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एनजीटी सेंट्रल जोन से जस्टिस सुधीर अग्रवाल को हटाना न्यायिक सिस्टम को खुली धमकी है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कलियासेत नदी व डेम के किनारे बसे वोटरों को खुश करने के लिए जस्टिस अग्रवाल को भोपाल से हटाया गया है।
इन सब बातों के साथ नागरिक उपभोक्ता मार्गदर्शक मंच के डॉ पीजी नाजपांडे ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा है। सीजेआई से आग्रह किया गया है कि पत्र की सुनवाई जनहित याचिका के रूप में की जाए। पत्र में कहा गया है कि एनजीटी के सेन्ट्रल जोन भोपाल के न्यायिक सदस्य जस्टिस सुधीर अग्रवाल ने 16 अगस्त को भोपाल की कलियासोत नदी के 33 मीटर दायरे में हुए अतिक्रमण को हटाने के आदेश दिए थे। अगले दिन 17 अगस्त को उन्होंने डेम को भी नदी का हिस्सा माना था। इस समूचे क्षेत्र में लगभग दो हजार निर्माण है, जिसमें होटल व फार्महाउस भी है।
जस्टिस अग्रवाल ने साल 2014 से अभी तक अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई नहीं करने पर राज्य सरकार तथा मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस को कड़ी फटकार लगाई थी। माना जा रहा है कि इस आदेश तथा फटकार के कारण जस्टिस अग्रवाल का तबादला किया गया है। पत्र में बताया है कि जस्टिस अग्रवाल को हटाना राजनीति से प्रेरित है और स्पष्ट रूप से न्यायिक सिस्टम को खुली धमकी है। विधानसभा चुनाव के मद्देनजर कलियासेत नदी व डेम के किनारे बसे वोटरों को खुश करने के लिए जस्टिस अग्रवाल को भोपाल से हटाकर उनका स्थानांतरण मुख्यपीठ में किया गया है।
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