार द्वारा भुगतान संबंधित संस्थान या प्रमुख कंपनी को किया जाता है। फिर यह भुगतान आउटसोर्स कंपनी को किया जाता है। इसके पश्चात आउटसोर्स कंपनी कर्मचारियों को भुगतान करती है। इस स्थिति में कर्मचारी तक सरकार द्वारा कर्मचारी के नाम से किए गए भुगतान की सिर्फ आधी राशि ही पहुंचती है। शेष आधी राशि संस्थानों और कंपनी के कमीशन के रूप में डकार ली जाती है। प्राप्त वेतन से वर्तमान समय में परिवार का भरण-पोषण असंभव हो रहा है। बिचौलिया प्रथा खत्म हो आउटसोर्स कर्मचारियों ने अपने ज्ञापन के माध्यम से मांग रखी कि बिचौलिया प्रथा को खत्म कर सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों को विभागों में समायोजित (संविलियन) कर सीधा विभागों से वेतन दिया जाए, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक रूप से लाभ मिल सके। नियमित कर्मचारियों के समान आउटसोर्स कर्मचारियों को भी न्यूनतम वेतन प्रदान किया जाना चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों के कार्य दौरान दुर्घटना (मृत्यु) होने पर बीमा लाभ व अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जानी चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों को ग्रेच्यूटी की पात्रता दी जानी चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान अवकाश की पात्रता दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त आउटसोर्स कर्मचारियों ने उन्हें नियमतीकरण के संबंध में कोरोना योद्धाओं को प्राथमिकता दिए जाने की मांग की है। कोरोना में हमने काम किया, लेकिन सरकार ने नहीं ली सुध आउटसोर्स कर्मचारियों ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना में उन्होंने प्रथम पंक्ति में खड़े होकर जिस साहस व जिम्मेदारी के साथ, बिना अपनी व अपने परिवार की परवाह किए अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया था, उस समय सरकार के द्वारा भी कर्मचारियों को (कोरोना वॉरियर्स) कोरोना योद्धा का नाम देकर सम्मान दिया गया था। लेकिन आज वर्तमान में कोरोना योद्धाओं को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। क्योंकि न तो रोजगार का कोई स्थायी भरोसा मिला और न वेतन में कोई बढ़ोतरी हुई।

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कर्मचारियों का प्रदर्शन – फोटो : अमर उजाला

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शिवपुरी में मंगलवार को आउटसोर्स कर्मचारियों ने कलेक्टर कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। इस प्रदर्शन में मेडिकल कॉलेज के आउटसोर्स कर्मचारियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर एक ज्ञापन दिया। प्रदर्शन कर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन के माध्यम से आउटसोर्स कर्मचारियों ने नियमित कर उनके वेतन में बढ़ाने की मांग की। सीएम शिवराज के नाम से एक ज्ञापन कलेक्टर को सौंपा गया।

आउटसोर्स कर्मचारियों ने बताया कि सरकार द्वारा भुगतान संबंधित संस्थान या प्रमुख कंपनी को किया जाता है। फिर यह भुगतान आउटसोर्स कंपनी को किया जाता है। इसके पश्चात आउटसोर्स कंपनी कर्मचारियों को भुगतान करती है। इस स्थिति में कर्मचारी तक सरकार द्वारा कर्मचारी के नाम से किए गए भुगतान की सिर्फ आधी राशि ही पहुंचती है। शेष आधी राशि संस्थानों और कंपनी के कमीशन के रूप में डकार ली जाती है। प्राप्त वेतन से वर्तमान समय में परिवार का भरण-पोषण असंभव हो रहा है।

बिचौलिया प्रथा खत्म हो
आउटसोर्स कर्मचारियों ने अपने ज्ञापन के माध्यम से मांग रखी कि बिचौलिया प्रथा को खत्म कर सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों को विभागों में समायोजित (संविलियन) कर सीधा विभागों से वेतन दिया जाए, जिससे कर्मचारियों को आर्थिक रूप से लाभ मिल सके। नियमित कर्मचारियों के समान आउटसोर्स कर्मचारियों को भी न्यूनतम वेतन प्रदान किया जाना चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों के कार्य दौरान दुर्घटना (मृत्यु) होने पर बीमा लाभ व अनुकम्पा नियुक्ति प्रदान की जानी चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों को ग्रेच्यूटी की पात्रता दी जानी चाहिए। आउटसोर्स कर्मचारियों को नियमित कर्मचारियों के समान अवकाश की पात्रता दी जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त आउटसोर्स कर्मचारियों ने उन्हें नियमतीकरण के संबंध में कोरोना योद्धाओं को प्राथमिकता दिए जाने की मांग की है।

कोरोना में हमने काम किया, लेकिन सरकार ने नहीं ली सुध
आउटसोर्स कर्मचारियों ने बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना में उन्होंने प्रथम पंक्ति में खड़े होकर जिस साहस व जिम्मेदारी के साथ, बिना अपनी व अपने परिवार की परवाह किए अपने कर्तव्यों का निर्वाहन किया था, उस समय सरकार के द्वारा भी कर्मचारियों को (कोरोना वॉरियर्स) कोरोना योद्धा का नाम देकर सम्मान दिया गया था। लेकिन आज वर्तमान में कोरोना योद्धाओं को अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा है। क्योंकि न तो रोजगार का कोई स्थायी भरोसा मिला और न वेतन में कोई बढ़ोतरी हुई।

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