sehore-news:-बुधनी-से-रेस्क्यू-कर-लाए-गए-दोनों-बाघ-शावकों-की-मौत,-ट्रेन-की-चपेट-में-आने-से-हुए-थे-घायल
शावक बाघ। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us ट्रेन दुर्घटना में अत्यंत गंभीर रूप से घायल दो बाघ शावकों  को मिड घाट रेलवे लाइन बुधनी से रेस्क्यू कर भोपाल वन विहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया था। इन दोनों बाघ शावकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा सतत उपचार किया जा रहा था। अत्यंत घायल दूसरे बाघ शावक की भी मृत्यु हो गई। एक दिन के अंतराल में दोनों बाघ शावकों की मौत हो गई।   आधिकारिक जानकारी के अनुसार गंभीर रूप से घायल इन दोनों बाघ शावकों को निगरानी में रखा कर वन्य प्राणी चिकित्सक वन विहार द्वारा विशेषज्ञों के परामर्श लेकर सतत उपचार किया जा रहा था, परंतु दोनों बाघ शावकों के पिछले हिस्से में गंभीर चोटें एवं कई जगह फैक्चर होने कारण उनका पिछला हिस्सा काम नहीं कर रहा था। बाघ शावक भोजन पानी भी नहीं ले रहे थे, जिससे उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा था। बेहतर उपचार के बावजूद दोनों बाघ शावको को बचाया नहीं जा सका। दोनों बाघ शावकों का पोस्टमार्टम उपरांत वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वरिष्ठ अधिकारियों एवं अन्य उपस्थित अधिकारियों कर्मचारियों के समक्ष नियमानुसार दाह संस्कार कर दिया गया।  उल्लेखनीय है कि 15 जुलाई को बुधनी के मिड घाट रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से एक नर शावक की मौत हो गई थी। वहीं दो मादा शावक घायल हो गए थे। इसी दिन इलाज के लिए भोपाल से डॉक्टर की टीम भी पहुंची थी। टीम इलाज की तैयारी कर रही थी तभी देर शाम बाघिन आ गई। इसके बाद डॉक्टर और वन विभाग की टीम को वहां से भागना पड़ा। बाघिन रात भर शावकों के पास बैठी रही, जिसके चलते 16 जुलाई को रेस्क्यू किया गया था। मिड घाट से दोनों शावकों को पहली बार ट्रेन से रेस्क्यू कर भोपाल तक लाया गया था। तभी से वन विहार में उनका इलाज चल रहा था मंगलवार को एक शावक की और बुधवार को दूसरे शावक की मौत हो गई।

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शावक बाघ। – फोटो : अमर उजाला

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ट्रेन दुर्घटना में अत्यंत गंभीर रूप से घायल दो बाघ शावकों  को मिड घाट रेलवे लाइन बुधनी से रेस्क्यू कर भोपाल वन विहार राष्ट्रीय उद्यान लाया गया था। इन दोनों बाघ शावकों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया तथा सतत उपचार किया जा रहा था। अत्यंत घायल दूसरे बाघ शावक की भी मृत्यु हो गई। एक दिन के अंतराल में दोनों बाघ शावकों की मौत हो गई।

 
आधिकारिक जानकारी के अनुसार गंभीर रूप से घायल इन दोनों बाघ शावकों को निगरानी में रखा कर वन्य प्राणी चिकित्सक वन विहार द्वारा विशेषज्ञों के परामर्श लेकर सतत उपचार किया जा रहा था, परंतु दोनों बाघ शावकों के पिछले हिस्से में गंभीर चोटें एवं कई जगह फैक्चर होने कारण उनका पिछला हिस्सा काम नहीं कर रहा था। बाघ शावक भोजन पानी भी नहीं ले रहे थे, जिससे उनकी स्थिति में सुधार नहीं हो पा रहा था। बेहतर उपचार के बावजूद दोनों बाघ शावको को बचाया नहीं जा सका। दोनों बाघ शावकों का पोस्टमार्टम उपरांत वन विहार राष्ट्रीय उद्यान में वरिष्ठ अधिकारियों एवं अन्य उपस्थित अधिकारियों कर्मचारियों के समक्ष नियमानुसार दाह संस्कार कर दिया गया। 

उल्लेखनीय है कि 15 जुलाई को बुधनी के मिड घाट रेलवे ट्रैक पर ट्रेन की चपेट में आने से एक नर शावक की मौत हो गई थी। वहीं दो मादा शावक घायल हो गए थे। इसी दिन इलाज के लिए भोपाल से डॉक्टर की टीम भी पहुंची थी। टीम इलाज की तैयारी कर रही थी तभी देर शाम बाघिन आ गई। इसके बाद डॉक्टर और वन विभाग की टीम को वहां से भागना पड़ा। बाघिन रात भर शावकों के पास बैठी रही, जिसके चलते 16 जुलाई को रेस्क्यू किया गया था। मिड घाट से दोनों शावकों को पहली बार ट्रेन से रेस्क्यू कर भोपाल तक लाया गया था। तभी से वन विहार में उनका इलाज चल रहा था मंगलवार को एक शावक की और बुधवार को दूसरे शावक की मौत हो गई।

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