महाकाल मंदिर गर्भगृह – फोटो : अमर उजाला
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महाकाल मंदिर के गर्भगृह में पिछले करीब डेढ़ साल से श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक है। लेकिन वीआईपी को एंट्री मिल रही है। चार जुलाई 2023 को श्रावण महीने में आने वाली भीड़ की देखते हुए 11 सितंबर 2023 तक के लिए गर्भगृह बंद किया गया था। उस दौरान मंदिर समिति ने कहा था कि श्रावण खत्म होते ही गर्भगृह आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिया जाएगा। अब डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी गर्भगृह खुलना तो दूर मंदिर प्रबंध समिति में इस पर चर्चा तक नहीं हुई।
लगता है जैसे भगवान महाकालेश्वर के गर्भगृह दर्शन अब सिर्फ आम लोगों के लिए नहीं है। अब वीआईपी के अलावा कथावाचकों को भी गर्भगृह में प्रवेश दिया जा रहा है। बीते दिन रविवार को कथावाचक प्रदीप मिश्रा उज्जैन आए। यहां पर उन्होंने गर्भगृह में जाकर श्री महाकालेश्वर भगवान का पूजन व अभिषेक किया। पूजन पंडित राजेश पुजारी व आकाश पुजारी ने करवाया। मंदिर प्रबंध समिति की ओर से प्रदीप मिश्रा का समिति सदस्य राम पुजारी, महापौर मुकेश टटवाल, चंद्रप्रकाश शर्मा आदि द्वारा स्वागत व सम्मान किया गया।
सब चुप कोई नहीं बता रहा, किसके आदेश पर गर्भगृह में पहुंचे प्रदीप मिश्रा
कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा के गर्भगृह में प्रवेश करने को लेकर बवाल मच गया है। बताया जाता है कि न तो पंडित प्रदीप मिश्रा महामंडलेश्वर हैं और न ही प्रोटोकॉल के अंतर्गत आते हैं, जिन्हें श्री महाकालेश्वर मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश किया जाता है। फिर भी कुछ सत्ताधीशों के प्रेशर के कारण उन्हें श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के नियमों का उल्लंघन करते हुए मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश दे दिया गया था। इस बारे में जब श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह, श्री महाकालेश्वर मंदिर के प्रशासक गणेश धाकड़ से चर्चा की गई तो दोनों ही जिम्मेदार गोल-मोल जवाब देते नजर आए। किसी ने यह नहीं बताया कि आखिर किसकी परमिशन से पंडित प्रदीप मिश्रा गर्भगृह में पहुंचे थे।
पहले उठाए थे मंदिर की दर्शन व्यवस्था पर सवाल
याद रहे कि यह सीहोर के कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा हैं, जिन्होंने उज्जैन में आयोजित शिव महापुराण के दौरान श्री महाकालेश्वर मंदिर की दर्शन व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। उन्होंने बताया था कि मंदिर में कर्मचारी धक्का-धक्का और बाहर बोलते हुए कैसे श्रद्धालुओं को दर्शन नहीं करने देते।
पहले 1500 रुपये की रसीद से होता था गर्भगृह में प्रवेश
चार जुलाई 2023 से पहले 1500 रुपये की रसीद काटकर गर्भगृह में अभिषेक-पूजन करने दिया जाता था। वर्तमान में गणेश मंडपम और नंदी हॉल से श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जा रहे हैं। श्रद्धालुओं की बाबा को स्पर्श कर अभिषेक की इच्छा मन में ही रह जाती है। गर्भगृह खुलने से भक्तों को बाबा को स्पर्श करने, जल चढ़ाने और पंचामृत अभिषेक पूजन का मौका मिलता है।
नियम कायदों से परे गर्भगृह में प्रवेश दिया
जैसा कि प्रतिबंध के वक्त तय किया गया था कि गर्भगृह में प्रवेश वीवीआईपी, वरिष्ठ संतजन को ही मिलेगा और वो भी निर्धारित वस्त्रों में, लेकिन देखा गया है कि कई बार मंदिर समिति ने खुद ही अपने बनाये नियमों को तोड़ा है और अपनी सुविधा के मुताबिक, तय किया गया कि किसे गर्भगृह में प्रवेश दिया जाये और किसे नहीं। कई मौके ऐसे आये हैं, जब कई प्रमुख लोगों को नियमों का हवाला देकर गर्भगृह में प्रवेश से रोका गया और कई बार सत्ताधारी प्रभावशालियों को नियम कायदों से परे गर्भगृह में प्रवेश दिया गया। अगर मंदिर समिति कथावाचकों के गर्भगृह में प्रवेश देने की बात करती है तो कुछ दिनों पूर्व मंदिर में दर्शन करने आए बागेश्वधाम धीरेंद्र शास्त्री और पंडोखर सरकार को गर्भगृह में प्रवेश क्यों नहीं दिया गया?
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