कुबेरेश्वधाम पर लगा भक्तों का मेला। – फोटो : Amar Ujala Digital
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इन दिन कुबेरेश्वधाम पर प्रतिदिन हजारों की सख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए उनके उपासक कई तरह के उपाय करते हैं, जिनमें से एक कांवड़ यात्रा भी शामिल है। आगामी 16 अगस्त को लगातार दूसरे साल शहर के सीवन तट से करीब 11 किलोमीटर तक निकाली जाने वाली यह कांवड़ यात्रा क्षेत्र वासियों के लिए संजीवनी से कम नहीं है। यात्रा में शामिल होने के लिए कांवड़ यात्री शहर में आकर आस्था और उत्साह के साथ कुबेरेश्वरधाम पर पहुंचेंगे।
इस दौरान शहर सहित आस-पास के शहरवासी, ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों के अलावा जनप्रतिनिधियों के द्वारा 300 से अधिक स्थानों पर स्वागत और पेयजल सहित अन्य की व्यवस्था की जाएगी। इस संबंध में सभी शिवभक्तों को संदेश देते हुए भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि 16 अगस्त को अद्भुत संयोग है। अधिक मास की अमावस्या और सावन का जो मिलन हुआ है। यह काफी दिव्य योग है। इस दिन निकाली जाने वाली भव्य कांवड़ यात्रा पर भक्ति का सैलाब उमड़ेगा।कांवड़ यात्रा को लेकर विठलेश सेवा समिति सहित क्षेत्रवासियों ने अपने-अपने स्तर पर तैयारियां की हैं।
इस संबंध में जानकारी देते हुए समिति के मीडिया प्रभारी प्रियांशु दीक्षित ने बताया कि यात्रा को लेकर गुरुदेव के निर्देशानुसार क्षेत्रवासी और सभी समाजजन अपने-अपने स्तर से लगे हुए। कांवड़ यात्रा में प्रदेश के बड़े-बड़े जनप्रतिनिधियों के अलावा हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होंगे। यात्रा के आयोजन को लेकर पंडित विनय मिश्रा, समीर शुक्ला सहित समिति के लोग कांवड़ यात्रा को सकुशल संपन्न कराने के लिए जोरशोर से तैयारियां कर रहे हैं। इसके अलावा कावंड़ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं, कांवड़ियों और दर्शनार्थियों को किसी भी प्रकार की असुविधा न होने पाए, यह सुनिश्चित करने के प्रशासन को पत्र दिया गया है।
जगह-जगह सेवा शिविर लगाए जाएंगे
मान्यता है कि तमाम कष्ट उठाकर भगवान भोले शंकर की कांवड़ चढ़ाने जाने वाले शिवभक्तों की सेवा करना भी परम पुण्य का काम है। इससे प्रेरित होकर कांवड़ मार्ग पर जगह-जगह सेवा शिविर लगाए जाएंगे। जिससे कांवड़ में शामिल होने वालों का अतिथि सत्कार होगा। कांवड़ यात्रा में मुख्य अतिथि भागवत भूषण पंडित प्रदीप मिश्रा स्वयं यात्रियों के साथ शामिल होंगे। उन्होंने बताया कि शिव पुराण के अनुसार, श्रावण के महीने में भगवान शिव और माता पार्वती पृथ्वी पर निवास करते हैं। इसलिए इस मास में पूजा करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही अधिक अमावस्या तिथि पड़ने के कारण पितरों का भी आशीर्वाद मिलता है।
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