shahdol:-ड्रोन-उड़ाना-है-तो-बनाना-होगा-पासपोर्ट!-इस-नियम-ने-शहडोल-में-किसानों-को-कीटनाशक-के-छिड़काव-से-रोका
ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us खेती के लिए ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया में पासपोर्ट की अनिवार्यता ने शहडोल जिले के किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कृषि विभाग ने ड्रोन का प्रशिक्षण लेने से पहले पासपोर्ट जमा कराना अनिवार्य किया है, जिसके चलते जिले में अभी तक एक भी किसान ड्रोन नहीं खरीद पाया है।  उपसंचालक कृषि आरपी झारिया ने बताया कि पासपोर्ट को एक वैध परिचय पत्र के रूप में मान्यता दी गई है, और किसानों को प्रशिक्षण से पहले इसे जमा करना आवश्यक है। इस शर्त के कारण कई किसान ड्रोन खरीदने में हिचकिचा रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य इस जिले के युवा आधुनिक खेती में भाग लेना चाहते हैं, लेकिन पासपोर्ट की अनिवार्यता ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। किसान अरुण तिवारी और मनोज सिंह का कहना है कि वे कृषि में नई तकनीकें सीखने के इच्छुक हैं, लेकिन पासपोर्ट बनवाने की जद्दोजहद उन्हें रोक रही है। शहडोल में कृषि अभियांत्रिकी विभाग के उपयंत्री रितेश पयासी ने कहा कि शहडोल में अभी तक एक भी किसान ने ड्रोन के लिए आवेदन नहीं किया है, और न ही ड्रोन खरीदा है। पासपोर्ट की अनिवार्यता के कारण किसान ड्रोन का महत्व समझने में असमर्थ हैं। सोयाबीन की फसल में उपयोग ड्रोन का उपयोग विशेष रूप से सोयाबीन की फसल में कीटनाशकों और खाद के छिड़काव के लिए किया जाता है, जिससे उपज में सुधार होता है। कई किसान ड्रोन खरीदने के इच्छुक हैं, लेकिन पासपोर्ट की बाध्यता उन्हें रोक रही है। नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार पासपोर्ट को नागरिकता पहचान के लिए सबसे विश्वसनीय दस्तावेज माना गया है।  पासपोर्ट धारी किसान है कहां? शहडोल जिले में ऐसे किसानों की संख्या बहुत कम है जिनके पास पासपोर्ट है। इसी कारण से अब तक किसी भी किसान ने ड्रोन प्रशिक्षण के लिए दस्तावेज जमा नहीं किए हैं। इस शर्त के चलते किसानों का रुझान भी कम हो गया है, और जिले से भोपाल में ट्रेनिंग के लिए भेजने की प्रक्रिया भी रुक गई है।  15 हजार में ड्रोन प्रशिक्षण ड्रोन प्रशिक्षण का खर्च 15,000 रुपये है, जिसे किसान को खुद वहन करना होता है। इसके बाद ड्रोन की खरीद भी किसान को खुद करनी पड़ती है, जिसकी कीमत 10 से 15 लाख रुपये तक हो सकती है। कृषि अभियांत्रिकी विभाग किसानों को ड्रोन के फायदे बताने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब तक किसानों ने इसमें कोई खास रुचि नहीं दिखाई है।   

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ड्रोन से कीटनाशक का छिड़काव – फोटो : अमर उजाला

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खेती के लिए ड्रोन खरीदने की प्रक्रिया में पासपोर्ट की अनिवार्यता ने शहडोल जिले के किसानों के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। कृषि विभाग ने ड्रोन का प्रशिक्षण लेने से पहले पासपोर्ट जमा कराना अनिवार्य किया है, जिसके चलते जिले में अभी तक एक भी किसान ड्रोन नहीं खरीद पाया है। 

उपसंचालक कृषि आरपी झारिया ने बताया कि पासपोर्ट को एक वैध परिचय पत्र के रूप में मान्यता दी गई है, और किसानों को प्रशिक्षण से पहले इसे जमा करना आवश्यक है। इस शर्त के कारण कई किसान ड्रोन खरीदने में हिचकिचा रहे हैं। आदिवासी बाहुल्य इस जिले के युवा आधुनिक खेती में भाग लेना चाहते हैं, लेकिन पासपोर्ट की अनिवार्यता ने उनकी उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। किसान अरुण तिवारी और मनोज सिंह का कहना है कि वे कृषि में नई तकनीकें सीखने के इच्छुक हैं, लेकिन पासपोर्ट बनवाने की जद्दोजहद उन्हें रोक रही है। शहडोल में कृषि अभियांत्रिकी विभाग के उपयंत्री रितेश पयासी ने कहा कि शहडोल में अभी तक एक भी किसान ने ड्रोन के लिए आवेदन नहीं किया है, और न ही ड्रोन खरीदा है। पासपोर्ट की अनिवार्यता के कारण किसान ड्रोन का महत्व समझने में असमर्थ हैं।

सोयाबीन की फसल में उपयोग
ड्रोन का उपयोग विशेष रूप से सोयाबीन की फसल में कीटनाशकों और खाद के छिड़काव के लिए किया जाता है, जिससे उपज में सुधार होता है। कई किसान ड्रोन खरीदने के इच्छुक हैं, लेकिन पासपोर्ट की बाध्यता उन्हें रोक रही है। नागरिक उड्डयन महानिदेशक (डीजीसीए) के दिशा-निर्देशों के अनुसार पासपोर्ट को नागरिकता पहचान के लिए सबसे विश्वसनीय दस्तावेज माना गया है। 

पासपोर्ट धारी किसान है कहां?
शहडोल जिले में ऐसे किसानों की संख्या बहुत कम है जिनके पास पासपोर्ट है। इसी कारण से अब तक किसी भी किसान ने ड्रोन प्रशिक्षण के लिए दस्तावेज जमा नहीं किए हैं। इस शर्त के चलते किसानों का रुझान भी कम हो गया है, और जिले से भोपाल में ट्रेनिंग के लिए भेजने की प्रक्रिया भी रुक गई है। 

15 हजार में ड्रोन प्रशिक्षण
ड्रोन प्रशिक्षण का खर्च 15,000 रुपये है, जिसे किसान को खुद वहन करना होता है। इसके बाद ड्रोन की खरीद भी किसान को खुद करनी पड़ती है, जिसकी कीमत 10 से 15 लाख रुपये तक हो सकती है। कृषि अभियांत्रिकी विभाग किसानों को ड्रोन के फायदे बताने की कोशिश कर रहा है, लेकिन अब तक किसानों ने इसमें कोई खास रुचि नहीं दिखाई है। 
 

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