न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, सागर Published by: अरविंद कुमार Updated Mon, 05 Aug 2024 08: 01 PM IST
सागर जिले के क्षतिग्रस्त और जर्जर भवनों में 25 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहे हैं। वहीं, 197 आंगनबाड़ी केंद्र में पांच हजार 518 बालक-बालिकाएं दर्ज हैं। जर्जर आंगनबाड़ी केंद्र – फोटो : अमर उजाला
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आंगनबाड़ी में आने वाले बच्चों का भविष्य बेहतर हो, इस बात को लेकर सरकार लगातार प्रयास करती है। बच्चों का मानसिक और बौद्धिक विकास हो, इस बात को लेकर लगातार प्रयास भी हो रहे हैं। लेकिन महिला एवं बाल विकास परियोजना मालथौन (सागर) के अंतर्गत आने वाले 25 आंगनबाड़ी केंद्र क्षतिग्रस्त या जर्जर भवनों में लगाए जा रहे हैं। ऐसे में हादसे का अंदेशा बना हुआ है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं ने बताया है कि भवनों की हालत बहुत ही जर्जर है, जिनमें बच्चों को बैठाया जाता है। उसी जगह से नवजात शिशुओं एवं धात्री महिलाओं का टीकाकरण भी किया जाता है। विभाग को भवन के जर्जर होने की जानकारी है। इसके बाद भी अभी तक किराए के भवन या अन्यत्र कोई दूसरी व्यवस्था नहीं की गई है। परिजोयना के अंतर्गत कुल 197 आंगनबाड़ी केंद्र संचालित किए जा रहे हैं, जिनमें 0-3 साल के 2,996 बालक-बालिकाएं और 3-6 साल के 2,522 बालक-बालिकाएं दर्ज हैं।वहीं, सभी केंद्रों में गर्भवती एवं धात्री माताओं की संख्या क्रमश: 1,437 और 1,719 हैं। परियोजना के बमनौरा, बांदरी एक, बांदरी चार, सेवन एक, रामछायरी, परसोन दो, पड़रिया, मगूस, बमनौरा, बड़ोइया, बम्होरी हुड्डा, पाटीखेड़ा, सुरू, बरौदिया कलां एक से छह, मड़खेरा, समसपुर, दरी, ढिमरई, मृगावली और मालथौन तीन आंगनबाड़ी केंद्र क्षतिग्रस्त और जर्जर हैं।
इसलिए होते हैं आंगनबाड़ी केंद्र
आंगनबाड़ी मां और बच्चों की देखभाल का केंद्र है, जो महिला एवं बाल विकास विभाग के माध्यम से संचालित किया जाता है। यह योजना बच्चों की भूख व कुपोषण जैसी समस्याओं के समाधान के लिए सरकार ने साल 1987 में शुरू की थी। आंगनबाड़ी का सीधा सा अर्थ है आंगन या आश्रय। प्रत्येक गांव में लगभग 400 से 800 की जनसंख्या पर एक आंगनबाड़ी केंद्र होता है। यह आंगनबाड़ी केंद्र जीरो से छह साल तक के बच्चों को एक आंगन ही है। जहां वे खेलकर और कुछ सीखकर अपने आपको आने वाले समय के लिए तैयार करते हैं। यहां पर इनको शिक्षा, पौष्टिक आहार, स्वास्थ्य, टीकाकरण आदि की सुविधाएं दी जाती हैं। आंगनबाड़ी केंद्र का प्रमुख उद्देश्य यह होता है कि छह साल तक के बच्चों को हर प्रकार की सुविधा का लाभ मिले। बच्चे कुपोषण का शिकार न हों।
इनका कहना है…
सभी भवनों की सूची तैयार कर जिला कार्यालय भेजी गई है। जो भवन जर्जर हैं, उन्हें जल्दी ही शासकीय या किराए के भवनों में शिफ्ट किया जाएगा।
…संयोगिता राजपूत, परियोजना अधिकारी (मालथौन)
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