rera-का-फेरा:-शिकायत-करो-तो-बिल्डर-की-बजाए-शिकायतकर्ता-से-शुरू-हो-जाते-हैं-सवाल
रेरा मध्य प्रदेश - फोटो : सोशल मीडिया विस्तार Follow Us प्रदेश की रियल इस्टेट पर अंकुश रखने और तेजी से बढ़ते अवैध निर्माण और कॉलोनियों पर नजर बनाए रखने आकार दिए गए रेरा (रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में मनमानियों और गलत को सही करार देने के हालात बने हुए हैं। नियमों के विपरीत होने वाले कामों को रोकने, उन्हें दुरुस्त करवाने या गलत करने वाले को सजा देने की बजाए नियम तोड़ने वालों को बचाने में रेरा के अधिकारी-कर्मचारी जुटे हुए हैं।  Trending Videos ताजा मामला राजधानी भोपाल में हो रहे नियम विरुद्ध निर्माण हुए टॉवर्स से जुड़ा है। पुराने शहर के शाहजहानाबाद और पुल बोगदा में हुए इन निर्माणों को लेकर शहर के एक व्यक्ति ने रेरा में शिकायत की थी। अप्रैल में की गई इस शिकायत में शाहजहानाबाद के मिलेनियम एनक्लेव और पुल बोगदा के मेट्रो टॉवर में हुई नियमों की अनदेखी का जिक्र किया गया था। शिकायतकर्ता ने उल्लेख किया था कि नजूल, नगर निगम और अन्य सरकारी विभागों से ली गई अनुमतियों में कई कमियां हैं। इनमें मेट्रो टॉवर वक्फ संपत्ति पर बना दिया गया है। जिसका खरीदी बिक्री होना नियमों के खिलाफ है। शिकायत पर सवाल मिलेनियम एनक्लेव और मेट्रो टॉवर की जरूरी अनुमतियों और सरकारी स्वीकृतियों की कमियों के अलावा इसका रेरा रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया गया है। सूत्रों का कहना है कि इन कमियों और अनियमितताओं को लेकर अप्रैल में एक शिकायत की गई थी। करीब तीन माह तक शिकायत दफ्तर की टेबलें नापती रही। जब शिकायतकर्ता ने इस मामले में हुई कार्यवाही की जानकारी मांगना शुरू की तो रेरा ने शिकायतकर्ता को ही चिट्ठी लिख भेजी है। इस चिट्ठी में मिलेनियम एनक्लेव और मेट्रो टॉवर से जुड़े कई सवाल पूछ लिए गए हैं। इन टॉवर्स से संबंधित सवालों के जवाब बिल्डर या कंस्ट्रक्शन कंपनी के पास होने चाहिए। इन सवालों पर शिकायतकर्ता अब असमंजस में हैं कि वे रेरा को क्या जवाब दें। शिकायत पहुंच जाती है संबंधित के पास सूत्रों का कहना है कि रेरा में आने वाली अधिकांश शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। उसका कारण यह है कि कार्यालय में मौजूद अधिकारी-कर्मचारी बिल्डर, कंस्ट्रूशन कंपनी आदि से सीधे जुड़े हुए हैं। इसके चलते इन लोगों के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर कार्रवाई करने की बजाए उन्हें समझाइश, लालच, दबाव के हालात बनाने लगते हैं। इनका कहना है  रेरा उप सचिव हर प्रसाद वर्मा का कहना है कि शिकायतों से सुधार का रास्ता मिलना आसान होता है। विभाग में आने वाली हर शिकायत को गंभीरता से लिया जाता है। किसी बिंदु की जानकारी के लिए ही शिकायतकर्ता से प्रश्न किया गया होगा।  (भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट)

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प्रदेश की रियल इस्टेट पर अंकुश रखने और तेजी से बढ़ते अवैध निर्माण और कॉलोनियों पर नजर बनाए रखने आकार दिए गए रेरा (रियल इस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी) में मनमानियों और गलत को सही करार देने के हालात बने हुए हैं। नियमों के विपरीत होने वाले कामों को रोकने, उन्हें दुरुस्त करवाने या गलत करने वाले को सजा देने की बजाए नियम तोड़ने वालों को बचाने में रेरा के अधिकारी-कर्मचारी जुटे हुए हैं। 

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ताजा मामला राजधानी भोपाल में हो रहे नियम विरुद्ध निर्माण हुए टॉवर्स से जुड़ा है। पुराने शहर के शाहजहानाबाद और पुल बोगदा में हुए इन निर्माणों को लेकर शहर के एक व्यक्ति ने रेरा में शिकायत की थी। अप्रैल में की गई इस शिकायत में शाहजहानाबाद के मिलेनियम एनक्लेव और पुल बोगदा के मेट्रो टॉवर में हुई नियमों की अनदेखी का जिक्र किया गया था। शिकायतकर्ता ने उल्लेख किया था कि नजूल, नगर निगम और अन्य सरकारी विभागों से ली गई अनुमतियों में कई कमियां हैं। इनमें मेट्रो टॉवर वक्फ संपत्ति पर बना दिया गया है। जिसका खरीदी बिक्री होना नियमों के खिलाफ है।

शिकायत पर सवाल
मिलेनियम एनक्लेव और मेट्रो टॉवर की जरूरी अनुमतियों और सरकारी स्वीकृतियों की कमियों के अलावा इसका रेरा रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया गया है। सूत्रों का कहना है कि इन कमियों और अनियमितताओं को लेकर अप्रैल में एक शिकायत की गई थी। करीब तीन माह तक शिकायत दफ्तर की टेबलें नापती रही। जब शिकायतकर्ता ने इस मामले में हुई कार्यवाही की जानकारी मांगना शुरू की तो रेरा ने शिकायतकर्ता को ही चिट्ठी लिख भेजी है। इस चिट्ठी में मिलेनियम एनक्लेव और मेट्रो टॉवर से जुड़े कई सवाल पूछ लिए गए हैं। इन टॉवर्स से संबंधित सवालों के जवाब बिल्डर या कंस्ट्रक्शन कंपनी के पास होने चाहिए। इन सवालों पर शिकायतकर्ता अब असमंजस में हैं कि वे रेरा को क्या जवाब दें।

शिकायत पहुंच जाती है संबंधित के पास
सूत्रों का कहना है कि रेरा में आने वाली अधिकांश शिकायतों पर कार्रवाई नहीं हो पाती है। उसका कारण यह है कि कार्यालय में मौजूद अधिकारी-कर्मचारी बिल्डर, कंस्ट्रूशन कंपनी आदि से सीधे जुड़े हुए हैं। इसके चलते इन लोगों के खिलाफ आने वाली शिकायतों पर कार्रवाई करने की बजाए उन्हें समझाइश, लालच, दबाव के हालात बनाने लगते हैं।

इनका कहना है 
रेरा उप सचिव हर प्रसाद वर्मा का कहना है कि शिकायतों से सुधार का रास्ता मिलना आसान होता है। विभाग में आने वाली हर शिकायत को गंभीरता से लिया जाता है। किसी बिंदु की जानकारी के लिए ही शिकायतकर्ता से प्रश्न किया गया होगा। 

(भोपाल से खान आशु की रिपोर्ट)

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