shivpuri:-पहले-दादाजी,-मां-पिता-और-भाई-साधु-बने-अब-दोनों-बहनों-को-आया-वैराग्य,15-नवंबर-को-जैनेश्वरी-दीक्षा
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिवपुरी Published by: दिनेश शर्मा Updated Wed, 28 Aug 2024 04: 14 PM IST एक ही परिवार के 6 सदस्य जिन मार्ग पर आगे बढ़ने वाले हो गए और इससे पहले ऐसा उदाहरण समाधिस्थ आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन में देखने को मिला था। जिनका पूरा परिवार संसार से नाता तोड़कर वैराग्यता की ओर बढ़ा। शिवपुरी के एक परिवार के दोनों बहनें मोक्षमार्ग पर आगे बढ़ेंगी। - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us शिवपुरी जिले की कोलारस में रहने वाली दो बहनें ब्रह्मचारिणी रिया दीदी और गुंजन दीदी। दोनों बहनों ने पहले अपने दादाजी, माता-पिता और भाई को जैन संत बनते देखा और अब ये दोनों बहनें भी मोक्षमार्ग पर आगे बढ़ गईं हैं और 15 नवंबर को दिल्ली में आचार्य विमर्शसागर महाराज से आर्यिका दीक्षा लेकर संयम पथ पर अग्रसर होंगी।  खास बात यह है कि एक ही परिवार के 6 सदस्य जिन मार्ग पर आगे बढ़ने वाले हो गए और इससे पहले ऐसा उदाहरण समाधिस्थ आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन में देखने को मिला था। जिनका पूरा परिवार संसार से नाता तोड़कर वैराग्यता की ओर बढ़ा। स्थानीय जैन समाज के लोगों का कहना है कि शिवपुरी में विशु दीदी सहित 13 नव दीक्षार्थी का संघ आया था और उनकी भक्तिभाव से विनौली निकली और गोद भराई हुई। अब 15 नवंबर को दिल्ली में चातुर्मास कर रहे आचार्य विमर्श सागर महाराज इन सभी को दीक्षा देकर संस्कार प्रदान करेंगे। शिवपुरी का यह सौभाग्य है कि पहली बार एक साथ 4 आर्यिका माताओं की दीक्षा हो रही है। हम सब के लिए यह गौरव का क्षण हैं। शिवपुरी छत्री जैन मंदिर पर हुई इन सबकी गोद भराई जिन 12 आर्यिका और एक मुनि दीक्षा आचार्य विमर्शसागर महाराज द्वारा होनी हैं उन सब 13 दीक्षार्थियों का नगर आगमन शिवपुरी में हुआ। छत्री जैन मंदिर पर पहले इन सबकी गोद भराई का कार्यक्रम आयोजित हुआ और इसके बाद नगर में धर्म साधकों की विनौली भी निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में जैन समाज के लोगों के साथ विभिन्न स्थानों से आए साधकों और समाजजनों ने भागीदारी की। आरंभ में दीप प्रज्वलन शिवपुरी विधायक देवेंद्र जैन, महामंत्री प्रकाश जैन, अशोक जैन, प्रवक्ता संजीव बांझल, प्रेमचंद जैन, पंडित ऋषभ जैन, एन के जैन, जिला पंचायत के एडीशनल सीइओ एमके जैन, वायके जैन, आनंद जैन और सूरज जैन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन संजीव बांझल द्वारा किया गया। जानिए इनके जीवन वृतांत  रिया दीदी और गुंजन दीदी, परिवार के सभी वैरागी तो खुद को रागी जीवन कैसे रुचता, इसलिए वैराग्य मार्ग चुना दोनों सगी बहनें हैं और रिया दीदी 25 साल की हैं और रिया ने हायरसेकेंड्री तक अध्ययन किया है। सिलाई कढ़ाई में वे निपुण हैं, जब भी शहर में किसी के यहां शादी होती थी तो मेहंदी लगाने वालों में सबसे अव्वल नाम रिया दीदी का आता था। जबकि गुंजन दीदी 29 साल ने बीए तक अध्ययन किया और वह जब अपने माता-पिता मुनि विश्वार्थ सागर, मां आर्यिका विनयांश्री, भाई मुनि विशुभ्र सागर और दादा मुनि विश्वांत सागर महाराज को जब 2016 में देवेंद्र नगर पन्ना में आचार्य विमर्श सागर महाराज से दीक्षा लेते देखा तो उनके मन में भी वैराग्य भाव आया और वे भी मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ गईं। चूंकि आर्यिका व्रत ग्रहण करने के बाद संसार और परिवार से नाता टूट जाता है इसलिए इसका अभ्यास इन दोनों बहनों ने पहले घर पर किया और फिर ब्रह्मचर्य व्रत लेकर धर्मसाधना की अब वह मोक्ष मार्ग पर आगे बढ रही हैं। 68 की उम्र में ब्रह्मचारिणी मित्रवती को आया वैराग्य, बेटी रीना 2014 में आर्यिका विक्रांत श्री बनीं,अब उनकी प्रेरणा से मां भी उसी राह पर शहर के किराना व्यवासायी परिवार से जुड़ी ब्रह्मचारिणी मित्रवती ने 2023 में सोनागिर में आचार्य विमर्श सागर महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया और अब वह 68 की उम्र में आर्यिका दीक्षा लेंगी। इसकी प्रेरणा उन्हें उनकी बेटी जो आर्यिका विक्रांत श्री हैं, उनसे मिली। अक्सर जब परिवार के सदस्यों के साथ माताजी के दर्शनार्थ वह जाती थीं तो कहती थीं कि धर्म कभी मत छोड़ना। जब तक हाथ पांव चल रहे हैं अपना जीवन धर्ममार्ग की साधना में आगे बढ़ा देना। यही वजह रही कि लगातार वे धर्मसाधना से जुड़ी रहीं अब आत्मकल्याण करने वह मोक्ष मार्ग की साधना आर्यिका बनकर करेंगी।   ब्रह्मचारिणी दीपा दीदी-मां से मिले बचपन के संस्कार और गुरु से मिला वात्सल्य वैराग्य की अहम वजह बचपन में मां शारदा से धर्म के ऐसे संस्कार मिले कि किसी जीव को नहीं सताना, सदराह पर चलना और हमेशा आगे बढ़ना। एक बार धूप में वे बैठी थीं तपन तेज लगीं तो मां से बोलीं जलने लगी मां। तो मां ने जबाब दिया तुम जरा सी धूप से जलने लगीं, नरकों में तो इस जीव को कितनी गर्मी ठंडी की वेदना सहनी पड़ती है। इसलिए खुद को मजबूत बनाओ। मां घर में व्रत उपवास करती थी इसलिए वह त्याग के संस्कार आए और गुरु विमर्श सागर के संपर्क में आए तो उनसे मिले ज्ञान और वात्सल्य ने हमारे वैराग्य को और बढ़ा दिया। एमए तक शिक्षा ली और 2013 में ब्रह्मचर्य व्रत लेकर धर्म साधना को बढ़ाया। लंबे इंतजार के बाद गुरुजी ने दीक्षा देने के लिए चुना।   रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शिवपुरी Published by: दिनेश शर्मा Updated Wed, 28 Aug 2024 04: 14 PM IST

एक ही परिवार के 6 सदस्य जिन मार्ग पर आगे बढ़ने वाले हो गए और इससे पहले ऐसा उदाहरण समाधिस्थ आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन में देखने को मिला था। जिनका पूरा परिवार संसार से नाता तोड़कर वैराग्यता की ओर बढ़ा। शिवपुरी के एक परिवार के दोनों बहनें मोक्षमार्ग पर आगे बढ़ेंगी। – फोटो : सोशल मीडिया

विस्तार Follow Us

शिवपुरी जिले की कोलारस में रहने वाली दो बहनें ब्रह्मचारिणी रिया दीदी और गुंजन दीदी। दोनों बहनों ने पहले अपने दादाजी, माता-पिता और भाई को जैन संत बनते देखा और अब ये दोनों बहनें भी मोक्षमार्ग पर आगे बढ़ गईं हैं और 15 नवंबर को दिल्ली में आचार्य विमर्शसागर महाराज से आर्यिका दीक्षा लेकर संयम पथ पर अग्रसर होंगी। 

खास बात यह है कि एक ही परिवार के 6 सदस्य जिन मार्ग पर आगे बढ़ने वाले हो गए और इससे पहले ऐसा उदाहरण समाधिस्थ आचार्य विद्यासागर महाराज के जीवन में देखने को मिला था। जिनका पूरा परिवार संसार से नाता तोड़कर वैराग्यता की ओर बढ़ा। स्थानीय जैन समाज के लोगों का कहना है कि शिवपुरी में विशु दीदी सहित 13 नव दीक्षार्थी का संघ आया था और उनकी भक्तिभाव से विनौली निकली और गोद भराई हुई। अब 15 नवंबर को दिल्ली में चातुर्मास कर रहे आचार्य विमर्श सागर महाराज इन सभी को दीक्षा देकर संस्कार प्रदान करेंगे। शिवपुरी का यह सौभाग्य है कि पहली बार एक साथ 4 आर्यिका माताओं की दीक्षा हो रही है। हम सब के लिए यह गौरव का क्षण हैं।

शिवपुरी छत्री जैन मंदिर पर हुई इन सबकी गोद भराई
जिन 12 आर्यिका और एक मुनि दीक्षा आचार्य विमर्शसागर महाराज द्वारा होनी हैं उन सब 13 दीक्षार्थियों का नगर आगमन शिवपुरी में हुआ। छत्री जैन मंदिर पर पहले इन सबकी गोद भराई का कार्यक्रम आयोजित हुआ और इसके बाद नगर में धर्म साधकों की विनौली भी निकाली गई। इसमें बड़ी संख्या में जैन समाज के लोगों के साथ विभिन्न स्थानों से आए साधकों और समाजजनों ने भागीदारी की। आरंभ में दीप प्रज्वलन शिवपुरी विधायक देवेंद्र जैन, महामंत्री प्रकाश जैन, अशोक जैन, प्रवक्ता संजीव बांझल, प्रेमचंद जैन, पंडित ऋषभ जैन, एन के जैन, जिला पंचायत के एडीशनल सीइओ एमके जैन, वायके जैन, आनंद जैन और सूरज जैन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन संजीव बांझल द्वारा किया गया।

जानिए इनके जीवन वृतांत 
रिया दीदी और गुंजन दीदी, परिवार के सभी वैरागी तो खुद को रागी जीवन कैसे रुचता, इसलिए वैराग्य मार्ग चुना
दोनों सगी बहनें हैं और रिया दीदी 25 साल की हैं और रिया ने हायरसेकेंड्री तक अध्ययन किया है। सिलाई कढ़ाई में वे निपुण हैं, जब भी शहर में किसी के यहां शादी होती थी तो मेहंदी लगाने वालों में सबसे अव्वल नाम रिया दीदी का आता था। जबकि गुंजन दीदी 29 साल ने बीए तक अध्ययन किया और वह जब अपने माता-पिता मुनि विश्वार्थ सागर, मां आर्यिका विनयांश्री, भाई मुनि विशुभ्र सागर और दादा मुनि विश्वांत सागर महाराज को जब 2016 में देवेंद्र नगर पन्ना में आचार्य विमर्श सागर महाराज से दीक्षा लेते देखा तो उनके मन में भी वैराग्य भाव आया और वे भी मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ गईं। चूंकि आर्यिका व्रत ग्रहण करने के बाद संसार और परिवार से नाता टूट जाता है इसलिए इसका अभ्यास इन दोनों बहनों ने पहले घर पर किया और फिर ब्रह्मचर्य व्रत लेकर धर्मसाधना की अब वह मोक्ष मार्ग पर आगे बढ रही हैं।

68 की उम्र में ब्रह्मचारिणी मित्रवती को आया वैराग्य, बेटी रीना 2014 में आर्यिका विक्रांत श्री बनीं,अब उनकी प्रेरणा से मां भी उसी राह पर
शहर के किराना व्यवासायी परिवार से जुड़ी ब्रह्मचारिणी मित्रवती ने 2023 में सोनागिर में आचार्य विमर्श सागर महाराज से ब्रह्मचर्य व्रत ग्रहण किया और अब वह 68 की उम्र में आर्यिका दीक्षा लेंगी। इसकी प्रेरणा उन्हें उनकी बेटी जो आर्यिका विक्रांत श्री हैं, उनसे मिली। अक्सर जब परिवार के सदस्यों के साथ माताजी के दर्शनार्थ वह जाती थीं तो कहती थीं कि धर्म कभी मत छोड़ना। जब तक हाथ पांव चल रहे हैं अपना जीवन धर्ममार्ग की साधना में आगे बढ़ा देना। यही वजह रही कि लगातार वे धर्मसाधना से जुड़ी रहीं अब आत्मकल्याण करने वह मोक्ष मार्ग की साधना आर्यिका बनकर करेंगी।  

ब्रह्मचारिणी दीपा दीदी-मां से मिले बचपन के संस्कार और गुरु से मिला वात्सल्य वैराग्य की अहम वजह
बचपन में मां शारदा से धर्म के ऐसे संस्कार मिले कि किसी जीव को नहीं सताना, सदराह पर चलना और हमेशा आगे बढ़ना। एक बार धूप में वे बैठी थीं तपन तेज लगीं तो मां से बोलीं जलने लगी मां। तो मां ने जबाब दिया तुम जरा सी धूप से जलने लगीं, नरकों में तो इस जीव को कितनी गर्मी ठंडी की वेदना सहनी पड़ती है। इसलिए खुद को मजबूत बनाओ। मां घर में व्रत उपवास करती थी इसलिए वह त्याग के संस्कार आए और गुरु विमर्श सागर के संपर्क में आए तो उनसे मिले ज्ञान और वात्सल्य ने हमारे वैराग्य को और बढ़ा दिया। एमए तक शिक्षा ली और 2013 में ब्रह्मचर्य व्रत लेकर धर्म साधना को बढ़ाया। लंबे इंतजार के बाद गुरुजी ने दीक्षा देने के लिए चुना।
 

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

Posted in MP