न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर Published by: उदित दीक्षित Updated Fri, 09 Aug 2024 11: 00 AM IST सुनार नदी के तट पर स्थित सूर्य मंदिर में सूर्य भगवान की नौवीं सदी की पाषाण प्रतिमा का मंदिर है। इस मंदिर की पिछली दीवार पर जड़ी नागयुग्म प्रतिमा श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण और आस्था का केंद्र है।   सूर्य मंदिर में नागयुग्म की एक प्रतिमाएं हैं स्थापित। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us सागर जिले की रहली तहसील के सूर्य मंदिर में नागयुग्म की एक मनोहारी प्रतिमा स्थापित है। बुंदेलखंड अंचल में नाग वल्लरी और नाग युग्म की प्राचीन प्रतिमाएं कई स्थानों पर मिलती हैं, जो विभिन्न कालों के शासकों जैसे गुप्त, शुंग, हर्षवर्धन, नाग हूण, प्रतिहार, परमार, कल्चुरी, और चंदेल के समय की हैं। रहली से निकली सुनार नदी के तट पर स्थित सूर्य मंदिर में सूर्य भगवान की नौवीं सदी की पाषाण प्रतिमा का मंदिर है। इस मंदिर की पिछली दीवार पर जड़ी नागयुग्म प्रतिमा श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण और आस्था का केंद्र है। नागपंचमी पर इसका विशेष पूजन होता है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर चारों ओर विभिन्न देवी-देवताओं की नौवीं और दसवीं सदी की प्रतिमाएं भी हैं। मानवमुखी नागयुग्म प्रतिमा में कमर के नीचे का भाग सर्प आकार का है और ऊपर का भाग मानव का है। नाग-नागिन के मस्तिष्क के ऊपर तीन-तीन सर्प फनों का मुकुट और छत्र है। वे कुंडल, केयूर, कंकण और कटिसूत्र पहने हुए हैं, और इनके मुख मंडल पर सौम्यता का भाव दिखता है। यह नागयुग्म मूर्तिकला का अद्भुत उदाहरण है और इसका धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। पौराणिक कथाओं में नागों को दैवी रूप प्रदान किया गया है और वे भगवान शिव, भैरव बाबा, देवी प्रतिमा और विष्णु के साथ जुड़े हुए पाए जाते हैं। नागों को सृजन के साथ-साथ विनाश का परिचायक भी माना गया है। उनकी उपासना भय और श्रद्धा के मिश्रण से की जाती है। सूर्य मंदिर की पृष्ठ भित्ति में जड़ी नागयुग्म प्रतिमा कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें कलाकार ने नाग-नागिन के सौम्य मुख मंडल पर ध्यान का भाव अंकित करने में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है। रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे| Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, सागर Published by: उदित दीक्षित Updated Fri, 09 Aug 2024 11: 00 AM IST

सुनार नदी के तट पर स्थित सूर्य मंदिर में सूर्य भगवान की नौवीं सदी की पाषाण प्रतिमा का मंदिर है। इस मंदिर की पिछली दीवार पर जड़ी नागयुग्म प्रतिमा श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण और आस्था का केंद्र है।   सूर्य मंदिर में नागयुग्म की एक प्रतिमाएं हैं स्थापित। – फोटो : अमर उजाला

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सागर जिले की रहली तहसील के सूर्य मंदिर में नागयुग्म की एक मनोहारी प्रतिमा स्थापित है। बुंदेलखंड अंचल में नाग वल्लरी और नाग युग्म की प्राचीन प्रतिमाएं कई स्थानों पर मिलती हैं, जो विभिन्न कालों के शासकों जैसे गुप्त, शुंग, हर्षवर्धन, नाग हूण, प्रतिहार, परमार, कल्चुरी, और चंदेल के समय की हैं।

रहली से निकली सुनार नदी के तट पर स्थित सूर्य मंदिर में सूर्य भगवान की नौवीं सदी की पाषाण प्रतिमा का मंदिर है। इस मंदिर की पिछली दीवार पर जड़ी नागयुग्म प्रतिमा श्रद्धालुओं के बीच आकर्षण और आस्था का केंद्र है। नागपंचमी पर इसका विशेष पूजन होता है। मंदिर की बाहरी दीवारों पर चारों ओर विभिन्न देवी-देवताओं की नौवीं और दसवीं सदी की प्रतिमाएं भी हैं।

मानवमुखी नागयुग्म प्रतिमा में कमर के नीचे का भाग सर्प आकार का है और ऊपर का भाग मानव का है। नाग-नागिन के मस्तिष्क के ऊपर तीन-तीन सर्प फनों का मुकुट और छत्र है। वे कुंडल, केयूर, कंकण और कटिसूत्र पहने हुए हैं, और इनके मुख मंडल पर सौम्यता का भाव दिखता है।

यह नागयुग्म मूर्तिकला का अद्भुत उदाहरण है और इसका धार्मिक महत्व भी बहुत अधिक है। पौराणिक कथाओं में नागों को दैवी रूप प्रदान किया गया है और वे भगवान शिव, भैरव बाबा, देवी प्रतिमा और विष्णु के साथ जुड़े हुए पाए जाते हैं। नागों को सृजन के साथ-साथ विनाश का परिचायक भी माना गया है। उनकी उपासना भय और श्रद्धा के मिश्रण से की जाती है। सूर्य मंदिर की पृष्ठ भित्ति में जड़ी नागयुग्म प्रतिमा कला का उत्कृष्ट उदाहरण है, जिसमें कलाकार ने नाग-नागिन के सौम्य मुख मंडल पर ध्यान का भाव अंकित करने में अद्वितीय सफलता प्राप्त की है।

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