nisha-bangre:-डिप्टी-कलेक्टर-निशा-बांगरे-के-इस्तीफे-पर-निर्णय-लेने-का-हाईकोर्ट-का-आदेश,-30-दिनों-की-दी-मोहलत
लेटेस्ट अपडेट्स के लिए फॉलो करें छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बांगरे के इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए सरकार को 30 दिन का वक्त मिला है। बांगरे ने 22 जून को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था, लेकिन उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।  छतरपुर में पदस्थ निशा बांगरे ने 22 जून को डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा दिया था। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे पर निर्णय लेने की बात कही है। जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने शासन को इसके लिए 30 दिन की मोहलत दी है। छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बांगरे ने सरकार से संतान पालन के लिए अवकाश लिया था। इस दौरान आमला में अपने नवनिर्मित घर के गृहप्रवेश कार्यक्रम और सर्वधर्म शांति सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनुमति नहीं दी, जिससे नाराज होकर उन्होंने 22 जून 23 को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था। निशा बांगरे की ओर से रखे गए पक्ष में बताया गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को पारित मेमो के अंतर्गत सरकार को अधिकारी का इस्तीफे पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए। यदि अधिकारी के विरुद्ध कोई जांच भी लंबित हो तो उसे भी समाप्त कर देना चाहिए। निशा बांगरे की ओर से अधिवक्ता वरुण तन्खा ने पक्ष रखा। 

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छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बांगरे के इस्तीफे पर निर्णय लेने के लिए सरकार को 30 दिन का वक्त मिला है। बांगरे ने 22 जून को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था, लेकिन उस पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।  छतरपुर में पदस्थ निशा बांगरे ने 22 जून को डिप्टी कलेक्टर पद से इस्तीफा दिया था। – फोटो : अमर उजाला

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मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने डिप्टी कलेक्टर निशा बांगरे के इस्तीफे पर निर्णय लेने की बात कही है। जस्टिस एमएस भट्टी की एकलपीठ ने शासन को इसके लिए 30 दिन की मोहलत दी है।

छतरपुर के लवकुश नगर में एसडीएम के पद पर पदस्थ डिप्टी कलेक्टर बांगरे ने सरकार से संतान पालन के लिए अवकाश लिया था। इस दौरान आमला में अपने नवनिर्मित घर के गृहप्रवेश कार्यक्रम और सर्वधर्म शांति सम्मेलन कार्यक्रम में शामिल होने के लिए उन्होंने अनुमति मांगी थी। सामान्य प्रशासन विभाग ने उन्हें अनुमति नहीं दी, जिससे नाराज होकर उन्होंने 22 जून 23 को सामान्य प्रशासन विभाग को अपना इस्तीफा भेज दिया था। निशा बांगरे की ओर से रखे गए पक्ष में बताया गया कि सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 24 जनवरी 1973 को पारित मेमो के अंतर्गत सरकार को अधिकारी का इस्तीफे पर तत्काल निर्णय लेना चाहिए। यदि अधिकारी के विरुद्ध कोई जांच भी लंबित हो तो उसे भी समाप्त कर देना चाहिए। निशा बांगरे की ओर से अधिवक्ता वरुण तन्खा ने पक्ष रखा। 

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