न्यूज़ डेस्क, अमर उजाला, इंदौर Published by: अर्जुन रिछारिया Updated Sun, 11 Jun 2023 07: 21 PM IST
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शहर के प्रमुख बालविशेषज्ञ एक मंच पर आए, बच्चों के विकास के लिए शुरू किया स्थितप्रज्ञ, बताया कैसे बच्चों के मनोविज्ञान को समझकर बना सकते हैं उनका बेहतर भविष्य
चर्चा के दौरान अतिथि – फोटो : अमर उजाला, इंदौर
विस्तार बच्चों के सर्वांगिण विकास के लिए शहर के प्रमुख बालविशेषज्ञ एक मंच पर जुटे। उन्होंने रविवार को स्थितप्रज्ञ की शुरुआत की जिसके माध्यम से शहर के बच्चों का बेहतर भविष्य बनाने का प्रयास किया जाएगा। इस कड़ी में रविवार को पहली व्याख्यानमाला हुई। सोपा के ऑडिटोरियम हॉल में कार्यक्रम का आरंभ प्रशांत कुंटे ने किया। संस्था के संस्थापक कपिल खंडेलवाल और भानुजा खंडेलवाल ने इस योजना का परिचय दिया।
बच्चे की परवरिश के दौरान ही उसका माइंडसेट करें
कार्यक्रम के अतिथि ख्यात मनोविज्ञान काउंसलर कंचन तारे, डॉ. संदीप अत्रे ने परिचर्चा के माध्यम से बच्चों के जीवन संबंधी कहानियां, उदाहरण और उद्धरण से बाल मनोविज्ञान की ग्रूमिंग विषय को आसानी से प्रस्तुत किया। कंचन तारे ने बताया बच्चों का सर्वांगीण विकास आजकल कठिन लग रहा है क्योंकि मूल्य बदलते जा रहे हैं। व्यक्तित्व विकास में अच्छी प्रायोगिक आदतों को विकसित करना होगा। आजकल मोबाइल की समस्या एक बड़ा एडिक्शन बन गई है, जिसे जीवन से हटाकर खेलने और काम करने पर ध्यान देना होगा। मां का प्रेम फर्ज बनकर सिर्फ जन्म तक सीमित ना रहे। बच्चों के बड़े होने के साथ ही उसका माइंडसेट भी सेट करें तो ज्यादा कारगर होगा।
पैरेंट्स को सुविधा के साथ खुद का समय भी देना होगा
डॉ संदीप अत्रे ने बताया कि आज के संदर्भों में ह्यूमन बीइंग कम होकर ह्यूमन डूइंग होना ज्यादा जरूरी है। पहले घरों में मुखिया का स्थान प्रमुख होता था और उसकी सब लोग सुनते थे आजकल वो जगह बच्चों ने ले ली है। उनकी जिद के आगे सभी को झुकना पड़ता है। हमें बच्चों पर आदर्शवाद को थोपना नहीं है। बच्चों का पालना छुड़ाना है और उन्हें स्वच्छंद पलने देना है। हम सोचते हैं जन्म से ही बच्चे में बहुत सारे गुण आ जाएं जो मां कभी कमियों के रूप में खुद में देखती थी। अब अच्छा यही होगा की बच्चों को ज्ञान देने के बजाय उनमें जिज्ञासा पैदा की जाए। सब कुछ अच्छा नहीं होता, सब अच्छे भी नहीं होते पर इसका मतलब यह नहीं है कि बुराई की ओर बढ़ें। आजकल माता-पिता के पास समय नहीं होता बच्चों से बातें करने का, उनके काम में हिस्सेदारी बांटने का। पैरेंट्स समझते हैं कि सिर्फ सुविधाएं देने से ही उनका फर्ज पूरा होता है, जो कि पर्याप्त नहीं है। इससे बच्चों में तनाव उत्पन्न होता है और वह एंजाइटी के गिरफ्त में आ जाते हैं। वर्तमान दौर में मनोवैज्ञानिक सलाहकारों की भूमिका महत्वपूर्ण होती जा रही है। पारिवारिक दायित्वों से मुक्त होकर पैरेंट्स इनसे अपने बच्चे को मार्गदर्शन दिलवाकर उन्हें सही राह दिखाना चाहते हैं। स्थितप्रज्ञ संस्था का उद्देश्य भी भविष्य में को मार्गदर्शन देने में संलग्न रहेगा। कार्यक्रम के अंतिम चरण में कांता कुंटे और पुष्पा खंडेलवाल द्वारा स्थितप्रज्ञ डाट को डाट इन वेबसाइट को लांच किया गया। कार्यक्रम का सफल संचालन कपिल खंडेलवाल और भानुजा खंडेलवाल ने करते हुए अंत में सभी सम्मानित अतिथियों एवं गणमान्य लोगों का आभार व्यक्त किया।
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