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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो) - फोटो : अमर उजाला विस्तार Follow Us हाईकोर्ट में प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने तथा ईडब्ल्यूएस आरक्षण के संबंध में दायर याचिका की सुनवाई की गई। याचिका की सुनवाई के बाद जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण तथा ईडब्ल्यूएस आरक्षण संबंधित याचिकाओं की सुनवाई अलग-अलग करने के आदेश जारी किए हैं। युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण संबंधी याचिकाओं पर अगली सुनवाई 4 सितंबर को निर्धारित की गई है। गौरतलब है कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किए जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गई थीं। इसके अलावा ईडब्ल्यूएस आरक्षण से संबंधित याचिकाएं भी दायर की गई थीं। जिसकी सुनवाई हाईकोई द्वारा संयुक्त रूप जारी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण संबंधित याचिकाएं लंबित हैं। ओबीसी आरक्षण से संबंधित याचिकाओं के साथ हाईकोर्ट में लंबित सभी याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से करने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में उक्त एसएलपी की सुनवाई भी लंबित है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित एसएलपी की सुनवाई के लिए सरकार कोई पहल नहीं कर रही है। सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में यूथ फॉर इक्विलिटी की तरफ से दायर याचिका में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दो नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता एक रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी है, इसलिए ओबीसी आरक्षण के संबंध याचिका दायर करने का कोई विधिक अधिकारी नहीं है। सुनवाई के बाद उक्त याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा शासन की ओर से नियुक्त विशेष अधिवक्ता आरपी सिंह ठाकुर पैरवी कर रहे हैं।  

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मध्य प्रदेश हाईकोर्ट (फाइल फोटो) – फोटो : अमर उजाला

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हाईकोर्ट में प्रदेश में ओबीसी आरक्षण 27 प्रतिशत किए जाने तथा ईडब्ल्यूएस आरक्षण के संबंध में दायर याचिका की सुनवाई की गई। याचिका की सुनवाई के बाद जस्टिस शील नागू तथा जस्टिस अमरनाथ केसरवानी की युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण तथा ईडब्ल्यूएस आरक्षण संबंधित याचिकाओं की सुनवाई अलग-अलग करने के आदेश जारी किए हैं। युगलपीठ ने ओबीसी आरक्षण संबंधी याचिकाओं पर अगली सुनवाई 4 सितंबर को निर्धारित की गई है।

गौरतलब है कि प्रदेश में 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण किए जाने के खिलाफ व पक्ष में 64 याचिकाएं दायर की गई थीं। इसके अलावा ईडब्ल्यूएस आरक्षण से संबंधित याचिकाएं भी दायर की गई थीं। जिसकी सुनवाई हाईकोई द्वारा संयुक्त रूप जारी थी। याचिका की सुनवाई के दौरान युगलपीठ को बताया गया कि सुप्रीम कोर्ट में ओबीसी आरक्षण संबंधित याचिकाएं लंबित हैं। ओबीसी आरक्षण से संबंधित याचिकाओं के साथ हाईकोर्ट में लंबित सभी याचिकाओं की सुनवाई संयुक्त रूप से करने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर की गई थी। सुप्रीम कोर्ट में उक्त एसएलपी की सुनवाई भी लंबित है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट में लंबित एसएलपी की सुनवाई के लिए सरकार कोई पहल नहीं कर रही है।

सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से कहा गया कि ओबीसी आरक्षण के संबंध में यूथ फॉर इक्विलिटी की तरफ से दायर याचिका में सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा दो नोटिफिकेशन को चुनौती दी गई है। याचिकाकर्ता एक रजिस्टर्ड राजनीतिक पार्टी है, इसलिए ओबीसी आरक्षण के संबंध याचिका दायर करने का कोई विधिक अधिकारी नहीं है। सुनवाई के बाद उक्त याचिका पर फैसला सुरक्षित रखते हुए युगलपीठ ने उक्त आदेश जारी किए। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं की तरफ से अधिवक्ता आदित्य संघी तथा शासन की ओर से नियुक्त विशेष अधिवक्ता आरपी सिंह ठाकुर पैरवी कर रहे हैं।
 

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