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मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 24 अगस्त को कमलनाथ के गढ़ छिंदवाड़ा में आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर एक बड़ा दांव खेला है। उन्होंने महाराष्ट्र के विदर्भ से लगे पांढुर्णा तहसील को नया जिला बनाने की घोषणा कर दी है। इस घोषणा के बाद अब आगामी समय में छिंदवाड़ा जिले में कई राजनीतिक समीकरण बदलने वाले हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुरुवार को छिंदवाड़ा के प्रसिद्ध जामसांवली हनुमान मंदिर में “श्री हनुमान लोक” का विधि-विधान से भूमिपूजन किया। इस दौरान शिवराज सिंह चौहान ने इस अवसर पर कहा था कि अब छिंदवाड़ा की पांढूर्ना, सौंसर और नांदनवाड़ी तीन तहसीलों को मिलाकर पांढुर्ना को नया जिला बनाया जाएगा। पृथकीकरण भी आपके सामने कर रहा हूं। हनुमानजी की कृपा आप सब पर बरसे। इस पर कमलनाथ ने शुक्रवार को मुरैना जिले में कहा कि पांढुर्णा को जिला बनाने की घोषणा मुख्यमंत्री जी 10 साल से कर रहे हैं। जब-जब चुनाव आते हैं पांढुर्णा और छिंदवाड़ा की जनता इन्हें नकारती है। प्रदेश और छिंदवाड़ा की जनता इनकी बातों और वादों की असलियत भली भांति पहचानती है।
कमलनाथ का पता बदलेगा?
शिवराज के पांढुर्णा को जिला बनाने की घोषणा को लेकर कई तरह की अटकलें लग रही हैं। बताया जा रहा है कि कमलनाथ की छिंदवाड़ा की पहचान ही बदल जाएगी। दरअसल, कमलनाथ का निवास शिकारपुर में है, जो मोहखेड़ तहसील में आता है। पांढुर्णा में सौसर तहसील शामिल होगी। यह बात अलग है कि विधानसभा क्षेत्र सौसर में ही शिकारपुर भी आता है। इसे देखते हुए कयास लगाए जा रहे थे कि शिवराज सिंह चौहान के दांव से कमलनाथ का पता बदल जाएगा। हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री का पता नहीं बदलने वाला। उनकी विधानसभा जरूर नए जिले में शामिल हो जाएगी।
भाजपा को मिलेगा सीधा फायदा
पांढुर्णा को जिला बनाने की घोषणा से सीधे तौर पर क्षेत्र की जनता की बड़ी समस्या हल हो गई है। आने वाले चुनाव में इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। बात यदि सौसर की जाए तो इसे भी जिला मुख्यालय बनाने की बात की जा रही है। यहां पर थोड़ी दिक्कत भाजपा को हो सकती है क्योंकि यदि सौसर को मुख्यालय नहीं बनाया गया तो कुछ लोगों में नाराजगी हो सकती है।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है पांढुर्णा
पांढुर्णा आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। वर्तमान में विधानसभा से लेकर नगरपालिका तक कांग्रेस का कब्जा है। पांढुर्णा की जनसंख्या 3.50 लाख के आसपास है। वर्तमान में यह विधानसभा क्षेत्र आदिवासी वर्ग के लिए आरक्षित है, जहां से कांग्रेस से नीलेश उइके विधायक हैं। पिछले नगर पालिका चुनाव में भी यहां कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल की थी। दो बार से पांढुर्णा में कांग्रेस का विधायक जीत रहा है। समीकरणों की बात करें तो पहले यहां गोंडवाना गणतंत्र पार्टी ने काफी असर दिखाया था। बाद में गोंडवाना के बड़े नेता जतन उइके कांग्रेस में शामिल हुए और माहौल उसका बन गया। अब भाजपा सरकार ने वर्षों से पांढुर्णा को जिला बनाने की मांग पूरी कर दी है, जिसका फायदा उसे मिलने की संभावना जताई जा रही है।
लोग लंबे समय से कर रहे थे मांग
पांढुर्णा से छिंदवाड़ा की दूरी लगभग 95 किलोमीटर है। ऐसे में जिला मुख्यालय से संबंधित कोई भी काम करने के लिए रहवासियों को लंबी दूरी तय करनी होती थी। इसके चलते लोग लंबे समय से पांढुर्णा को ही जिला बनाने की मांग कर रहे थे, ताकि उनके पूरे काम यहीं पर हो जाएं। अचानक उठी यह मांग एक बड़ा मुद्दा बन गई थी। इसी को भांपते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 24 अगस्त को छिंदवाड़ा दौरे पर स्थानीय नेताओं की मांग को ध्यान में रखा और पांढुर्णा और सौसर दो विधानसभा क्षेत्रों को एक करने की घोषणा कर बड़ा दांव खेला है।
कांग्रेस का क्या कहना है
वर्तमान कांग्रेस विधायक निलेश उइके ने शिवराज की इस घोषणा को चुनावी स्टंट करार दिया है। उनका कहना है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सिर्फ घोषणा कर सकते हैं। उन्होंने पूर्व में भी पांढुर्णा में कामठी जलाशय बनाने की घोषणा की थी जो आज तक पूरी नहीं हुई है। अब चुनाव के समय उन्होंने पांढुर्णा को जिला बनाने की घोषणा कर दी है, यह भी कभी पूरी नहीं हो सकती।
भाजपा नेता बोले- मुख्यमंत्री ने वर्षों पुरानी मांग पूरी की
भाजपा के पांढुर्णा से उम्मीदवार प्रकाश उइके का कहना है कि मुख्यमंत्री की घोषणा का मैं स्वागत करता हूं। पूरी जनता की तरफ से उनका आभार प्रकट करता हूं। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को भी आदेशित कर दिया है। इसके चलते एक महीने के अंदर पांढुर्णा जिला बन जाएगा। इसमें सौसर, नांदनवाड़ी और पांढुर्णा तहसीलों को शामिल किया जाएगा। हमारी लंबित मांग इससे पूरी हो गई है।
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