न्यूज डेस्क, अमर उजाला, शहडोल Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Wed, 26 Jul 2023 12: 04 PM IST
मध्यप्रदेश सरकार आदिवासियों के विकास के लिए कई योजनाएं बनाती है और विकास के वादे करती है, लेकिन आदिवासी वर्ग आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। हाल ही में एक ऐसा ही मामला शहडोल के तुर्री-दलान में सामने आया है। गर्भवती को खटिया से अस्पताल लेकर जाते ग्रामीण – फोटो : अमर उजाला
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शहडोल जिले के सोहागपुर जनपद अंतर्गत ग्राम पंचायत धनौरा में ग्राम तुर्री-दलान में प्रसव पीड़िता को खटिया से अस्पताल पहुंचाने का मामला सामने आया है। बताया जा रहा है कि 25 वर्षीय गनपति बैगा पति मोहन बैगा को सुबह-सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई, सड़क न होने के चलते यहां एंबुलेंस नहीं पहुंच सकी, जिसके चलते ग्रामीणों ने खटिया में डंडे को रस्सी से बांधकर कंधे के सहारे दो किलोमीटर की करीब 300 फीट की पहाड़ी को पार किया और महिला को मुख्य सड़क तक लाएं, जहां से आशा कार्यकर्ता की मदद से एम्बुलेंस के जरिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बुढ़ार ले जाने के लिए निकले, लेकिन रास्ते में बम्हौरी के पास सड़क पर ही प्रसव हो गया है। प्रसूता गनपति बैगा को पास के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बम्हौरी में ही रोका गया, जहां नर्सों ने जांच कर स्थिति सामान्य बताई, जिसके बाद गनपति बैगा को बुढ़ार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया। गनीमत है कि ऐसी अव्यवस्थाओं के बाद भी जच्चा-बच्चा दोनों सुरक्षित है।
ग्रामीणों ने बताया कि सड़क न होने से ऐसी स्थितियों का सामना करना पड़ता है। बीते वर्षों में अस्पताल ले जाते समय कई बुजुर्ग मर चुके हैं और कई गर्भवती महिलाओं का प्रसव भी बिगड़ चुका है। कई शिकायतों के बाद भी अधिकारी ध्यान नहीं दे रहे। घटना का वीडियो क्षेत्र के युवा ने ट्वीटर पर शेयर किया है।
पिछले साल कलेक्टर को बुला कर दिखाई थी समस्या
बीते वर्ष धनौरा ग्राम पंचायत के ही तुर्री-दलान गांव में कई आदिवासियों की मौत गंदा पानी पीने और गंदा खाना खाने से हुई थी। जिसके बाद दबाव बना तो शहडोल कलेक्टर वंदना वैद्य, एसडीएम प्रगति वर्मा, तहसीलदार दीपक पटेल और सीएमएचओ रामस्नेही पांडे धनौरा पहुंचे थे। तब बैगा महिलाएं कलेक्टर सहित सभी अधिकारियों को जबरदस्ती हाथ पकड़कर ऊपर घाट तक लेकर गईं और समस्या दिखाई थीं, तब कलेक्टर ने आश्वासन दिया था कि जल्द ही गांव के लिए व्यवस्थित पहुंच मार्ग बनवा दिया जाएगा, लेकिन आज तक समस्या वैसी ही बनी हुई है। अनदेखी के चलते ग्रामीणों में आक्रोश है। तुर्री-दलान के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में 1296 मतदाता हैं। कुल जनसंख्या करीब ढ़ाई हजार है, गांव में सिर्फ बैगा और गोंड आदिवासी निवास करते हैं।
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