Rohith Vemula : हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला की मौत की जांच कर रही पुलिस ने कोर्ट के समक्ष मामले को बंद करने की रिपोर्ट जमा की है. इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि रोहित दलित नहीं था और उसने असली पहचान जाहिर होने के डर से खुदकुशी कर ली. मामले की जांच कर रही साइबराबाद पुलिस की ओर से यह जानकारी दी गई कि वह अनुसूचित जाति (एससी) का नहीं था और उसे इसकी जानकारी थी.
इस बीच मामले को लेकर तेलंगाना के डीजीपी का बयान सामने आया है. उन्होंने कहा है कि क्योंकि मृतक रोहित वेमुला की मां और अन्य लोगों द्वारा जांच पर कुछ संदेह व्यक्त किया गया है. इसलिए मामले की आगे की जांच करने का निर्णय लिया गया है. उन्होंने कहा कि मजिस्ट्रेट से अनुरोध करते हुए संबंधित कोर्ट में एक याचिका दायर की जाएगी और आगे की जांच की अनुमति मांगने का काम किया जाएगा.
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Rohith Vemula death case | “As some doubts have been expressed by the mother and others of the deceased Rohith Vemula on the investigation conducted, it has been decided to conduct further investigation into the case. A petition will be filed in the Court concerned requesting the…
— ANI (@ANI) May 4, 2024 रोहित वेमुला के परिवार ने क्या कहा हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रहे रोहित वेमुला के परिजन की प्रतिक्रिया सामने आई है. उनकी ओर से कहा गया है कि वे रोहित के आत्महत्या मामले में तेलंगाना पुलिस की क्लोजर रिपोर्ट को कानूनी रूप से चुनौती देने का काम करेंगे. रोहित के भाई राजा वेमुला ने दावा किया कि जिलाधिकारी ने परिवार के अनुसूचित जाति के होने के बारे में कोई फैसला नहीं लिया. आपको बता दें कि पुलिस ने सबूतों की कमी का हवाला दिया है और इस मामले के आरोपियों को ‘क्लीन चिट’ दे दी है.
क्या है पूरा मामला जानें हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र संगठनों ने अफजल गुरू की फांसी सहित कुछ मुद्दों का विरोध किया था जिसको अंबेडकर स्टूडेन्ट्स एसोसिएशन समेत कुछ अन्य छात्र संगठन का भी साथ मिला था. इस प्रदर्शन से अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद नाराज था. परिणाम यह हुआ कि अध्यक्ष सुशील कुमार के साथ इन छात्रों की झड़प हो गई. इसके बाद केंद्रीय श्रम मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने वाइस चांसलर को चिट्ठी लिखी. साथ ही उन्होंने केंद्रीय शिक्षा मंत्री स्मृति ईऱानी को भी पूरे मामले की जानकारी दी.
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Rohith vemula case/ file photo विश्वविद्यालय प्रशासन पर पूरी घटना पर कार्रवाई करते हुए रोहित समेत पांच छात्रों को हॉस्टल से सस्पेंड करने का काम किया गया. यही नहीं, उनकी फ़ेलोशिप भी रोक दी गई. इसके अलावा उन्हें 21 दिसंबर को हॉस्टल से बाहर निकाला गया. साथ ही मेस और दूसरी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया. इस घटना के बाद से रोहित बहुत ज्यादा उदास रहने लगा था. उसने अपने छात्र संगठन के झंडे की मदद से ही आत्महत्या कर ली थी.
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