sawan-2023:-कुत्ते-की-समाधि-पर-बना-है-ये-शिव-मंदिर,-यहां-पूजन-से-मिल-जाती-है-सभी-प्रकार-के-ऋणों-से-मुक्ति
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, डिंडौरी Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Thu, 17 Aug 2023 02: 04 PM IST मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर कुत्ते की समाधि पर बना हुआ है। इस प्राचीन एवं ऐतिहासिक शिव मंदिर का इतिहास एक कुत्ते की वफ़ादारी से जुड़े होने की मान्यताएं हैं। जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूरी पर कुकर्रामठ गांव में स्थित भगवान शिव के इस मंदिर को ऋण मुक्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यहां पूजापाठ करने से मनुष्य को हर तरह के ऋणों से मुक्ति मिलती है। ऐतिहासिक एवं प्राचीन ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन  है।    सावन में लगता है श्रद्धालुओं का तांता सावन माह में दूर दूर से शिवभक्त आस्था के साथ इस मंदिर में पहुंचते हैं। सोमवार के दिन ऋण मुक्तेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। कांवड़िये नर्मदा नदी से जल लेकर बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और नर्मदा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। कुकर्रामठ गांव में स्थित भगवान शिव के अत्यंत प्राचीन इस मंदिर के अंदर करीब तीन फीट की लंबाई का शिवलिंग मौजूद है। भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर कल्चुरी काल का बताया जाता है।   कुत्ते से जुड़ा है मंदिर का इतिहास बताया जाता है कि सालों पहले लाखा नामक बंजारे ने धन की जरूरत पड़ने पर अपने कुत्ते को राजा के पास गिरवी रख दिया था और उसी दौरान राजमहल में चोरी की घटना हो गई थी तब कुत्ते की सूझबूझ से चोरी का पूरा सामान राजा को वापस मिल गया था। कुत्ते की वफ़ादारी से खुश होकर राजा ने कुत्ते के गले में बंजारे के नाम खत लिखकर उसे आजाद कर दिया था, कुत्ता जैसे ही बंजारे के पास पहुंचा तो लाखा बंजारा को लगा कि कुत्ता महल से भागकर आ गया है और बंजारे ने कुत्ते को मौत के घाट उतार दिया। जैसे ही बंजारे ने कुत्ते के गले में लटके खत को पढ़ा तो उसे बेहद अफ़सोस हुआ। स्थानीय लोगों की मानें तो ऋण मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर और उनके गांव का नाम कुकर्रामठ होना इस दावे का जीता जागता प्रमाण है। महाशिवरात्रि के दिन ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर परिसर में मेला लगता है, जिसमें लोग अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं। मंदिर से जुडी एक और मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को कुत्ता काट लेता है, तो मंदिर के अवशेष पत्थरों को घोलकर पीने से कुत्ते का जहर समाप्त हो जाता है हालांकि जानकार इस दावे को अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं। 

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, डिंडौरी Published by: अंकिता विश्वकर्मा Updated Thu, 17 Aug 2023 02: 04 PM IST

मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर कुत्ते की समाधि पर बना हुआ है। इस प्राचीन एवं ऐतिहासिक शिव मंदिर का इतिहास एक कुत्ते की वफ़ादारी से जुड़े होने की मान्यताएं हैं। जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूरी पर कुकर्रामठ गांव में स्थित भगवान शिव के इस मंदिर को ऋण मुक्तेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है। मंदिर को लेकर यह भी मान्यता है कि यहां पूजापाठ करने से मनुष्य को हर तरह के ऋणों से मुक्ति मिलती है। ऐतिहासिक एवं प्राचीन ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पुरातत्व विभाग के अधीन  है। 
 

सावन में लगता है श्रद्धालुओं का तांता
सावन माह में दूर दूर से शिवभक्त आस्था के साथ इस मंदिर में पहुंचते हैं। सोमवार के दिन ऋण मुक्तेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। कांवड़िये नर्मदा नदी से जल लेकर बड़ी संख्या में पहुंचते हैं और नर्मदा जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं। कुकर्रामठ गांव में स्थित भगवान शिव के अत्यंत प्राचीन इस मंदिर के अंदर करीब तीन फीट की लंबाई का शिवलिंग मौजूद है। भगवान शिव का यह प्राचीन मंदिर कल्चुरी काल का बताया जाता है।
 

कुत्ते से जुड़ा है मंदिर का इतिहास
बताया जाता है कि सालों पहले लाखा नामक बंजारे ने धन की जरूरत पड़ने पर अपने कुत्ते को राजा के पास गिरवी रख दिया था और उसी दौरान राजमहल में चोरी की घटना हो गई थी तब कुत्ते की सूझबूझ से चोरी का पूरा सामान राजा को वापस मिल गया था। कुत्ते की वफ़ादारी से खुश होकर राजा ने कुत्ते के गले में बंजारे के नाम खत लिखकर उसे आजाद कर दिया था, कुत्ता जैसे ही बंजारे के पास पहुंचा तो लाखा बंजारा को लगा कि कुत्ता महल से भागकर आ गया है और बंजारे ने कुत्ते को मौत के घाट उतार दिया। जैसे ही बंजारे ने कुत्ते के गले में लटके खत को पढ़ा तो उसे बेहद अफ़सोस हुआ। स्थानीय लोगों की मानें तो ऋण मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर और उनके गांव का नाम कुकर्रामठ होना इस दावे का जीता जागता प्रमाण है। महाशिवरात्रि के दिन ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर परिसर में मेला लगता है, जिसमें लोग अपनी मन्नत लेकर पहुंचते हैं। मंदिर से जुडी एक और मान्यता है कि यदि किसी व्यक्ति को कुत्ता काट लेता है, तो मंदिर के अवशेष पत्थरों को घोलकर पीने से कुत्ते का जहर समाप्त हो जाता है हालांकि जानकार इस दावे को अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं। 

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