rajgarh:-चार-बड़े-डैम-के-बावजूद-प्यासा-है-शहर,-छुट्टियां-मनाने-नानी-के-घर-आए-बच्चे-भी-भर-रहे-पानी
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, राजगढ़ Published by: राजगढ़ ब्यूरो Updated Sat, 22 Jun 2024 03: 56 PM IST ब्यावरा शहर में हमेशा रहने वाली पानी की समस्या गर्मी के इन दिनों में और अधिक बढ़ गई है। लोग पानी के लिए परेशान हैं, जबकि जिले में चार डैम स्थित हैं और ब्यावरा के चारो तरफ पानी ही पानी है। लेकिन उसके बावजूद भी ब्यावरा का ये दुर्भाग्य है। पानी का इंतजाम करते हुए लोग - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश के कमोबेश 55 जिले में से एक राजगढ़ जिला, जहां वर्तमान में सत्तापक्ष सरकार के दो मंत्री और तीन विधायक मौजूद हैं। जिले में सिंचित परियोजना के लिए चार बड़े डैम भी स्थित हैं। लेकिन व्यापारिक दृष्टिकोण, जनसंख्या, वार्ड और जयपुर-जबलपुर सहित आगरा-मुंबई नेशनल हाइवे सड़क मार्ग से गुजरने वाली सड़क के लिए केंद्र बिंदु, राजगढ़ जिले का सबसे बड़ा शहर ब्यावरा गर्मी के इन दिनों में पानी की भीषण समस्याओं से जूझ रहा है। आपको बता दें, ब्यावरा शहर में पानी को लेकर जनता के बीच त्राहि-त्राहि मची हुई है और हर कोई पानी के लिए परेशान नजर आ रहा है। हालात यह है कि सुबह हो या शाम, यहां हर कोई सिर्फ पानी की फिक्र में डूबा हुआ है और अपने सभी काम छोड़कर जनता सिर्फ पानी का इंतजाम करने में लगी हुई है। ब्यावरा के आमजन पानी के लिए तरस रहे हैं। लेकिन इनकी सुध पिछले कई वर्षों से किसी ने नहीं ली। हालात तो यह भी है कि जिले के अन्य क्षेत्रों से अपने नाना-नानी के यहां छुट्टी मनाने के लिए आए बच्चे भी पानी का इंतजाम करने में लगे हैं। यहां की नल जल योजना महज एक दिखावा ही नजर आती है। क्योंकि जिन लोगों ने अपने-अपने घरों में पानी स्टोर करने के लिए जो टैंक वगैरह का निर्माण कराया है, वे कभी नल में आने वाले पानी से भरा ही नहीं पाए। क्योंकि यहां लोगों के घरों के आगे नलों ने या तो दम तोड़ दिया और जो नल चल रहे हैं, वो 10 से 15 दिनों में एक बार ही चलाए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र की जनता पानी की भारी किल्लत का सामना कर रही है। यदि शहरी क्षेत्र में ये हाल है तो इससे ग्रामीण क्षेत्रों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है। हाल ही में पानी की समस्याओं को लेकर विपक्ष यानी की कांग्रेस और आमजन के द्वारा धरना प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं, जिनमें नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाए गए हैं। यहां हर वर्ग और समाज पानी की परेशानी से जूझता हुआ नजर आ ही जाता है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। स्थानीय निवासी मुकेश सक्सेना बताते हैं कि जिले का सबसे बड़ा शहर ब्यावरा के चारो तरफ पानी ही पानी है। लेकिन यहां कई वर्षों से जलसंकट की गंभीर समस्या बनी हुई है। यहां दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल सत्ता में रहे हैं। लेकिन किसी ने भी पानी की इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया और लगभग 20 से 25 वर्षों से ब्यावरा शहर भीषण जल संकट से जूझ रहा है और आज भी यही हालात है, जिसका मुख्य कारण है कि यहां पानी सप्लाई करने के लिए केवल दो ही प्रमुख टंकिया हैं, जो की नाकाफी है। जब तक यहां और पानी के स्टोरेज के लिए टंकियों का निर्माण नहीं होगा, तब तक ब्यावरा शहर पानी की समस्या से जूझता रहेगा। इस ओर जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है। वहीं, ब्यावरा शहर के शीतला माता मार्ग में निवास करने वाले साजिद मंसूरी कहते हैं कि गर्मी के इन दिनों में पानी की काफी परेशानी आ रही है। दूर-दूर से पानी भरके लाना पड़ता है। ब्यावरा में हर बात के लेकर राजनीति तो गरमा जाती है। लेकिन पानी की किल्लत को लेकर आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। हाल ही में कांग्रेस ने धरना दिया था, लेकिन उससे भी कोई हल नहीं निकला। 15 से 20 दिनों में नल चल रहे हैं। ब्यावरा के आसपास तीन से चार डैम हैं, लेकिन उसके बाद भी यहां की जनता पानी के लिए परेशान है। ब्यावरा सेंटर पॉइंट होने के बावजूद भी यहां सालो से पानी की परेशानी बनी हुई है। इस तरफ कोई देखने वाला ही नहीं है। पानी के कारण मानसिक और आर्थिक रूप से भी प्रताड़ित होना पड़ता है। क्योंकि यदि पानी का इंतजाम करना है तो आपको अपने काम से छुट्टी मनानी पड़ेगी। वहीं, राजगढ़ से अपनी नानी के यहां छुट्टियां मनाने ब्यावरा आए सात वर्षीय मुहम्मद हाशिम अंसारी बताते हैं कि यहां नल नहीं चलते। घर के सभी लोग पानी भरने के लिए इधर-उधर जाते हैं तो मैं भी उनके साथ चला जाता हूं, मेरी छुट्टियां यहां ऐसे बीत रही हैं। रात में भी पानी का इंतजाम करते हुए स्थानीय निवासी और बच्चे वहीं, इस मामले को लेकर जब हमने नगरपालिका सीएमओ रईस खान से फोन पर बात की तो उनका कहना था कि फिलहाल शहर में चार टंकियों से पानी की सप्लाई की जा रही है। इस समस्या के स्थाई निदान के लिए मोहनपुरा डैम से पाइप लाइन बिछाकर और चार नवीन पानी की टंकियों का निर्माण प्रस्तावित है, जो की कराया जाएगा, जिसमे संभवतः एक वर्ष का समय लगेगा। ये कार्य होने के पश्चात ब्यावरा शहर वासियों को होने वाली पानी की किल्लत हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, राजगढ़ Published by: राजगढ़ ब्यूरो Updated Sat, 22 Jun 2024 03: 56 PM IST

ब्यावरा शहर में हमेशा रहने वाली पानी की समस्या गर्मी के इन दिनों में और अधिक बढ़ गई है। लोग पानी के लिए परेशान हैं, जबकि जिले में चार डैम स्थित हैं और ब्यावरा के चारो तरफ पानी ही पानी है। लेकिन उसके बावजूद भी ब्यावरा का ये दुर्भाग्य है। पानी का इंतजाम करते हुए लोग – फोटो : अमर उजाला

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मध्यप्रदेश के कमोबेश 55 जिले में से एक राजगढ़ जिला, जहां वर्तमान में सत्तापक्ष सरकार के दो मंत्री और तीन विधायक मौजूद हैं। जिले में सिंचित परियोजना के लिए चार बड़े डैम भी स्थित हैं। लेकिन व्यापारिक दृष्टिकोण, जनसंख्या, वार्ड और जयपुर-जबलपुर सहित आगरा-मुंबई नेशनल हाइवे सड़क मार्ग से गुजरने वाली सड़क के लिए केंद्र बिंदु, राजगढ़ जिले का सबसे बड़ा शहर ब्यावरा गर्मी के इन दिनों में पानी की भीषण समस्याओं से जूझ रहा है।

आपको बता दें, ब्यावरा शहर में पानी को लेकर जनता के बीच त्राहि-त्राहि मची हुई है और हर कोई पानी के लिए परेशान नजर आ रहा है। हालात यह है कि सुबह हो या शाम, यहां हर कोई सिर्फ पानी की फिक्र में डूबा हुआ है और अपने सभी काम छोड़कर जनता सिर्फ पानी का इंतजाम करने में लगी हुई है। ब्यावरा के आमजन पानी के लिए तरस रहे हैं। लेकिन इनकी सुध पिछले कई वर्षों से किसी ने नहीं ली। हालात तो यह भी है कि जिले के अन्य क्षेत्रों से अपने नाना-नानी के यहां छुट्टी मनाने के लिए आए बच्चे भी पानी का इंतजाम करने में लगे हैं।

यहां की नल जल योजना महज एक दिखावा ही नजर आती है। क्योंकि जिन लोगों ने अपने-अपने घरों में पानी स्टोर करने के लिए जो टैंक वगैरह का निर्माण कराया है, वे कभी नल में आने वाले पानी से भरा ही नहीं पाए। क्योंकि यहां लोगों के घरों के आगे नलों ने या तो दम तोड़ दिया और जो नल चल रहे हैं, वो 10 से 15 दिनों में एक बार ही चलाए जा रहे हैं, जिससे क्षेत्र की जनता पानी की भारी किल्लत का सामना कर रही है। यदि शहरी क्षेत्र में ये हाल है तो इससे ग्रामीण क्षेत्रों का अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है।

हाल ही में पानी की समस्याओं को लेकर विपक्ष यानी की कांग्रेस और आमजन के द्वारा धरना प्रदर्शन भी देखने को मिले हैं, जिनमें नगर पालिका की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान लगाए गए हैं। यहां हर वर्ग और समाज पानी की परेशानी से जूझता हुआ नजर आ ही जाता है, जिसकी सुध लेने वाला कोई नहीं है।

स्थानीय निवासी मुकेश सक्सेना बताते हैं कि जिले का सबसे बड़ा शहर ब्यावरा के चारो तरफ पानी ही पानी है। लेकिन यहां कई वर्षों से जलसंकट की गंभीर समस्या बनी हुई है। यहां दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दल सत्ता में रहे हैं। लेकिन किसी ने भी पानी की इस गंभीर समस्या को दूर करने के लिए कोई प्रयास नहीं किया और लगभग 20 से 25 वर्षों से ब्यावरा शहर भीषण जल संकट से जूझ रहा है और आज भी यही हालात है, जिसका मुख्य कारण है कि यहां पानी सप्लाई करने के लिए केवल दो ही प्रमुख टंकिया हैं, जो की नाकाफी है। जब तक यहां और पानी के स्टोरेज के लिए टंकियों का निर्माण नहीं होगा, तब तक ब्यावरा शहर पानी की समस्या से जूझता रहेगा। इस ओर जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की अधिक आवश्यकता है।

वहीं, ब्यावरा शहर के शीतला माता मार्ग में निवास करने वाले साजिद मंसूरी कहते हैं कि गर्मी के इन दिनों में पानी की काफी परेशानी आ रही है। दूर-दूर से पानी भरके लाना पड़ता है। ब्यावरा में हर बात के लेकर राजनीति तो गरमा जाती है। लेकिन पानी की किल्लत को लेकर आवाज उठाने वाला कोई नहीं है। हाल ही में कांग्रेस ने धरना दिया था, लेकिन उससे भी कोई हल नहीं निकला। 15 से 20 दिनों में नल चल रहे हैं। ब्यावरा के आसपास तीन से चार डैम हैं, लेकिन उसके बाद भी यहां की जनता पानी के लिए परेशान है। ब्यावरा सेंटर पॉइंट होने के बावजूद भी यहां सालो से पानी की परेशानी बनी हुई है। इस तरफ कोई देखने वाला ही नहीं है। पानी के कारण मानसिक और आर्थिक रूप से भी प्रताड़ित होना पड़ता है। क्योंकि यदि पानी का इंतजाम करना है तो आपको अपने काम से छुट्टी मनानी पड़ेगी।

वहीं, राजगढ़ से अपनी नानी के यहां छुट्टियां मनाने ब्यावरा आए सात वर्षीय मुहम्मद हाशिम अंसारी बताते हैं कि यहां नल नहीं चलते। घर के सभी लोग पानी भरने के लिए इधर-उधर जाते हैं तो मैं भी उनके साथ चला जाता हूं, मेरी छुट्टियां यहां ऐसे बीत रही हैं।

रात में भी पानी का इंतजाम करते हुए स्थानीय निवासी और बच्चे
वहीं, इस मामले को लेकर जब हमने नगरपालिका सीएमओ रईस खान से फोन पर बात की तो उनका कहना था कि फिलहाल शहर में चार टंकियों से पानी की सप्लाई की जा रही है। इस समस्या के स्थाई निदान के लिए मोहनपुरा डैम से पाइप लाइन बिछाकर और चार नवीन पानी की टंकियों का निर्माण प्रस्तावित है, जो की कराया जाएगा, जिसमे संभवतः एक वर्ष का समय लगेगा। ये कार्य होने के पश्चात ब्यावरा शहर वासियों को होने वाली पानी की किल्लत हमेशा के लिए समाप्त हो जाएगी।

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