rakshi-special:-इंदौर-की-बस्तियों-में-बनी-राखियां,-देश-की-प्रमुख-बिजनेस-फैमिली-तक-पहुंचीं
एग्जीबिशन में राखी दिखातीं बालिकाएं। - फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर विस्तार Follow Us इंदौर की बस्तियों में जरूरतमंद बच्चियों ने राखियां बनाई, जो देश की प्रमुख बिजनेस फैमिली तक पहुंच रही हैं। सीआईआई के विंग यंग इंडियंस ने यह पहल की है। इस पहल के अंतर्गत इंदौर की बस्तियों में जरूरतमंद बच्चियों को राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गई है और इन राखियों को बिजनेस नेटवर्क के माध्यम से देश की प्रमुख बिजनेस फैमिली तक पहुंचाया जा रहा है।  राखियों पर लिखा बनाने वाली बच्चियों का नाम यंग इंडियंस की प्रमुख आरती जाजू ने बताया कि इस बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमने यह प्रोजेक्ट शुरू किया था। लगभग सौ बच्चियों ने 800 से अधिक राखी बनाई हैं। सभी बच्चियां कैलाश कुटी क्षेत्र की हैं। संस्था बस्ती फाउंडेशन के माध्यम से हमने इन बच्चियों से संपर्क किया और उन्हें पहले राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद में एग्जीबिशन लगाई। हमने अपने बिजनेस नेटवर्क से ऑनलाइन ऑर्डर लिए जिन्हें हम डिलीवर करवा रहे हैं। पिछले तीन साल से यह प्रोजेक्ट चल रहा है। हमने हर राखी पर बनाने वाली बच्ची का नाम भी लिखा है।  पूरी कमाई बच्चियों के नाम आरती ने बताया कि राखियों की बिक्री से जो भी कमाई होती है उसे हम बच्चियों को ही देते हैं। हम उन्हें सिखा रहे हैं कि किस तरह से वह एक उद्यम स्थापित करके अपना बेहतर जीवन बना सकती हैं। हम उन्हें मोम के प्रोडक्ट्स, कपड़े के बैग आदि बनाना भी सिखा रहे हैं। 

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एग्जीबिशन में राखी दिखातीं बालिकाएं। – फोटो : अमर उजाला, डिजिटल, इंदौर

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इंदौर की बस्तियों में जरूरतमंद बच्चियों ने राखियां बनाई, जो देश की प्रमुख बिजनेस फैमिली तक पहुंच रही हैं। सीआईआई के विंग यंग इंडियंस ने यह पहल की है। इस पहल के अंतर्गत इंदौर की बस्तियों में जरूरतमंद बच्चियों को राखी बनाने की ट्रेनिंग दी गई है और इन राखियों को बिजनेस नेटवर्क के माध्यम से देश की प्रमुख बिजनेस फैमिली तक पहुंचाया जा रहा है। 

राखियों पर लिखा बनाने वाली बच्चियों का नाम
यंग इंडियंस की प्रमुख आरती जाजू ने बताया कि इस बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमने यह प्रोजेक्ट शुरू किया था। लगभग सौ बच्चियों ने 800 से अधिक राखी बनाई हैं। सभी बच्चियां कैलाश कुटी क्षेत्र की हैं। संस्था बस्ती फाउंडेशन के माध्यम से हमने इन बच्चियों से संपर्क किया और उन्हें पहले राखी बनाने का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद में एग्जीबिशन लगाई। हमने अपने बिजनेस नेटवर्क से ऑनलाइन ऑर्डर लिए जिन्हें हम डिलीवर करवा रहे हैं। पिछले तीन साल से यह प्रोजेक्ट चल रहा है। हमने हर राखी पर बनाने वाली बच्ची का नाम भी लिखा है। 

पूरी कमाई बच्चियों के नाम
आरती ने बताया कि राखियों की बिक्री से जो भी कमाई होती है उसे हम बच्चियों को ही देते हैं। हम उन्हें सिखा रहे हैं कि किस तरह से वह एक उद्यम स्थापित करके अपना बेहतर जीवन बना सकती हैं। हम उन्हें मोम के प्रोडक्ट्स, कपड़े के बैग आदि बनाना भी सिखा रहे हैं। 

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