news:-शादीशुदा-महिला-का-नाम-बदलने-के-लिए-पति-की-अनुमति-जरूरी,-जानें-केंद्र-सरकार-ने-राज्यसभा-में-क्या-दी-जानकारी?
Delhi News: केंद्र सरकार ने सोमवार 29 जुलाई को राज्यसभा में स्पष्ट किया है कि अगर किसी शादीशुदा महिला को अपना नाम बदलवाना है तो उसे पति से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना जरूरी है. केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि कानूनी झमेलों से बचने के लिए यह जरूरी है. मोदी सरकार का संसद में यह बयान अधिक महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाता है क्योंकि इसी साल मार्च में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी.  दिल्ली हाईकोर्ट में 7 अगस्त को सुनवाई इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है. 7 अगस्त को हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है. तृलमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले के सवाल का जवाब देते हुए मोदी सरकार के राज्य मंत्री तोखन साहू ने यह स्पष्टीकरण राज्यसभा में दिया है. मंत्री तोखन साहू ने कहा कि किसी के नाम बदलने में उसकी पहचान में भी बदलाव होता है. ऐसे में नाम के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए स्क्रूटनी जरूरी है. इसलिए नाम बदलवाने की प्रक्रिया में पत्नी को पति से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना जरूरी किया गया है.  Also Read: Happy birthday Sonu Sood: जानिए कैसे साधारण लड़के से बने सिनेमा के हीरो और जनता के मसीहा, आज भी हजारों लोगों के लिए इंस्पिरेशन हैं सोनू क्या कहा गया है नोटिफिकेशन में? केंद्र सरकार की अधिसूचना में कहा गया था कि यदि किसी विवाहित महिला को अपना उपनाम वापस लेना है तो उसे पति से अनुमति लेनी होगी. सरकारी अधिसूचना के अनुसार यह एक कानूनी प्रक्रिया है. महिला की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि सरकार का यह अधिसूचना भेदभावपूर्ण और मनमानी है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है.  Also Read: Jharkhand Train Accident Live : चक्रधरपुर रेल मंडल में बड़ा हादसा, 2 लोगों की मौत, बचाव कार्य जारी केंद्र सरकार की अधिसूचना से महिला को हो रही परेशानी दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि महिला अपना नाम तलाक से पहले वाला रखना चाहती है. लेकिन केंद्र सरकार की इस नोटिफिकेशन की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली की ही रहने वाली 40 वर्षीय महिला ने 2014 में अपने पति का सरनेम अपने नाम के पीछे लगाया था. साल 2019 में  महिला ने फिर से अपने नाम में बदलाव किया और नाम के साथ अपना और पति दोनों का सरनेम जोड़ दिया. अगस्त 2023 में महिला ने पति से तलाक की याचिका दायर की थी. तलाक की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है. महिला शैक्षणिक और आर्थिक उद्देश्य से अपना पहले वाला सरनेम ही रखा चाहती है. लेकिन केंद्र सरकार की नोटिफिकेशन की वजह से वह ऐसा नहीं कर पा रही हैं.  Also Read: Gold Market : कस्टम ड्यूटी घटने से होगी, सोने के बाजार की चांदी

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Delhi News: केंद्र सरकार ने सोमवार 29 जुलाई को राज्यसभा में स्पष्ट किया है कि अगर किसी शादीशुदा महिला को अपना नाम बदलवाना है तो उसे पति से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना जरूरी है. केंद्र सरकार ने राज्यसभा में बताया कि कानूनी झमेलों से बचने के लिए यह जरूरी है. मोदी सरकार का संसद में यह बयान अधिक महत्वपूर्ण इसलिए भी हो जाता है क्योंकि इसी साल मार्च में दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी. इस याचिका में केंद्र सरकार के इस नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई थी. 

दिल्ली हाईकोर्ट में 7 अगस्त को सुनवाई इस मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से प्रतिक्रिया मांगी है. 7 अगस्त को हाई कोर्ट में मामले की सुनवाई होनी है. तृलमूल कांग्रेस के सांसद साकेत गोखले के सवाल का जवाब देते हुए मोदी सरकार के राज्य मंत्री तोखन साहू ने यह स्पष्टीकरण राज्यसभा में दिया है. मंत्री तोखन साहू ने कहा कि किसी के नाम बदलने में उसकी पहचान में भी बदलाव होता है. ऐसे में नाम के गलत इस्तेमाल को रोकने के लिए स्क्रूटनी जरूरी है. इसलिए नाम बदलवाने की प्रक्रिया में पत्नी को पति से अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) लेना जरूरी किया गया है. 

Also Read: Happy birthday Sonu Sood: जानिए कैसे साधारण लड़के से बने सिनेमा के हीरो और जनता के मसीहा, आज भी हजारों लोगों के लिए इंस्पिरेशन हैं सोनू

क्या कहा गया है नोटिफिकेशन में? केंद्र सरकार की अधिसूचना में कहा गया था कि यदि किसी विवाहित महिला को अपना उपनाम वापस लेना है तो उसे पति से अनुमति लेनी होगी. सरकारी अधिसूचना के अनुसार यह एक कानूनी प्रक्रिया है. महिला की ओर से दिल्ली हाई कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया था कि सरकार का यह अधिसूचना भेदभावपूर्ण और मनमानी है. यह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 19 और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करती है. 

Also Read: Jharkhand Train Accident Live : चक्रधरपुर रेल मंडल में बड़ा हादसा, 2 लोगों की मौत, बचाव कार्य जारी

केंद्र सरकार की अधिसूचना से महिला को हो रही परेशानी दिल्ली हाईकोर्ट में दायर याचिका में कहा गया था कि महिला अपना नाम तलाक से पहले वाला रखना चाहती है. लेकिन केंद्र सरकार की इस नोटिफिकेशन की वजह से उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. जानकारी के लिए बता दें कि दिल्ली की ही रहने वाली 40 वर्षीय महिला ने 2014 में अपने पति का सरनेम अपने नाम के पीछे लगाया था. साल 2019 में  महिला ने फिर से अपने नाम में बदलाव किया और नाम के साथ अपना और पति दोनों का सरनेम जोड़ दिया. अगस्त 2023 में महिला ने पति से तलाक की याचिका दायर की थी. तलाक की प्रक्रिया फिलहाल चल रही है. महिला शैक्षणिक और आर्थिक उद्देश्य से अपना पहले वाला सरनेम ही रखा चाहती है. लेकिन केंद्र सरकार की नोटिफिकेशन की वजह से वह ऐसा नहीं कर पा रही हैं. 

Also Read: Gold Market : कस्टम ड्यूटी घटने से होगी, सोने के बाजार की चांदी