priyanka-gandhi:-वायनाड-से-प्रियंका-गांधी-लड़-सकती-हैं-लोकसभा-का-उपचुनाव
Priyanka Gandhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने और प्रियंका गांधी के यहां से उपचुनाव लड़ने के ऐलान के बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गयी है. कांग्रेस पर परिवारवाद का फिर से आरोप भी लग रहा है. इसके साथ यह भी साफ हो गया है कि प्रियंका गांधी बैकफुट से फ्रंट की राजनीति में शामिल हो रही हैं. हालांकि प्रियंका गांधी 2019 में ही एक्टिव राजनीति में आ गई थीं. लेकिन उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा. अब कांग्रेस ने वायनाड से होने वाले उपचुनाव में प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाने का फैसला कर लिया है. इसी के साथ गांधी परिवार का एक और सदस्य चुनावी राजनीति में साउथ से एंट्री करने जा रहा है.     इससे पहले कई कई बार प्रियंका गांधी के कभी अमेठी, कभी रायबरेली और यहां तक की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर समय-समय पर अटकलें लगाई जाती रही है. लेकिन, उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा. अब कांग्रेस के उन्हें वायनाड सीट से उपचुनाव में मैदान में उतारने की घोषणा के बाद तमाम अटकलों पर विराम लग गया है. कांग्रेस ने सोमवार को फैसला किया कि राहुल गांधी रायबरेली के सांसद बने रहेंगे और वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे. यानी यह साफ हो गया कि अब केरल के वायनाड से प्रियंका गांधी चुनावी राजनीति में पदार्पण करेंगी. प्रियंका गांधी का राजनीतिक सफर 2019 में सक्रिय राजनीति में आने के बाद जनवरी 2019 में प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया गया और फिर पूरे राज्य का प्रभारी महासचिव बनाया गया. हालांकि 2019 के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा, लेकिन प्रियंका ने जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के अपने प्रयास जारी रखे. इसी कड़ी में दिसंबर 2023 में प्रियंका गांधी को बिना पोर्टफोलियो के महासचिव बनाया गया और वह कांग्रेस की प्रमुख रणनीतिकार और बाद में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की स्टार प्रचारक के रूप में उभरीं. संगठन की मजबूती के लिए किया काम प्रियंका गांधी ने संगठन को मजबूत करने में काफी अहम रोल निभाया. हिमाचल प्रदेश में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया और राज्य में पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की. उनके प्रचार अभियान ने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीट जीतने में मदद की. गौरतलब है कि गांधी परिवार का साउथ इंडिया से दशकों पुराना नाता रहा है. इंदिरा गांधी ने 1978 का उपचुनाव कर्नाटक के चिकमगलूर से लड़ा था. इसके बाद 1980 में इंदिरा ने आंध्र के मेडक सीट से जीत हासिल की. 1999 में सोनिया गांधी ने भी अपना राजनीतिक करियर दक्षिण से ही किया था. वे 1999 में अमेठी और कर्नाटक की बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ी थीं. इसी परंपरा को बरकरार रखते हुए प्रियंका गांधी वायनाड से उपचुनाव लड़ने जा रही हैं. करिश्माई नेता के रूप में प्रियंका गांधी की छवि अब अगर प्रियंका गांधी लोकसभा का उपचुनाव जीत जाती हैं तो यह पहली बार होगा कि सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों एक साथ संसद में होंगे. सोनिया गांधी फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं. 18वीं लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी की छवि एक करिश्माई नेता के रूप में उभरी है, जिनमें नेतृत्व करने क्षमता और संगठन को आगे ले जाने का माद्दा दिखता है. कांग्रेस को मिले 99 लोकसभा सीट में प्रियंका गांधी का भी अहम योगदान है. इसके कहीं से भी नकारा नहीं जा सकता है. चुनाव के बाद प्रियंका की एक करिश्माई नेता के रूप में छवि और मजबूत हुई है. कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की संसद में मौजूदगी से जनता की आवाज और बुलंद होगी. प्रभावी प्रचारक के रूप में उभरीं प्रियंका गांधी 24 अकबर रोड: ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपल बिहाइंड द फॉल एंड राइज ऑफ द कांग्रेस किताब में रशीद किदवई ने कहा है कि कांग्रेस लंबे समय से एक प्रभावी प्रचारक की तलाश में थी और 2024 के चुनाव में प्रियंका गांधी ने जिस तरह से पीएम मोदी को जवाब दिया है, वह आश्चर्यजनक विकल्प के तौर पर उभरी हैं. प्रियंका गांधी ने दिखाया कि मोदी का मुकाबला किया जा सकता है और उन्होंने पूरे भारत में कांग्रेस के लिये चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राजनीतिक टिप्पणीकार और कांग्रेस के पूर्व नेता संजय झा ने प्रियंका गांधी को शानदार प्रचारक बताया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के कटाक्षों का तीखा और त्वरित जवाब देकर उन्होंने प्रचार के दौरान कमाल कर दिया. उनकी मौजूदगी जादुई रही है. कांग्रेस चुनाव अभियान में जोरदार वापसी करती दिखी और प्रियंका ने पीएम मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं के लगातार हमलों का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभाई है. चुनाव में प्रियंका गांधी की दिखी दमदार भूमिका कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 2014 और 2019 के चुनावों की तुलना में 18वीं लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी की भूमिका ज्यादा दमदार नजर आयी. उन्होंने सटीक और सहज लहजे में आरोपों का जवाब दिया. विरोधियों पर हमला किया. कांग्रेस के चुनावी अभियान में अहम भूमिका निभाई. पारिवारिक संबंधों और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर चर्चा के बीच कुशलता से संतुलन बनाए भी रखा और एक रणनीतिकार, वक्ता और भीड़ को आकर्षित करने वाली नेता के रूप में पहले से ज्यादा कारगर तरीके से उबरीं. 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने 108 जनसभाएं और रोड शो किया. अब प्रियंका गांधी वायनाड से उपचुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने सोमवार को वायनाड से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद कहा कि मुझे जरा भी घबराहट नहीं है. मैं बहुत खुश हूं कि मुझे वायनाड का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा. भाषा इनपुट से साभार Also Read: हाई स्पीड और सिग्नलिंग सिस्टम में खराबी, मालगाड़ी को थी रेड लाइट पार करने की इजाजत, कैसे हुआ इतना बड़ा हादसा

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Priyanka Gandhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के वायनाड सीट छोड़ने और प्रियंका गांधी के यहां से उपचुनाव लड़ने के ऐलान के बाद सियासी गलियारों में चर्चा तेज हो गयी है. कांग्रेस पर परिवारवाद का फिर से आरोप भी लग रहा है. इसके साथ यह भी साफ हो गया है कि प्रियंका गांधी बैकफुट से फ्रंट की राजनीति में शामिल हो रही हैं. हालांकि प्रियंका गांधी 2019 में ही एक्टिव राजनीति में आ गई थीं. लेकिन उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा. अब कांग्रेस ने वायनाड से होने वाले उपचुनाव में प्रियंका गांधी को उम्मीदवार बनाने का फैसला कर लिया है. इसी के साथ गांधी परिवार का एक और सदस्य चुनावी राजनीति में साउथ से एंट्री करने जा रहा है.    

इससे पहले कई कई बार प्रियंका गांधी के कभी अमेठी, कभी रायबरेली और यहां तक की वाराणसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने को लेकर समय-समय पर अटकलें लगाई जाती रही है. लेकिन, उन्होंने कभी चुनाव नहीं लड़ा. अब कांग्रेस के उन्हें वायनाड सीट से उपचुनाव में मैदान में उतारने की घोषणा के बाद तमाम अटकलों पर विराम लग गया है. कांग्रेस ने सोमवार को फैसला किया कि राहुल गांधी रायबरेली के सांसद बने रहेंगे और वायनाड सीट से इस्तीफा देंगे. यानी यह साफ हो गया कि अब केरल के वायनाड से प्रियंका गांधी चुनावी राजनीति में पदार्पण करेंगी.

प्रियंका गांधी का राजनीतिक सफर
2019 में सक्रिय राजनीति में आने के बाद जनवरी 2019 में प्रियंका गांधी को पूर्वी उत्तर प्रदेश का प्रभारी महासचिव बनाया गया और फिर पूरे राज्य का प्रभारी महासचिव बनाया गया. हालांकि 2019 के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बहुत अच्छा नहीं रहा, लेकिन प्रियंका ने जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत करने के अपने प्रयास जारी रखे. इसी कड़ी में दिसंबर 2023 में प्रियंका गांधी को बिना पोर्टफोलियो के महासचिव बनाया गया और वह कांग्रेस की प्रमुख रणनीतिकार और बाद में 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी की स्टार प्रचारक के रूप में उभरीं.

संगठन की मजबूती के लिए किया काम
प्रियंका गांधी ने संगठन को मजबूत करने में काफी अहम रोल निभाया. हिमाचल प्रदेश में पार्टी के प्रचार अभियान का नेतृत्व किया और राज्य में पार्टी को सत्ता में लाने में मदद की. उनके प्रचार अभियान ने हाल में संपन्न लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को 99 सीट जीतने में मदद की. गौरतलब है कि गांधी परिवार का साउथ इंडिया से दशकों पुराना नाता रहा है. इंदिरा गांधी ने 1978 का उपचुनाव कर्नाटक के चिकमगलूर से लड़ा था. इसके बाद 1980 में इंदिरा ने आंध्र के मेडक सीट से जीत हासिल की. 1999 में सोनिया गांधी ने भी अपना राजनीतिक करियर दक्षिण से ही किया था. वे 1999 में अमेठी और कर्नाटक की बेल्लारी सीट से चुनाव लड़ी थीं. इसी परंपरा को बरकरार रखते हुए प्रियंका गांधी वायनाड से उपचुनाव लड़ने जा रही हैं.

करिश्माई नेता के रूप में प्रियंका गांधी की छवि
अब अगर प्रियंका गांधी लोकसभा का उपचुनाव जीत जाती हैं तो यह पहली बार होगा कि सोनिया, राहुल और प्रियंका तीनों एक साथ संसद में होंगे. सोनिया गांधी फिलहाल राजस्थान से राज्यसभा सदस्य हैं. 18वीं लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी की छवि एक करिश्माई नेता के रूप में उभरी है, जिनमें नेतृत्व करने क्षमता और संगठन को आगे ले जाने का माद्दा दिखता है. कांग्रेस को मिले 99 लोकसभा सीट में प्रियंका गांधी का भी अहम योगदान है. इसके कहीं से भी नकारा नहीं जा सकता है. चुनाव के बाद प्रियंका की एक करिश्माई नेता के रूप में छवि और मजबूत हुई है. कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की संसद में मौजूदगी से जनता की आवाज और बुलंद होगी.

प्रभावी प्रचारक के रूप में उभरीं प्रियंका गांधी
24 अकबर रोड: ए शॉर्ट हिस्ट्री ऑफ द पीपल बिहाइंड द फॉल एंड राइज ऑफ द कांग्रेस किताब में रशीद किदवई ने कहा है कि कांग्रेस लंबे समय से एक प्रभावी प्रचारक की तलाश में थी और 2024 के चुनाव में प्रियंका गांधी ने जिस तरह से पीएम मोदी को जवाब दिया है, वह आश्चर्यजनक विकल्प के तौर पर उभरी हैं. प्रियंका गांधी ने दिखाया कि मोदी का मुकाबला किया जा सकता है और उन्होंने पूरे भारत में कांग्रेस के लिये चुनाव प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. राजनीतिक टिप्पणीकार और कांग्रेस के पूर्व नेता संजय झा ने प्रियंका गांधी को शानदार प्रचारक बताया है. उन्होंने कहा कि पीएम मोदी के कटाक्षों का तीखा और त्वरित जवाब देकर उन्होंने प्रचार के दौरान कमाल कर दिया. उनकी मौजूदगी जादुई रही है. कांग्रेस चुनाव अभियान में जोरदार वापसी करती दिखी और प्रियंका ने पीएम मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं के लगातार हमलों का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभाई है.

चुनाव में प्रियंका गांधी की दिखी दमदार भूमिका
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने 2014 और 2019 के चुनावों की तुलना में 18वीं लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी की भूमिका ज्यादा दमदार नजर आयी. उन्होंने सटीक और सहज लहजे में आरोपों का जवाब दिया. विरोधियों पर हमला किया. कांग्रेस के चुनावी अभियान में अहम भूमिका निभाई. पारिवारिक संबंधों और राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों पर चर्चा के बीच कुशलता से संतुलन बनाए भी रखा और एक रणनीतिकार, वक्ता और भीड़ को आकर्षित करने वाली नेता के रूप में पहले से ज्यादा कारगर तरीके से उबरीं. 2024 के लोकसभा चुनाव में प्रियंका गांधी ने 108 जनसभाएं और रोड शो किया. अब प्रियंका गांधी वायनाड से उपचुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने सोमवार को वायनाड से अपनी उम्मीदवारी की घोषणा के बाद कहा कि मुझे जरा भी घबराहट नहीं है. मैं बहुत खुश हूं कि मुझे वायनाड का प्रतिनिधित्व करने का मौका मिलेगा. भाषा इनपुट से साभार

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