शहडोल जिले के अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं, जिसकी वजह से सुरक्षाकर्मी ही इलाज कर रहा था। मामला जब तूल पकड़ा, तब अधिकारियों ने कार्रवाई के बाद वहां डॉक्टर की पदस्थापना की बात भी कही। लेकिन कई हफ्ते गुजर गए, अब तक कोई कार्रवाई अधिकारियों के द्वारा नहीं की गई है। झींक बिजुरी अस्पताल – फोटो : अमर उजाला
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शहडोल में छत्तीसगढ़ की सीमा में बसे झींक बिजुरी अस्पताल की समस्या कम होने का नाम नहीं ले रही है। बिना डॉक्टरों के चल रहे अस्पताल का मुद्दा जब सामने आया तो जिम्मेदार अफसर वातानुकूलित चैंबर में बैठकर सिर्फ फोन के माध्यम से समस्या पर नजर बनाए हुए हैं। अपनी कुर्सी बचाए रखने के लिए पत्राचार कर उसे फाइल में लगा रहे हैं, ताकि ज्यादा विरोध होने पर यह दिखा सकें कि हमने समय रहते पत्राचार कर दिया था।
इन सबके बीच आदिवासी समुदाय की समस्या जस की तस बनी हुई है। जैतपुर में पदस्थ डॉक्टर उत्कृष्ट की ड्यूटी धनपुरी में लगा दी गई। जैतपुर के डॉक्टर को वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर दो दिन झींक बिजुरी भेजा जाता है। पीएम की जिम्मेदारी भी जैतपुर एमओ पर होती है। इस कारण वो नियमित झींक बिजुरी नहीं जा पा रहे हैं।
झींक बिजुरी अस्पताल में चल रही भर्रेशाही को दबाने के लिए स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अफसरों ने अस्पताल में पदस्थ नर्सों को फोन के माध्यम से कार्रवाई करने के डर दिखाया और कार्रवाई भी नहीं की। झींक बिजुरी अस्पताल में सुरक्षाकर्मी के द्वारा मरीजों का इलाज किया जा रहा था। मामला तूल पकड़ने के बाद अधिकारियों ने जल्द से जल्द डॉक्टर की पदस्थापना की बात भी कही थी और जवाबदार ऊपर कार्रवाई करने की भी बात सामने आई थी। लेकिन सीएमएचओ, एसडीएम, बीएमओ, तहसीलदार जैसे जिम्मेदार अफसरों ने आदिवासियों की समस्या जानने के लिए अस्पताल का निरीक्षण तक नहीं किया।
केशवाही में पदस्थ डॉक्टर अमरदीप पटेल की ड्यूटी दो दिन के लिए झींक बिजुरी अस्पताल में लगा दी। सोमवार और गुरुवार जैतपुर मेडिकल ऑफिसर को आना है और मंगलवार बुधवार केशवाही मेडिकल ऑफिसर को झींक बिजुरी में सेवा देना है। सीएमएचओ द्वारा डॉक्टरों की तैनाती कागजों में कर दी गई, लेकिन डॉक्टर्स का कहना है कि उनके पास जाने आने का साधन नहीं इस कारण वो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र झींक बिजुरी में सेवा नहीं दे पा रहे हैं। इस मामले में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरएस पांडे से बातचीत की गई तो उनका गोलमोल जवाब सामने आया। उनका कहना है कि एक दो दिन के भीतर वहां परमानेंट व्यवस्था बनाई जा रही है।
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