navy:-देश-को-मिला-दूसरा-आधुनिक-आईएनएस-अरिघात-सबमरीन
आईएनएस अरिघात अरिहंत सबमरीन से आधुनिक है. इस सबमरीन के शामिल होने से भारत की न्यूक्लियर ताकत में इजाफा होगा. साथ ही क्षेत्र में सामरिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी. | August 29, 2024 7: 42 PM Navy: भारतीय नौसेना में न्यूक्लियर सबमरीन ‘आईएनएस अरिघात’ शामिल हो गया है. गुरुवार को यह सबमरीन स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) का हिस्सा बन गयी. यह भारत की दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में इसे नौसेना में शामिल किया. इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सबमरीन के शामिल होने से भारत की न्यूक्लियर ताकत में इजाफा होगा. साथ ही क्षेत्र में सामरिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी. उन्होंने इस उपलब्धि के लिए नौसेना, डीआरडीओ की सराहना की. इस प्रोजेक्ट से देश में एमएसएमई क्षेत्र को काफी मदद मिली है रोजगार के नये अवसर पैदा हुए हैं.  न्यूक्लियर सबमरीन को विशाखापट्टनम स्थित शिपिंग सेंटर में बनाया गया है. क्या है खासियत इस सबमरीन के निर्माण में एडवांस डिजाइन और आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है. विस्तृत रिसर्च के बाद निर्माण में विशेष मटेरियल का प्रयोग हुआ है. सबमरीन का निर्माण काम काफी जटिल होता है और इसके लिए उच्च स्तर के पेशेवरों की जरूरत होती है. खास बात है कि इसमें स्वदेशी सिस्टम और उपकरण लगे हैं. जिसका डिजाइन, निर्माण भारतीय वैज्ञानिकों, नौसेना के कर्मियों और भारतीय उद्योग जगत ने तैयार किया. आधुनिक तकनीक के प्रयोग के कारण यह अरिहंत सबमरीन से अधिक एडवांस है. इन सबमरीन की मौजूदगी से दुश्मनों से निपटने की क्षमता मजबूत होगी. अरिघात 750 किलोमीटर तक मार करने वाली के-15 बैलिस्टिक मिसाइल (न्यूक्लियर) से लैस है. इसका वजन लगभग 6000 टन है. 

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आईएनएस अरिघात अरिहंत सबमरीन से आधुनिक है. इस सबमरीन के शामिल होने से भारत की न्यूक्लियर ताकत में इजाफा होगा. साथ ही क्षेत्र में सामरिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी.

| August 29, 2024 7: 42 PM

Navy: भारतीय नौसेना में न्यूक्लियर सबमरीन ‘आईएनएस अरिघात’ शामिल हो गया है. गुरुवार को यह सबमरीन स्ट्रेटेजिक फोर्स कमांड (एसएफसी) का हिस्सा बन गयी. यह भारत की दूसरी न्यूक्लियर सबमरीन है. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की मौजूदगी में इसे नौसेना में शामिल किया. इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि इस सबमरीन के शामिल होने से भारत की न्यूक्लियर ताकत में इजाफा होगा. साथ ही क्षेत्र में सामरिक संतुलन और शांति स्थापित करने में मदद मिलेगी. उन्होंने इस उपलब्धि के लिए नौसेना, डीआरडीओ की सराहना की. इस प्रोजेक्ट से देश में एमएसएमई क्षेत्र को काफी मदद मिली है रोजगार के नये अवसर पैदा हुए हैं.  न्यूक्लियर सबमरीन को विशाखापट्टनम स्थित शिपिंग सेंटर में बनाया गया है.

क्या है खासियत इस सबमरीन के निर्माण में एडवांस डिजाइन और आधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है. विस्तृत रिसर्च के बाद निर्माण में विशेष मटेरियल का प्रयोग हुआ है. सबमरीन का निर्माण काम काफी जटिल होता है और इसके लिए उच्च स्तर के पेशेवरों की जरूरत होती है. खास बात है कि इसमें स्वदेशी सिस्टम और उपकरण लगे हैं. जिसका डिजाइन, निर्माण भारतीय वैज्ञानिकों, नौसेना के कर्मियों और भारतीय उद्योग जगत ने तैयार किया. आधुनिक तकनीक के प्रयोग के कारण यह अरिहंत सबमरीन से अधिक एडवांस है. इन सबमरीन की मौजूदगी से दुश्मनों से निपटने की क्षमता मजबूत होगी. अरिघात 750 किलोमीटर तक मार करने वाली के-15 बैलिस्टिक मिसाइल (न्यूक्लियर) से लैस है. इसका वजन लगभग 6000 टन है.