डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Mon, 07 Aug 2023 06: 26 PM IST
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MP Politics: मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पहले ही आर्थिक संकट से गुजर रही है। प्रदेश के खजाने खाली पड़े हैं। जब साल 2003 तक प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी, उस समय राज्य पर 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति पर लगभग 3,300 रुपये का कर्ज उस समय था… शिवराज सिंह चौहान – फोटो : अमर उजाला (फाइल फोटो)
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मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनावों को लेकर सत्ता और संगठन ने अपनी तैयारियां तेज कर दी हैं। चुनाव में जीत हासिल करने के लिए सूबे के मुखिया शिवराज सिंह चौहान आए दिन नई घोषणाएं करते हुए नजर आ रहे हैं। ऐसे में हर बढ़ते दिन के साथ सरकार की मुसीबतें भी बढ़ते जा रही हैं। खबर है कि शिवराज सरकार पर कर्ज का जाल बढ़ता जा रहा है। सरकार कर्ज में डूबने की खबर सामने आ रही है। बावजूद इसके चुनावी साल में जनता को लुभाने के लिए सरकार बैंकों से लोन ले रही है।
एक जानकारी के मुताबिक, मध्यप्रदेश सरकार इस साल छह महीनों में अलग-अलग तारीखों पर 11 बार कर्ज ले चुकी है। जनवरी, फरवरी, मार्च, मई और जून में सरकार ने आरबीआई से लोन लिया है। हालांकि, 2023-24 का वित्तीय वर्ष शुरू होने के बाद सरकार का यह दूसरा कर्ज है। सरकार ने 25 जनवरी 2023 को 2000 करोड़, 2 फरवरी 2023 को 3000 करोड़, 9 फरवरी 2023 को 3000 करोड़, 16 फरवरी 2023 को 3000 करोड़, 23 फरवरी 2023 को 3000 करोड़, 02 मार्च 2023 को 3000 करोड़, 09 मार्च 2023 को 2000 करोड़, 17 मार्च 2023 को 4000 करोड़, 24 मार्च 2023 को 1000 करोड़, 29 मई 2023 को 2000 करोड़, 14 जून 2023 को 4000 करोड़ का सरकार कर्ज ले चुकी है। फिलहाल राज्य की भाजपा सरकार पर वर्ष 2023-24 के बजट से सवा तीन लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का कर्ज है।
कर्ज में डूबी होने के बाद भी सरकार लगातार कर रही घोषणा
मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार पहले ही आर्थिक संकट से गुजर रही है। प्रदेश के खजाने खाली पड़े हैं। जब साल 2003 तक प्रदेश में दिग्विजय सिंह की सरकार थी, उस समय राज्य पर 20,000 करोड़ रुपये का कर्ज था। मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति पर लगभग 3,300 रुपये का कर्ज उस समय था। लेकिन यह कर्ज समय के साथ-साथ दिन दोगुना और रात चौगुना बढ़ता चला गया। वर्तमान में सरकार पर 3.32 लाख करोड़ रुपये से अधिक का कर्ज है। सरकार लगभग 20,000 करोड़ रुपये ब्याज चुका रही है। इसके बाद भी मध्यप्रदेश में घोषणाओं का सिलसिला जारी है। इसी के चलते शिवराज सरकार को कई बार हजारों करोड़ का कर्ज भी लेना पड़ा है।
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