shahdol-news:-मरीजों-से-खचाखच-भरा-शहडोल-का-जिला-अस्पताल,-मौसमी-बीमारियों-की-चपेट-मे-आ-रहे-आमजन
शहडोल जिला अस्पताल में मरीजों का दबाव बढ़ गया है। - फोटो : सोशल मीडिया जुलाई के शुरुआती दिनों से ही बदलते मौसम व उमस भरी गर्मी से मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। अस्पताल में हर दिन 5 सौ से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें अधिकांश मौसमी बीमारी से ग्रसित हैं। इसमें उल्टी, दस्त, पेट दर्द व बुखार के मरीज शामिल हैं। बच्चों के अलावा बड़े भी मौसमी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं। जिला अस्पताल के महिला वार्डों व अन्य वार्डों में दबाव बढ़ने लगा है। डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मचारी फर्श में लेटाकर मरीजों का उपचार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार गुरुवार को मौसमी बीमारी की चपेट में आने से लगभग 80 मैरिज जिला अस्पताल में भर्ती किए गए थे।इसमें अधिकांश मरीज स्वास्थ्य लाभ मिलने के बाद दूसरे दिन छुट्टी लेकर अपने घर चले गए हैं। जिला अस्पताल में बीते 6 दिनो में तीन हज़ार से अधिक मरीज मौसमी बीमारी के चलते आए हैं। जिनका उपचार किया जा चुका है। वहीं 5 सौ से अधिक मरीजों की हालत गंभीर होने की वजह से उन्हें भर्ती कर उपचार किया जा रहा है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार लाल ने बताया कि मौसम परिवर्तन के कारण जिले के हर क्षेत्र में उल्टी दस्त व बुखार के दो चार मरीज सामने आ रहे हैं । जो सामान्य तौर पर एक दो दिन के उपचार के बाद ठीक हो जाते हैं। उल्टी दस्त पीड़ित मरीज के शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसे पूरा करने भर्ती कर उपचार किया जाता है। पहले से कर ली गई है तैयारी सिविल सर्जन डॉ जीएस परिहार ने बताया कि मौसमी बीमारी के अधिकांश मामले जुलाई से सितंबर माह में बढ़ते हैं। जिसके लिए अस्पताल में तैयारी पहले से ही की जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग मैदानी अमले में भी दस्तक अभियान के तहत मरीजों को चिन्हित कर चुका है। वही एक्सपर्ट मेडिसिन के डॉक्टर भूपेंद्र सिंह सेंगर के पास अमर उजाला की टीम पहुंची और उनसे इस बीमारी से बचाव के उपाय के बारे में जाना, डॉक्टर से जब टीम ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मौसम परिवर्तन के कारण इन दिनों उल्टी दस्त तेज बुखार के केस सामने आ रहे हैं। हर रोज आधा सैकड़ा से अधिक मरीज भर्ती भी हो रहे हैं। इसमें हर वर्ग के लोग शामिल हैं जो एक-दो दिनों के उपचार के बाद स्वस्थ हो जाते हैं। बीमार मरीजों में अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्र से ही होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कुएं व हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल करते हैं। नए पानी के सेवन से लोग बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि डायरिया जैसी बीमारी से बचने के लिए अपने आसपास के स्थान में साफ सफाई बनाए रखें. एक सप्ताह से अधिक पानी को जमा न होने देम। खुले में बेचे जाने वाले खाद्य सामग्री के सेवन से बचें। आवश्यकता पड़ने पर ही बाहर का खाना खाएं। कुएं में पानी की शुद्धता के लिए ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग करें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। उल्टी-दस्त व बुखार की शिकायत होने पर अपनी नजदीकी अस्पताल में जाकर डॉक्टर की सलाह लें और दवा का सेवन करें। जिससे मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है। मौसमी बीमारी में अगर लापरवाही की तो वह जान पर बन सकती है।

You can share this post!

Related News

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

शहडोल जिला अस्पताल में मरीजों का दबाव बढ़ गया है। – फोटो : सोशल मीडिया

जुलाई के शुरुआती दिनों से ही बदलते मौसम व उमस भरी गर्मी से मौसमी बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है। अस्पताल में हर दिन 5 सौ से अधिक मरीज पहुंच रहे हैं। इसमें अधिकांश मौसमी बीमारी से ग्रसित हैं। इसमें उल्टी, दस्त, पेट दर्द व बुखार के मरीज शामिल हैं।

बच्चों के अलावा बड़े भी मौसमी बीमारी की चपेट में आ रहे हैं।

जिला अस्पताल के महिला वार्डों व अन्य वार्डों में दबाव बढ़ने लगा है। डॉक्टर व स्वास्थ्य कर्मचारी फर्श में लेटाकर मरीजों का उपचार कर रहे हैं। जानकारी के अनुसार गुरुवार को मौसमी बीमारी की चपेट में आने से लगभग 80 मैरिज जिला अस्पताल में भर्ती किए गए थे।इसमें अधिकांश मरीज स्वास्थ्य लाभ मिलने के बाद दूसरे दिन छुट्टी लेकर अपने घर चले गए हैं। जिला अस्पताल में बीते 6 दिनो में तीन हज़ार से अधिक मरीज मौसमी बीमारी के चलते आए हैं। जिनका उपचार किया जा चुका है। वहीं 5 सौ से अधिक मरीजों की हालत गंभीर होने की वजह से उन्हें भर्ती कर उपचार किया जा रहा है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर अशोक कुमार लाल ने बताया कि मौसम परिवर्तन के कारण जिले के हर क्षेत्र में उल्टी दस्त व बुखार के दो चार मरीज सामने आ रहे हैं । जो सामान्य तौर पर एक दो दिन के उपचार के बाद ठीक हो जाते हैं। उल्टी दस्त पीड़ित मरीज के शरीर में पानी की कमी हो जाती है जिसे पूरा करने भर्ती कर उपचार किया जाता है।

पहले से कर ली गई है तैयारी
सिविल सर्जन डॉ जीएस परिहार ने बताया कि मौसमी बीमारी के अधिकांश मामले जुलाई से सितंबर माह में बढ़ते हैं। जिसके लिए अस्पताल में तैयारी पहले से ही की जा चुकी है। स्वास्थ्य विभाग मैदानी अमले में भी दस्तक अभियान के तहत मरीजों को चिन्हित कर चुका है। वही एक्सपर्ट मेडिसिन के डॉक्टर भूपेंद्र सिंह सेंगर के पास अमर उजाला की टीम पहुंची और उनसे इस बीमारी से बचाव के उपाय के बारे में जाना, डॉक्टर से जब टीम ने चर्चा की तो उन्होंने बताया कि मौसम परिवर्तन के कारण इन दिनों उल्टी दस्त तेज बुखार के केस सामने आ रहे हैं। हर रोज आधा सैकड़ा से अधिक मरीज भर्ती भी हो रहे हैं। इसमें हर वर्ग के लोग शामिल हैं जो एक-दो दिनों के उपचार के बाद स्वस्थ हो जाते हैं।

बीमार मरीजों में अधिकांश लोग ग्रामीण क्षेत्र से ही होते हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में लोग कुएं व हैंडपंप के पानी का इस्तेमाल करते हैं। नए पानी के सेवन से लोग बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि डायरिया जैसी बीमारी से बचने के लिए अपने आसपास के स्थान में साफ सफाई बनाए रखें. एक सप्ताह से अधिक पानी को जमा न होने देम। खुले में बेचे जाने वाले खाद्य सामग्री के सेवन से बचें। आवश्यकता पड़ने पर ही बाहर का खाना खाएं। कुएं में पानी की शुद्धता के लिए ब्लीचिंग पाउडर का उपयोग करें। सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। उल्टी-दस्त व बुखार की शिकायत होने पर अपनी नजदीकी अस्पताल में जाकर डॉक्टर की सलाह लें और दवा का सेवन करें। जिससे मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है। मौसमी बीमारी में अगर लापरवाही की तो वह जान पर बन सकती है।

Posted in MP