rail-accident:-'हम-रील-बनाने-वाले-लोग-नहीं',-रेल-मंत्री-ने-कांग्रेस-पर-बोला-हमला
Rail Accident: लोकसभा में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, हम रील बनाने वाले लोग नहीं हैं, हम मेहनत करते हैं, न कि आप लोग जो दिखावे के लिए रील बनाते हैं. हाल के दिनों में रेल दुर्घटना को लेकर विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने यह बात कही. लोको पायलट को मिली ज्यादा सुविधाएं रेल मंत्री ने कहा, लोको पायलटों के काम करने और आराम करने का औसत समय 2005 में बनाए गए नियम के अनुसार तय होता है. 2016 में नियमों में संशोधन किया गया और लोको पायलटों को ज्यादा सुविधाएं दी गईं. सभी रनिंग रूम – 558 को वातानुकूलित बनाया गया. लोको कैब बहुत ज्यादा कंपन करती हैं, गर्म होती हैं और इसलिए 7,000 से ज्यादा लोको कैब वातानुकूलित हैं. आज जो लोग रील बनाकर सहानुभूति दिखाते हैं, उनके समय में यह शून्य था. कवच का संस्करण 4.0 लगाया जा रहा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, दुर्घटना को रोकने के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को अप्रुवल दिया गया है. जुलाई 2024 को कवच का संस्करण 4.0 स्वीकृत किया गया है. वैष्णव ने कहा, हमारे पास इस तकनीक के तीन विनिर्माता हैं, दो नए विनिर्माता जुड़ने वाले हैं, 8000 से अधिक इंजीनियर और कर्मियों को इसका प्रशिक्षण दिया गया है तथा छह विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि इतने परिश्रम के बाद 9000 किलोमीटर रेलमार्ग के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है. वैष्णव ने कहा कि भारत में रेलवे का करीब 70 हजार किलोमीटर का नेटवर्क है. उन्होंने कहा कि इससे आधे नेटवर्क के आकार वाले देशों ने एटीपी प्रणाली को लागू करने में करीब 20 साल लगाए. उन्होंने कहा, मैं भरोसा दिलाना चाहूंगा कि कवच को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. दिन रात लगकर और जी-जान लगाकर पूरे नेटवर्क पर और प्रत्येक किलोमीटर रेलमार्ग पर इसे लगाने का पूरा का पूरा प्रयास करेंगे. 2014 से 2024 तक रेलवे में कुल 5 लाख 2 हजार कर्मचारियों की भर्ती हुई लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, अगर रेलवे में भर्ती की बात करें तो यूपीए के कार्यकाल में 2004 से 2014 तक रेलवे में केवल 4 लाख 11 हजार कर्मचारियों की भर्ती हुई थी, जबकि एनडीए के 10 साल के कार्यकाल में 2014 से 2024 तक यह आंकड़ा 5 लाख 2 हजार हो जाता है. जिसकी मांग सालों से हो रही थी – रेलवे भर्ती के लिए एक वार्षिक कैलेंडर होना चाहिए, हमने इसे जनवरी 2024 में घोषित कर दिया है. रेलवे में जाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले युवाओं के लिए अब साल में 4 बार वैकेंसी निकलती है – जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में. अभी भी 40,565 वैकेंसी विज्ञापित हैं जिन्हें भरा जाना है. संपूर्ण रेल नेटवर्क पर ‘कवच’ लगाने के लिए दिन रात एक कर देंगे: वैष्णव रेलवे की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर ‘झूठ की दुकान’ चलाने का आरोप लगाते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे में सुरक्षा की ‘कवच’ प्रणाली के आधुनिक संस्करण को देश के प्रत्येक किलोमीटर रेल नेटवर्क पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने कहा कि ट्रेनों की सुरक्षा के लिए स्वचालित रेलगाड़ी सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली दुनिया के अधिकतर देशों में 1970 और 1980 के दशक में लगाई गई थी, लेकिन ‘दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस के 58 साल के कार्यकाल में और 2014 से पहले तक भारत के एक भी किलोमीटर रेलवे नेटवर्क पर यह प्रणाली नहीं लग पाई. पश्चिम बंगाल के कुछ सदस्यों द्वारा ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान लागू ‘टक्कर रोधी उपकरण’ प्रणाली का उल्लेख किए जाने पर वैष्णव ने कहा कि 2006 में देश के करीब 1500 किलोमीटर रेल मार्ग पर यह प्रणाली लगाई गई. उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से इसका कोई सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं था और 2012 में इसे हटा दिया गया. काम करने की जैसी पद्धति, रेलवे में जैसी गंभीरता होनी चाहिए थी, तब नहीं थी, लेकिन आज है. Also Read: Good News: मिडिल क्लास फैमिली को रेल मंत्री ने दी बड़ी सौगात, बजट के तुरंत बाद जानें क्या किया ऐलान?  जानें कैसे हुआ झारखंड में रेल हादसा

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Rail Accident: लोकसभा में केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा, हम रील बनाने वाले लोग नहीं हैं, हम मेहनत करते हैं, न कि आप लोग जो दिखावे के लिए रील बनाते हैं. हाल के दिनों में रेल दुर्घटना को लेकर विपक्ष के हमले का जवाब देते हुए रेल मंत्री ने यह बात कही.

लोको पायलट को मिली ज्यादा सुविधाएं रेल मंत्री ने कहा, लोको पायलटों के काम करने और आराम करने का औसत समय 2005 में बनाए गए नियम के अनुसार तय होता है. 2016 में नियमों में संशोधन किया गया और लोको पायलटों को ज्यादा सुविधाएं दी गईं. सभी रनिंग रूम – 558 को वातानुकूलित बनाया गया. लोको कैब बहुत ज्यादा कंपन करती हैं, गर्म होती हैं और इसलिए 7,000 से ज्यादा लोको कैब वातानुकूलित हैं. आज जो लोग रील बनाकर सहानुभूति दिखाते हैं, उनके समय में यह शून्य था.

कवच का संस्करण 4.0 लगाया जा रहा रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया, दुर्घटना को रोकने के लिए लेटेस्ट टेक्नोलॉजी को अप्रुवल दिया गया है. जुलाई 2024 को कवच का संस्करण 4.0 स्वीकृत किया गया है. वैष्णव ने कहा, हमारे पास इस तकनीक के तीन विनिर्माता हैं, दो नए विनिर्माता जुड़ने वाले हैं, 8000 से अधिक इंजीनियर और कर्मियों को इसका प्रशिक्षण दिया गया है तथा छह विश्वविद्यालयों के पाठ्यक्रम में इसे शामिल किया गया है. उन्होंने कहा कि इतने परिश्रम के बाद 9000 किलोमीटर रेलमार्ग के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है. वैष्णव ने कहा कि भारत में रेलवे का करीब 70 हजार किलोमीटर का नेटवर्क है. उन्होंने कहा कि इससे आधे नेटवर्क के आकार वाले देशों ने एटीपी प्रणाली को लागू करने में करीब 20 साल लगाए. उन्होंने कहा, मैं भरोसा दिलाना चाहूंगा कि कवच को लागू करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. दिन रात लगकर और जी-जान लगाकर पूरे नेटवर्क पर और प्रत्येक किलोमीटर रेलमार्ग पर इसे लगाने का पूरा का पूरा प्रयास करेंगे.

2014 से 2024 तक रेलवे में कुल 5 लाख 2 हजार कर्मचारियों की भर्ती हुई लोकसभा में बोलते हुए केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा, अगर रेलवे में भर्ती की बात करें तो यूपीए के कार्यकाल में 2004 से 2014 तक रेलवे में केवल 4 लाख 11 हजार कर्मचारियों की भर्ती हुई थी, जबकि एनडीए के 10 साल के कार्यकाल में 2014 से 2024 तक यह आंकड़ा 5 लाख 2 हजार हो जाता है. जिसकी मांग सालों से हो रही थी – रेलवे भर्ती के लिए एक वार्षिक कैलेंडर होना चाहिए, हमने इसे जनवरी 2024 में घोषित कर दिया है. रेलवे में जाने के लिए कड़ी मेहनत करने वाले युवाओं के लिए अब साल में 4 बार वैकेंसी निकलती है – जनवरी, अप्रैल, जुलाई और अक्टूबर में. अभी भी 40,565 वैकेंसी विज्ञापित हैं जिन्हें भरा जाना है.

संपूर्ण रेल नेटवर्क पर ‘कवच’ लगाने के लिए दिन रात एक कर देंगे: वैष्णव रेलवे की सुरक्षा को लेकर कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों पर ‘झूठ की दुकान’ चलाने का आरोप लगाते हुए रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि रेलवे में सुरक्षा की ‘कवच’ प्रणाली के आधुनिक संस्करण को देश के प्रत्येक किलोमीटर रेल नेटवर्क पर लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी. उन्होंने कहा कि ट्रेनों की सुरक्षा के लिए स्वचालित रेलगाड़ी सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली दुनिया के अधिकतर देशों में 1970 और 1980 के दशक में लगाई गई थी, लेकिन ‘दुर्भाग्य की बात है कि कांग्रेस के 58 साल के कार्यकाल में और 2014 से पहले तक भारत के एक भी किलोमीटर रेलवे नेटवर्क पर यह प्रणाली नहीं लग पाई. पश्चिम बंगाल के कुछ सदस्यों द्वारा ममता बनर्जी के रेल मंत्री रहने के दौरान लागू ‘टक्कर रोधी उपकरण’ प्रणाली का उल्लेख किए जाने पर वैष्णव ने कहा कि 2006 में देश के करीब 1500 किलोमीटर रेल मार्ग पर यह प्रणाली लगाई गई. उन्होंने कहा, दुर्भाग्य से इसका कोई सुरक्षा प्रमाणपत्र नहीं था और 2012 में इसे हटा दिया गया. काम करने की जैसी पद्धति, रेलवे में जैसी गंभीरता होनी चाहिए थी, तब नहीं थी, लेकिन आज है.

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