sehore-news:-अब-नीलकंठ-तट-पर-नहीं-पहुंच-सकेंगे-वाहन,-रेत-कंपनी-ने-jcb-की-मदद-से-गड्ढा-खोदकर-रास्ता-बंद-किया
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: अरविंद कुमार Updated Fri, 23 Aug 2024 03: 27 PM IST अब नीलकंठ तट पर वाहन नहीं पहुंच पाएंगे। दरअसल, रेत कंपनी ने जेसीबी की मदद से गड्ढा खोदकर रास्ता बंद कर दिया है। वहीं, खनिज विभाग ने कार्रवाई के दौरान छह ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त किया। गड्ढा खोदकर रास्ता बंद किया - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us सीहोर जिले में भैरुंदा क्षेत्र के नर्मदा तट नीलकंठ घाट पर स्थानीय रेत माफियाओं का कब्जा होने से यहां अंतिम संस्कार करने में शोक संतृप्त परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। हालात यह थे कि जब तक रेत के ट्रैक्टर नदी के अंदर से बाहर नहीं हो जाते, तब तक दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ता था। कुछ ऐसा ही मामला बीते दिवस नीलकंठ नर्मदा तट पर देखने को मिला था। जहां दाह संस्कार के लिए पहुंचे तीन शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए डेढ़ घंटे से भी अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा।  जागरुक लोगों द्वारा इस मामले की सूचना प्रशासन को भी दी गई थी। इसके बाद यूफोरिया मिनरल वॉटर एंड पॉवरमेक प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी द्वारा तत्काल इस मामले में संज्ञान लेते हुए नीलकंठ तट से नदी के अंदर किये जा रहे रेत के खनन पर कार्रवाई करते हुए यहां मुख्य रास्ता बंद कर दिया गया। जेसीबी के माध्यम से रास्ते पर 10 फीट का गड्डा खोद दिया गया है, जिससे अब श्मशान घाट तक कोई भी वाहन नहीं पहुंच सकेगा। इससे यहां पर अब स्थानीय रेत माफिया भी नदी के अंदर से खनन नहीं कर सकेंगे। यदि इसके बावजूद भी खनन किया जाता है तो खनिज अमले के द्वारा इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाएगी। इधर, खनिज विभाग ने नीलकंठ श्मशान घाट पर रेत का अवैध रूप से परिवहन कर रहे छह ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को पकड़कर पुलिस अभिरक्षा में सौंपा।  ज्ञातव्य हैं कि नीलकंठ शमशान घाट तक स्थानीय रेत माफियाओं का कब्जा होने से यहां अंतिम संस्कार के लिए उपयोग आने वाली सामग्री भी सुरक्षित तरीके से घाट पर नहीं पहुंच पा रही थी, जिससे शोक संतृप्त परिवारजनों को अंतिम क्रिया के दौरान परेशानी से जूझना पड़ता था। इस मामले में ग्रामीणों के द्वारा कलेक्टर से शिकायत की गई थी। जिले भर में रेत का ठेका लेने वाली कंपनी ने नीलकंठ घाट पर पहुंचने वाले रेत के वाहनों को रोकने के लिए मुख्य रास्ता ही बंद कर दिया।  प्रतिदिन निकाली जा रही 200 ट्रॉली से भी अधिक रेत नीलकंठ में श्रृद्धालुओं के लिए एक मात्र स्न्नान व शमशान घाट को रेत माफियाओं ने अपने कब्जे में लेकर इसे अवैध रेत घाट के रूप में तैयार कर दिया था, जिससे श्रृद्धालु यहां पर स्न्नान भी नहीं कर पाते थे। यहीं से नर्मदा नदी के अंदर तक ट्रैक्टर-ट्रॉली ले जाते हुए माफिया प्रतिदिन 200 से भी अधिक ट्रॉली अवैध रूप से निकाल रहे थे। नदी के अंदर से रेत निकालने में नीलकंठ की तीन दर्जन से भी अधिक नाव प्रतिदिन सक्रिय थी। अलसुबह से ही रेत निकालने का सिलसिला शुरू हो जाता था, जो देर शाम तक बदस्तूर जारी रहता था। गर्मियों के दिनों में तो नर्मदा नदी के अंदर 1000 फीट तक ट्रैक्टर-ट्रॉली आसानी से पहुंच जाते थे और नौकाओं के माध्यम से इनमें रेत भरी जाती थी।  कहां करे अंतिम संस्कार, मना करने पर होते थे विवाद बुधवार को क्षेत्र के गांव जोगला निवासी मुकेश शर्मा, जगदीश पुरी, रामनारायण, कैलाश, राहुल सहित अनेक ग्रामीणों ने कलेक्टर को दिए। ज्ञापन में बताया था कि अंतिम क्रिया के लिए ले जाई जाने वाली सामग्री के वाहन को भी माफिया रास्ता नहीं दे रहे हैं। मना करने पर विवाद के लिए उतारू हो जाते हैं। नर्मदा नदी से रेत की ट्रॉली भराने के बाद ट्रैक्टर आगे से खड़े हो जाते हैं, जिससे दुर्घटना का भय भी यहां मौजूद लोगों को बना रहता है। बार-बार होने वाले ट्रैक्टर की आवाज से घाट पर होने वाली शोक सभा भी नहीं हो पाती। नर्मदा के पानी के झकोले अग्नि क्रिया को भी प्रभावित करते हैं। घाट पर स्थानीय रेत कारोबारी ने कब्जा जमा रखा हैं, जिससे दाह संस्कार की प्रक्रिया के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। खनिज विभाग ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए गुरुवार को छह ट्रैक्टर-ट्रॉली को मौके से पकड़ा। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, सीहोर Published by: अरविंद कुमार Updated Fri, 23 Aug 2024 03: 27 PM IST

अब नीलकंठ तट पर वाहन नहीं पहुंच पाएंगे। दरअसल, रेत कंपनी ने जेसीबी की मदद से गड्ढा खोदकर रास्ता बंद कर दिया है। वहीं, खनिज विभाग ने कार्रवाई के दौरान छह ट्रैक्टर-ट्रॉली जब्त किया। गड्ढा खोदकर रास्ता बंद किया – फोटो : अमर उजाला

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सीहोर जिले में भैरुंदा क्षेत्र के नर्मदा तट नीलकंठ घाट पर स्थानीय रेत माफियाओं का कब्जा होने से यहां अंतिम संस्कार करने में शोक संतृप्त परिवारों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। हालात यह थे कि जब तक रेत के ट्रैक्टर नदी के अंदर से बाहर नहीं हो जाते, तब तक दाह संस्कार के लिए इंतजार करना पड़ता था। कुछ ऐसा ही मामला बीते दिवस नीलकंठ नर्मदा तट पर देखने को मिला था। जहां दाह संस्कार के लिए पहुंचे तीन शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए डेढ़ घंटे से भी अधिक समय तक इंतजार करना पड़ा। 

जागरुक लोगों द्वारा इस मामले की सूचना प्रशासन को भी दी गई थी। इसके बाद यूफोरिया मिनरल वॉटर एंड पॉवरमेक प्रोजेक्ट लिमिटेड कंपनी द्वारा तत्काल इस मामले में संज्ञान लेते हुए नीलकंठ तट से नदी के अंदर किये जा रहे रेत के खनन पर कार्रवाई करते हुए यहां मुख्य रास्ता बंद कर दिया गया। जेसीबी के माध्यम से रास्ते पर 10 फीट का गड्डा खोद दिया गया है, जिससे अब श्मशान घाट तक कोई भी वाहन नहीं पहुंच सकेगा। इससे यहां पर अब स्थानीय रेत माफिया भी नदी के अंदर से खनन नहीं कर सकेंगे। यदि इसके बावजूद भी खनन किया जाता है तो खनिज अमले के द्वारा इस मामले में तत्काल कार्रवाई की जाएगी। इधर, खनिज विभाग ने नीलकंठ श्मशान घाट पर रेत का अवैध रूप से परिवहन कर रहे छह ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को पकड़कर पुलिस अभिरक्षा में सौंपा। 

ज्ञातव्य हैं कि नीलकंठ शमशान घाट तक स्थानीय रेत माफियाओं का कब्जा होने से यहां अंतिम संस्कार के लिए उपयोग आने वाली सामग्री भी सुरक्षित तरीके से घाट पर नहीं पहुंच पा रही थी, जिससे शोक संतृप्त परिवारजनों को अंतिम क्रिया के दौरान परेशानी से जूझना पड़ता था। इस मामले में ग्रामीणों के द्वारा कलेक्टर से शिकायत की गई थी। जिले भर में रेत का ठेका लेने वाली कंपनी ने नीलकंठ घाट पर पहुंचने वाले रेत के वाहनों को रोकने के लिए मुख्य रास्ता ही बंद कर दिया। 

प्रतिदिन निकाली जा रही 200 ट्रॉली से भी अधिक रेत
नीलकंठ में श्रृद्धालुओं के लिए एक मात्र स्न्नान व शमशान घाट को रेत माफियाओं ने अपने कब्जे में लेकर इसे अवैध रेत घाट के रूप में तैयार कर दिया था, जिससे श्रृद्धालु यहां पर स्न्नान भी नहीं कर पाते थे। यहीं से नर्मदा नदी के अंदर तक ट्रैक्टर-ट्रॉली ले जाते हुए माफिया प्रतिदिन 200 से भी अधिक ट्रॉली अवैध रूप से निकाल रहे थे। नदी के अंदर से रेत निकालने में नीलकंठ की तीन दर्जन से भी अधिक नाव प्रतिदिन सक्रिय थी। अलसुबह से ही रेत निकालने का सिलसिला शुरू हो जाता था, जो देर शाम तक बदस्तूर जारी रहता था। गर्मियों के दिनों में तो नर्मदा नदी के अंदर 1000 फीट तक ट्रैक्टर-ट्रॉली आसानी से पहुंच जाते थे और नौकाओं के माध्यम से इनमें रेत भरी जाती थी। 

कहां करे अंतिम संस्कार, मना करने पर होते थे विवाद
बुधवार को क्षेत्र के गांव जोगला निवासी मुकेश शर्मा, जगदीश पुरी, रामनारायण, कैलाश, राहुल सहित अनेक ग्रामीणों ने कलेक्टर को दिए। ज्ञापन में बताया था कि अंतिम क्रिया के लिए ले जाई जाने वाली सामग्री के वाहन को भी माफिया रास्ता नहीं दे रहे हैं। मना करने पर विवाद के लिए उतारू हो जाते हैं। नर्मदा नदी से रेत की ट्रॉली भराने के बाद ट्रैक्टर आगे से खड़े हो जाते हैं, जिससे दुर्घटना का भय भी यहां मौजूद लोगों को बना रहता है। बार-बार होने वाले ट्रैक्टर की आवाज से घाट पर होने वाली शोक सभा भी नहीं हो पाती। नर्मदा के पानी के झकोले अग्नि क्रिया को भी प्रभावित करते हैं। घाट पर स्थानीय रेत कारोबारी ने कब्जा जमा रखा हैं, जिससे दाह संस्कार की प्रक्रिया के लिए घंटों इंतजार करना पड़ता है। खनिज विभाग ने इस मामले में त्वरित कार्रवाई करते हुए गुरुवार को छह ट्रैक्टर-ट्रॉली को मौके से पकड़ा।

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