sagar:-पहचान-से-अछूता-एमपी-यूपी-बॉर्डर,-जंगल-में-बना-सुंदर-जलप्रपात-देखने-पहुंचते-हैं-लोग,-सुरक्षा-का-अभाव
जलप्रपात - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us सागर जिले की मालथोन तहसील क्षेत्र में एमपी-यूपी की बॉर्डर पर जंगल में इन दिनों एक जलप्रपात स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां 70 फीट ऊंचाई से गिरते पानी और आसपास मौजूद जंगल की हरियाली से मनोरम दृश्य बनता है। मालथौन से पूर्व में 8 किलोमीटर दूर जंगल मे स्थित जलप्रपात का सौंदर्य इन दिनों देखते ही बन रहा है। अमारी ग्राम के पास एमपी-यूपी की सीमा पर जंगल में बने इस झरने को देखने के लिए ऊबड़ खाबड़ व जंगली रास्ते में मुसीबतों का सामना कर पर्यटक पहुंच रहे हैं। झरने का पानी 70 फीट ऊंचे पहाड़ से नीचे गिरता है। पानी गिरने के दौरान उठती फुहारे व धुंआ देखकर आने वाले लोग रोमांचित हो उठते हैं। विशालकाय चट्टानों पर गिर रहा पानी मधुर ध्वनि विखेरता है। कभी तेज आवाज तो कभी मधुर ध्वनि बिना कहे ही सारी कहानी बयां कर देता है। मार्ग भले की दुर्गम हैं, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य देखने का जज्बा लेकर पहुंच रहे सैकड़ों पर्यटक यह बताने के लिये काफी हैं कि उक्त स्थान उन्हें कितना आकर्षित कर रहा है। हालांकि, इस प्राकृतिक झरने पर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिसके चलते बीते सालों में कई युवाओं की मौत भी हो चुकी है। उदासीनता का दंश झेल रहा जलप्रपात प्रशासन की उपेक्षा व उदासीनता का दंश यह जलप्रताप झेल रहा है। यदि इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर दिया जाये तो न केवल पहुंच मार्ग आसानी से बनाया जा सकेगा। वहीं, पर्यटन की भी संभावनाएं तलाशी जा सकेंगी। मार्ग में पड़ने वाले नालों पर पुल बनाये जाने से आवागमन आसान हो जायेगा। मालथौन वन परिक्षेत्र अधिकारी वीएन सोलंकी ने बताया है कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित होने के कारण विभाग को अभी तक कोई भी आदेश उच्च कार्यलय से प्राप्त नहीं हुए हैं। हालांकि, झरने की जानकारी भोपाल पर्यटन विभाग को भेजी जा चुकी है। जो भी निर्णय करना है, विभाग के उच्चाधिकारी ही कर सकते हैं।

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जलप्रपात – फोटो : अमर उजाला

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सागर जिले की मालथोन तहसील क्षेत्र में एमपी-यूपी की बॉर्डर पर जंगल में इन दिनों एक जलप्रपात स्थानीय लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यहां 70 फीट ऊंचाई से गिरते पानी और आसपास मौजूद जंगल की हरियाली से मनोरम दृश्य बनता है।

मालथौन से पूर्व में 8 किलोमीटर दूर जंगल मे स्थित जलप्रपात का सौंदर्य इन दिनों देखते ही बन रहा है। अमारी ग्राम के पास एमपी-यूपी की सीमा पर जंगल में बने इस झरने को देखने के लिए ऊबड़ खाबड़ व जंगली रास्ते में मुसीबतों का सामना कर पर्यटक पहुंच रहे हैं। झरने का पानी 70 फीट ऊंचे पहाड़ से नीचे गिरता है। पानी गिरने के दौरान उठती फुहारे व धुंआ देखकर आने वाले लोग रोमांचित हो उठते हैं।

विशालकाय चट्टानों पर गिर रहा पानी मधुर ध्वनि विखेरता है। कभी तेज आवाज तो कभी मधुर ध्वनि बिना कहे ही सारी कहानी बयां कर देता है। मार्ग भले की दुर्गम हैं, लेकिन प्राकृतिक सौंदर्य देखने का जज्बा लेकर पहुंच रहे सैकड़ों पर्यटक यह बताने के लिये काफी हैं कि उक्त स्थान उन्हें कितना आकर्षित कर रहा है। हालांकि, इस प्राकृतिक झरने पर प्रशासन द्वारा सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं किए गए हैं, जिसके चलते बीते सालों में कई युवाओं की मौत भी हो चुकी है।

उदासीनता का दंश झेल रहा जलप्रपात
प्रशासन की उपेक्षा व उदासीनता का दंश यह जलप्रताप झेल रहा है। यदि इस क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित कर दिया जाये तो न केवल पहुंच मार्ग आसानी से बनाया जा सकेगा। वहीं, पर्यटन की भी संभावनाएं तलाशी जा सकेंगी। मार्ग में पड़ने वाले नालों पर पुल बनाये जाने से आवागमन आसान हो जायेगा।

मालथौन वन परिक्षेत्र अधिकारी वीएन सोलंकी ने बताया है कि उत्तर प्रदेश और मध्यप्रदेश की सीमा में स्थित होने के कारण विभाग को अभी तक कोई भी आदेश उच्च कार्यलय से प्राप्त नहीं हुए हैं। हालांकि, झरने की जानकारी भोपाल पर्यटन विभाग को भेजी जा चुकी है। जो भी निर्णय करना है, विभाग के उच्चाधिकारी ही कर सकते हैं।

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