mp-politics:-कमलनाथ-की-नाराजगी-की-वजह-से-अग्रवाल-हटे,-पढ़िये-इस-फेरबदल-के-अंदर-की-कहानी
राहुल गांधी के साथ कमलनाथ और जेपी अग्रवाल। - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पद से आखिरकार जेपी अग्रवाल की विदाई हो ही गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से तालमेल नहीं बिठा पा रहे अग्रवाल के स्थान पर पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने इस फैसले से एक तीर से कई निशाने साधे हैं। साल भर पहले जब अग्रवाल को मध्य प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था तब यह माना गया कि उनके और कमलनाथ में अच्छा तालमेल रहेगा। कांग्रेस को मध्य प्रदेश में इसका फायदा मिलेगा। दिल्ली से कई बार सांसद और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके अग्रवाल कांग्रेस की राजनीति में कमलनाथ के समकालीन ही माने जाते हैं। अग्रवाल ने मध्य प्रदेश के नेताओं के बीच तालमेल स्थापित करने के साथ ही जिला और ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं तक पहुंच बनाई। वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक भी पहुंचे। मैदानी स्थिति को लेकर फीडबैक लिया। उनके और कमलनाथ के बीच टकराहट उस समय शुरू हुई जब कुछ शहर और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर विरोध दर्ज करवाते हुए कमलनाथ ने नियुक्तियों को रुकवा दिया। इनमें इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के अध्यक्ष भी शामिल थे। इसी के बाद दोनों में खींचतान बढ़ती गई। अग्रवाल ने मध्य प्रदेश आना भी कम कर दिया। कुछ समय पहले जब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में रणदीप सुरजेवाला को मध्य प्रदेश का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था तब भी कमलनाथ की कोशिश यह थी कि अग्रवाल के स्थान पर सुरजेवाला ही प्रदेश के प्रभारी हो जाए। तब ऐसा संभव नहीं हो पाया था। सुरजेवाला कांग्रेस की राजनीति में राहुल गांधी के विश्वस्त माने जाते हैं। वह पार्टी के मीडिया सेल के चेयरपर्सन रहे हैं। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में भी अहम भूमिका में थे। कमलनाथ के साथ उनका अच्छा तालमेल है। उन्हें प्रभारी बनाकर नेतृत्व ने यह संकेत भी दिया है कि मध्य प्रदेश के मामले में वह ना तो पूरी तरह कमलनाथ पर आश्रित रहना चाहते हैं और न ही उनके काम में किसी तरह की अड़ंगेबाजी लगाना चाहता है। दीपक बावरिया को भी हटना पड़ा था 2018 के विधानसभा चुनाव से पहले जब कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था तब राहुल गांधी के विश्वस्त दीपक बावरिया मध्य प्रदेश के प्रभारी थे। बावरिया की कमलनाथ से पटरी नहीं बैठी थी। एक स्थिति ऐसी बनी की पार्टी नेतृत्व को बावरिया को मध्य प्रदेश के प्रभारी की भूमिका से मुक्त करना पड़ा। वासनिक भी ज्यादा असरकारक नहीं रहे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक भी काफी समय तक मध्य प्रदेश के प्रभारी रहे। कमलनाथ के सामने उनकी खास चल नहीं पाई। वे कमलनाथ के साथ किसी विवाद से भी बचना चाहते थे। कुछ समय बाद उन्होंने खुद मध्य प्रदेश के दायित्व से मुक्ति मांग ली थी। उनके स्थान पर जेपी अग्रवाल को मौका दिया गया था।

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राहुल गांधी के साथ कमलनाथ और जेपी अग्रवाल। – फोटो : अमर उजाला

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मध्य प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी पद से आखिरकार जेपी अग्रवाल की विदाई हो ही गई। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ से तालमेल नहीं बिठा पा रहे अग्रवाल के स्थान पर पार्टी महासचिव रणदीप सिंह सुरजेवाला को प्रदेश का प्रभारी बनाया गया है। कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने इस फैसले से एक तीर से कई निशाने साधे हैं।

साल भर पहले जब अग्रवाल को मध्य प्रदेश कांग्रेस का प्रभारी बनाया गया था तब यह माना गया कि उनके और कमलनाथ में अच्छा तालमेल रहेगा। कांग्रेस को मध्य प्रदेश में इसका फायदा मिलेगा। दिल्ली से कई बार सांसद और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके अग्रवाल कांग्रेस की राजनीति में कमलनाथ के समकालीन ही माने जाते हैं। अग्रवाल ने मध्य प्रदेश के नेताओं के बीच तालमेल स्थापित करने के साथ ही जिला और ब्लॉक स्तर के कार्यकर्ताओं तक पहुंच बनाई। वे पार्टी के वरिष्ठ नेताओं तक भी पहुंचे। मैदानी स्थिति को लेकर फीडबैक लिया। उनके और कमलनाथ के बीच टकराहट उस समय शुरू हुई जब कुछ शहर और जिला अध्यक्षों की नियुक्ति पर विरोध दर्ज करवाते हुए कमलनाथ ने नियुक्तियों को रुकवा दिया। इनमें इंदौर शहर कांग्रेस अध्यक्ष के अध्यक्ष भी शामिल थे।

इसी के बाद दोनों में खींचतान बढ़ती गई। अग्रवाल ने मध्य प्रदेश आना भी कम कर दिया। कुछ समय पहले जब पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व में रणदीप सुरजेवाला को मध्य प्रदेश का वरिष्ठ पर्यवेक्षक बनाया था तब भी कमलनाथ की कोशिश यह थी कि अग्रवाल के स्थान पर सुरजेवाला ही प्रदेश के प्रभारी हो जाए। तब ऐसा संभव नहीं हो पाया था।

सुरजेवाला कांग्रेस की राजनीति में राहुल गांधी के विश्वस्त माने जाते हैं। वह पार्टी के मीडिया सेल के चेयरपर्सन रहे हैं। कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में भी अहम भूमिका में थे। कमलनाथ के साथ उनका अच्छा तालमेल है। उन्हें प्रभारी बनाकर नेतृत्व ने यह संकेत भी दिया है कि मध्य प्रदेश के मामले में वह ना तो पूरी तरह कमलनाथ पर आश्रित रहना चाहते हैं और न ही उनके काम में किसी तरह की अड़ंगेबाजी लगाना चाहता है।

दीपक बावरिया को भी हटना पड़ा था
2018 के विधानसभा चुनाव से पहले जब कमलनाथ को प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाया गया था तब राहुल गांधी के विश्वस्त दीपक बावरिया मध्य प्रदेश के प्रभारी थे। बावरिया की कमलनाथ से पटरी नहीं बैठी थी। एक स्थिति ऐसी बनी की पार्टी नेतृत्व को बावरिया को मध्य प्रदेश के प्रभारी की भूमिका से मुक्त करना पड़ा।

वासनिक भी ज्यादा असरकारक नहीं रहे
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक भी काफी समय तक मध्य प्रदेश के प्रभारी रहे। कमलनाथ के सामने उनकी खास चल नहीं पाई। वे कमलनाथ के साथ किसी विवाद से भी बचना चाहते थे। कुछ समय बाद उन्होंने खुद मध्य प्रदेश के दायित्व से मुक्ति मांग ली थी। उनके स्थान पर जेपी अग्रवाल को मौका दिया गया था।

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