न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उज्जैन Published by: दिनेश शर्मा Updated Fri, 09 Aug 2024 12: 14 AM IST
नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खुल गए – फोटो : अमर उजाला
Nagchandreshwar Darshan LIVE: उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर परिसर में स्थित नागचन्द्रेश्वर मंदिर का विशेष महत्व है। साल में एक दिन सिर्फ नागपंचमी पर खुलने वाले मंदिर के दर्शन के लिए हजारों भक्त पहुंचते हैं। रात 12 बजे गेट खुलते हैं, और 24 घंटे बाद अगली रात 12 बजे बंद होते हैं।
12: 13 AM, 09-Aug-2024
खुल गए श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट, त्रिकाल पूजा शुरू…. कुछ देर बाद आम श्रद्धालु कर सकेंगे भगवान के दर्शन
महाकाल मंदिर के शिखर पर स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव मंदिर के पट रात 12 बजे खोले गए। परंपरा अनुसार सबसे पहले श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से महंत विनीत गिरी महाराज ने मंदिर के द्वार खोले, जिसके बाद श्री महाकालेश्वर प्रबंध समिति के अध्यक्ष और कलेक्टर नीरज कुमार सिंह, एसपी प्रदीप शर्मा ने सबसे पहले यहां पर पूजन अर्चन किया। जिसके बाद श्री नागचन्द्रेश्वर मंदिर की दुर्लभ प्रतिमा के पास पहुंचे, जहां भी आपके द्वारा भगवान का विशेष पूजन अर्चन कर त्रिकाल पूजा की शुरुआत की गई। इस पूजन अर्चन और आरती के बाद आपने शिखर के नीचे विराजमान भगवान के शिवलिंग का भी पूजन अर्चन कर आरती कर भोग लगाया गया। जिसके बाद आम श्रद्धालुओं का मंदिर में प्रवेश शुरू हुआ। भगवान के दर्शन का यह सिलसिला अगले 24 घंटे यानी शुक्रवार रात 12 बजे तक चलता रहेगा। भगवान नागचंद्रेश्वर को कल शुक्रवार दोपहर में दाल बाटी का भोग लगाया जाएगा।
12: 06 AM, 09-Aug-2024
रात 12 बजते ही महाकाल मंदिर परिसर में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खोल दिए गए। नागपंचमी के दिन खुलने वाले इस मंदिर के दर्शन को हजारों लोग उमड़ते हैं। अभी भी सैकड़ों लोग कतार में लगे हैं। अगले 24 घंटे तक मंदिर भक्तों के लिए खुला रहेगा और उसके बाद एक साल के लिए बंद हो जाएगा। मंदिर के पट खोलते ही नागचंद्रेश्वर का पूजन किया जा रहा है।
11: 54 PM, 08-Aug-2024
संन्यासी करते हैं मंदिर में पूजा
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजा और व्यवस्था महानिवार्णी अखाड़ा के संन्यासियों द्वारा की जाती है। अखाड़े के महंत विनीत गिरि महाराज के अनुसार इस मंदिर की पूजा विधिवत रूप से की जाती है। यहां भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। कहा जाता है कि दुनिया में इस तरह की प्रतिमा और कहीं नहीं हैं। महाकाल मंदिर के शिखर में विराजित दुर्लभ प्रतिमा के साथ इसी तल पर पिंडी स्वरूप शिवलिंग भी है, जिसे सिद्धेश्वर कहा जाता है। मंदिर में नागपंचमी के दिन दोनों ही स्वरूप में भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है।
11: 30 PM, 08-Aug-2024
नागचंद्रेश्वर के दर्शन को लगी कतारें – फोटो : अमर उजाला
दूर-दूर से पहुंचे भक्त
श्री नागचंद्रेश्वर के दर्शन करने के लिए श्रद्धालु बड़ी संख्या में मंदिर के बाहर खड़े हुए हैं जिन्हें सिर्फ और सिर्फ रात की 12 बजने का इंतजार है। रात की 12 बजते ही सबसे पहले मंदिर में विशेष पूजन अर्चन किया जाएगा। इसके बाद श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन कर पाएंगे। कतार में लगकर अपनी बारी का इंतजार करने वाले श्रद्धालु दूर-दूर से यहां भगवान के दर्शन करने पहुंचे हैं।
विश्व की एक मात्र प्रतिमा
नागचंद्रेश्वर मंदिर की पूजन व्यवस्था परंपरा अनुसार, महानिर्वाणी अखाड़े के अधीन है। अखाड़े के गादीपति महंत विनीत गिरि महाराज बताते हैं मंदिर के अग्रभाग में स्थित भगवान नागचंद्रेश्वर की मूर्ति अत्यंत दुर्लभ है। यह एक मात्र श्री विग्रह है, जिसमें सर्पासन पर भगवान शिव पार्वती, गणेश, कार्तिकेय सहित पूरा शिव परिवार विराजित है। भगवान शिव का वाहन नंदी और माता पार्वती का वाहन सिंह भी दृष्टिगोचर होते हैं। ऊपर सूर्य व चंद्रमा भी अंकित हैं। भगवान शिव के गले में भुजंग लिपटे हुए हैं। इस प्रकार की मूर्ति विश्व में दूसरी देखने को नहीं मिलती है।
11: 00 PM, 08-Aug-2024
अधिकारियों ने देखी नागपंचमी पर्व की दर्शन व्यवस्था
अधिकारियों ने प्रशासनिक अमले के साथ नागपंचमी पर्व की दर्शन व्यवस्था का जायजा लिया। अधिकारियों द्वारा नागपंचमी पर्व पर बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के वाहनों के लिए निर्धारित किए गए पार्किंग स्थल (कर्कराज मंदिर के पास) का अवलोकन किया गया। नागपंचमी पर्व पर भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए अलग लाइन लगी और भगवान महाकालेश्वर के दर्शन के लिए अलग लाइन लगाई गई। भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन के लिए प्रवेश मार्ग का अवलोकन अधिकारियों द्वारा किया गया। अधिकारियों द्वारा सामान्य दर्शन और वीआईपी दर्शन के लिए की गई व्यवस्थाओं का जायजा लिया गया।
10: 48 PM, 08-Aug-2024
आज रात 12 बजे खुलेंगे नागचंद्रेश्वर मंदिर के पद। – फोटो : अमर उजाला
11वीं शताब्दी की प्राचीन प्रतिमा
हिंदू धर्म में नागों की पूजा का महत्व सदियों पुराना है। कई लोग नागों को भगवान का आभूषण मानने हैं, देश में नागों के कई मशहूर मंदिर भी हैं। उन्हीं में से एक है उज्जैन में स्थित नागचंद्रेश्वर मंदिर, जो महाकाल मंदिर के तीसरी मंजिल पर स्थित है। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इसे वर्ष में केवल एक दिन, नागपंचमी के अवसर पर दर्शन के लिए खोला जाता है। माना जाता है कि नागराज तक्षक स्वयं इस मंदिर में विराजमान हैं। इसी कारण, मंदिर को केवल नागपंचमी के दिन ही खोला जाता है और नाग देवता की पूजा-अर्चना की जाती है। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी की एक प्राचीन प्रतिमा है, जिसे नेपाल से लाया गया था। इस प्रतिमा में भगवान शिव अपने परिवार के साथ दशमुखी सर्प शय्या पर विराजमान हैं, जो इस मंदिर को और भी विशेष बनाती है।
10: 33 PM, 08-Aug-2024
नागचंद्रेश्वर मंदिर का यह दरवाजा साल में एक बार एक दिन के लिए खुलता है। – फोटो : अमर उजाला
इस व्यवस्था से मंदिर पहुचेंगे श्रद्धालु
नागपंचमी के लिए जिला प्रशासन श्री महाकालेश्वर मन्दिर प्रबंध समिति एवं जिला पुलिस की ओर से इस अवसर पर श्रद्धालुओं के लिए व्यापक व्यवस्थाएं की गई है। नागचन्द्रेश्वर भगवान के दर्शन के लिए इस बार आगंतुक समस्त श्रद्धालु भील समाज धर्मशाला से प्रवेश कर – गंगा गार्डन के समीप से – चारधाम मंदिर पार्किंग स्थल जिगजेग- हरसिद्धी चैराहा – रूद्रसागर के समीप से – बड़ा गणेश मंदिर – द्वार नम्बर 04 अथवा 05 के रास्ते – विश्रामधाम – एरोब्रिज से होकर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर जी के दर्शन के लिए पहुंचेंगे। दर्शन उपरांत एरोब्रिज के द्वितीय ओर से रेम्प- मार्बल गलियारा – नवनिर्मित मार्ग से – द्वार क्रमांक 04 के सम्मुख से – बड़ा गणेश मंदिर – हरसिद्धि चैराहा – नृसिंह घाट तिराहा होते हुए पुनः भील समाज धर्मशाला पहुंचेंगे।
10: 15 PM, 08-Aug-2024
Nagchandreshwar Darshan LIVE: 12 बजते ही खुले नागचंद्रेश्वर के पट, साल में एक दिन नागपंचमी पर खुलता है मंदिर बस दो घंटे का समय और शेष है, जिसके बाद विश्व के एकमात्र नागचन्द्रेश्वर मंदिर जो कि वर्ष में सिर्फ एक बार खोला जाता है। उसके पट भक्तों के दर्शन के लिए शुरू हो जाएंगे। मंदिर में दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं की कतार अभी से लगने लगी है, जो कि रात 12 बजने का इंतजार कर रहे हैं। रात 12 बजते ही महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनीत गिरि इस मंदिर के द्वार खोलेंगे और श्री महाकालेश्वर मंदिर के तृतीय तल पर विराजमान भगवान श्री नागचंद्रेश्वर की प्रतिमा और शिवलिंग का पूजन-अर्चन करेंगे।
दुर्लभ है यह प्रतिमा
श्री महाकालेश्वर मंदिर के तीसरे तल पर भगवान नागचंद्रेश्वर का अति प्राचीन मंदिर है, जहां भगवान नागचंद्रेश्वर की अत्यंत दुर्लभ प्रतिमा वर्षों से विराजमान है। इस प्रतिमा के बारे में बताया जाता है कि यह प्रतिमा एकमात्र ऐसी प्रतिमा है जिसमें भगवान शिव, माता पार्वती के साथ भगवान शेषनाग की शय्या पर विश्राम कर रहे हैं। इस प्रतिमा में भगवान श्री गणेश भी विराजमान है। मंदिर में इस प्रतिमा के साथ ही शिवलिंग के रूप में भी एक प्रतिमा विराजमान है जिनका भी इस दिन पूजन-अर्चन कर दर्शन किया जाता है। महानिर्वाणी अखाड़े के महंत विनित गिरि महाराज ने बताया कि आज रात 12 बजे मंदिर के पट पूजन-अर्चन के बाद खोले जाएंगे। इसके बाद दर्शनार्थी भगवान के दर्शनों का लाभ लेंगे और यह 9 अगस्त की रात्रि 12 बजे तक खुले रहेंगे। महंत विनीत गिरि महाराज ने बताया कि मंदिर में त्रिकाल पूजा का भी बड़ा महत्व है। रात्रि को मंदिर के पट खोलने के बाद भगवान की विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। दोपहर को शासकीय पूजन भी होगी। इसे श्री महाकालेश्वर मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों के द्वारा करवाया जाएगा।
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