न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ओंकारेश्वर Published by: दिनेश शर्मा Updated Mon, 12 Aug 2024 08: 31 PM IST प्रतिवर्ष श्रावण मास में निकलने वाली ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महासवारी का भक्तों को साल भर इंतजार रहता है। इस अवसर पर ओंकारेश्वर महाराज की सवारी की एक झलक पाने के लिए हजारों श्रद्धालु नर्मदा घाट के दोनों किनारों, नए और पुराने झूला पुल, पैदल पुल और मार्गों पर उमड़ पड़े। सवारी की शुरुआत दोपहर 2 बजे श्री ओंकारेश्वर मंदिर से हुई। महासवारी का मुख्य मार्ग मंदिर से कोटितीर्थ तक था, जहां पवित्र नर्मदा नदी के तट पर महा अभिषेक के बाद नौका विहार का आयोजन किया गया। शाम 4 बजे गौमुख घाट पहुंची। सवारी शाम 4: 30 बजे ममलेश्वर मंदिर, 5 बजे गजानंद आश्रम, दंडी स्वामी आश्रम, बालवाड़ी हॉट बाजार से होते हुए जेपी चौक पहुंची, और रात 11 बजे ओंकारेश्वर मंदिर वापस लौटी। Trending Videos श्रावण मास के चौथे सोमवार को आयोजित इस महासवारी में ओंकारेश्वर महाराज की पंचमुखी प्रतिमा को फूलों से सजी पालकी में विराजित किया गया। भक्तों ने ढोल धमाकों के साथ नाचते-गाते हुए महाराज का स्वागत किया। शंकराचार्य चौक से कोटितीर्थ घाट तक पहुंचने के बाद, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महा अभिषेक का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी मात्रा में पंचामृत का उपयोग किया गया। इसके बाद, दक्षिण तट पर स्थित ममलेश्वर महादेव की पालकी को भी पंचामृत से अभिषेक किया गया और दोनों पालकियों को नर्मदा नदी में नौका विहार कराया गया। शाही ठाठ के साथ नगर भ्रमण करते हुए, महासवारी रात 11 बजे ओंकारेश्वर मंदिर वापस लौटी। मार्ग में गुलाब की पंखुड़ियों और गुलाल उड़ाकर, कपूर आरती से भक्तों ने ओंकारेश्वर महाराज का स्वागत किया। जगह-जगह श्रद्धालुओं को शरबत, पानी, मिठाई और फूलों से अभिनंदन किया गया, जिससे यह धार्मिक आयोजन और भी भव्य बन गया। इस वर्ष की महासवारी में लगभग 70,000 से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति दर्ज की गई, जो भगवान ओंकारेश्वर के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और आस्था को दर्शाती है।

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, ओंकारेश्वर Published by: दिनेश शर्मा Updated Mon, 12 Aug 2024 08: 31 PM IST

प्रतिवर्ष श्रावण मास में निकलने वाली ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की महासवारी का भक्तों को साल भर इंतजार रहता है। इस अवसर पर ओंकारेश्वर महाराज की सवारी की एक झलक पाने के लिए हजारों श्रद्धालु नर्मदा घाट के दोनों किनारों, नए और पुराने झूला पुल, पैदल पुल और मार्गों पर उमड़ पड़े।

सवारी की शुरुआत दोपहर 2 बजे श्री ओंकारेश्वर मंदिर से हुई। महासवारी का मुख्य मार्ग मंदिर से कोटितीर्थ तक था, जहां पवित्र नर्मदा नदी के तट पर महा अभिषेक के बाद नौका विहार का आयोजन किया गया। शाम 4 बजे गौमुख घाट पहुंची। सवारी शाम 4: 30 बजे ममलेश्वर मंदिर, 5 बजे गजानंद आश्रम, दंडी स्वामी आश्रम, बालवाड़ी हॉट बाजार से होते हुए जेपी चौक पहुंची, और रात 11 बजे ओंकारेश्वर मंदिर वापस लौटी।

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श्रावण मास के चौथे सोमवार को आयोजित इस महासवारी में ओंकारेश्वर महाराज की पंचमुखी प्रतिमा को फूलों से सजी पालकी में विराजित किया गया। भक्तों ने ढोल धमाकों के साथ नाचते-गाते हुए महाराज का स्वागत किया। शंकराचार्य चौक से कोटितीर्थ घाट तक पहुंचने के बाद, वैदिक मंत्रोच्चार के साथ महा अभिषेक का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी मात्रा में पंचामृत का उपयोग किया गया।

इसके बाद, दक्षिण तट पर स्थित ममलेश्वर महादेव की पालकी को भी पंचामृत से अभिषेक किया गया और दोनों पालकियों को नर्मदा नदी में नौका विहार कराया गया। शाही ठाठ के साथ नगर भ्रमण करते हुए, महासवारी रात 11 बजे ओंकारेश्वर मंदिर वापस लौटी। मार्ग में गुलाब की पंखुड़ियों और गुलाल उड़ाकर, कपूर आरती से भक्तों ने ओंकारेश्वर महाराज का स्वागत किया। जगह-जगह श्रद्धालुओं को शरबत, पानी, मिठाई और फूलों से अभिनंदन किया गया, जिससे यह धार्मिक आयोजन और भी भव्य बन गया। इस वर्ष की महासवारी में लगभग 70,000 से अधिक श्रद्धालुओं की उपस्थिति दर्ज की गई, जो भगवान ओंकारेश्वर के प्रति उनकी गहरी श्रद्धा और आस्था को दर्शाती है।

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